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Mankading: दीप्ति के रन आउट को लेकर हर्षा भोगले से भिड़े बेन स्टोक्स, लिखा- मुझे दो साल बाद भी मैसेज आते हैं
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शक्तिराज सिंह
Updated Sat, 01 Oct 2022 08:45 PM IST
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सार
हर्षा भोगले ने दीप्ति शर्मा की आलोचना को लेकर इंग्लैंड की मीडिया पर निशाना साधा था। इसके जवाब में बेन स्टोक्स ने कहा है कि उन्हें आज भी 2019 विश्व कप को लेकर मैसेज मिलते हैं।

हर्षा भोगले और बेन स्टोक्स
- फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
भारत और इंग्लैंड की महिला टीम के बीच वनडे मैच के दौरान हुए विवादित रन आउट का मामला लगातार तूल पकड़ रहा है। इस मामले पर क्रिकेट जगत के दिग्गज आमने-सामने हैं। अब इंग्लैंड टेस्ट टीम के कप्तान बेन स्टोक्स ट्विटर पर भारतीय कमेंटेटर हर्षा भोगले से भिड़ गए हैं। हर्षा भोगले ने रन आउट के मामले पर इंग्लैंड की मीडिया पर निशाना साधा था और लिखा था कि इंग्लैंड की मीडिया जान बूझकर दीप्ति पर निशाना साध रही है। इसके जवाब में स्टोक्स ने लिखा है कि उन्हें आज भी 2019 विश्व कप में ओवरथ्रो के चार रन के लिए मैसेज आते हैं और मैसेज करने वालों में भारतीय फैंस भी शामिल हैं। क्या आपको इससे दिक्कत होगी?
हर्षो भोगले ने लिखा था कि इंग्लैंड की मांकडिंग के मामले में बल्लेबाज का समर्थन करना इंग्लैंड की संस्कृति में है। इसके जवाब में स्टोक्स ने लिखा "हर्षा ... मांकड़ को लेकर लोगों की राय में संस्कृति को ले आए?"
इसके बाद अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा "हर्षा .. 2019 विश्व कप फाइनल दो साल पहले खत्म हो गया था, मुझे आज भी इसे लेकर अनगिनत मैसेज मिलते रहते हैं, मैसेज करने वालों में भारतीय फैंस भी शामिल हैं। क्या यह आपको परेशान नहीं करता?
उन्होंने आगे लिखा "क्या यह एक संस्कृति की बात है ?? ....बिल्कुल नहीं, मुझे दुनिया भर के लोगों से ओवरथ्रो के बारे में मैसेज मिलते हैं, उसी तरह दुनिया भर के लोगों ने मांकड़ पर टिप्पणी की है, न कि केवल इंग्लैंड के लोग।"
स्टार ऑलराउंडर ने लिखा, "इस विशेष घटना पर बाकी दुनिया की प्रतिक्रिया के बारे में क्या? इंग्लैंड एकमात्र क्रिकेट खेलने वाला देश नहीं है जिसने इस फैसले के बारे में बात की है।"
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हर्षो भोगले ने लिखा था कि इंग्लैंड की मांकडिंग के मामले में बल्लेबाज का समर्थन करना इंग्लैंड की संस्कृति में है। इसके जवाब में स्टोक्स ने लिखा "हर्षा ... मांकड़ को लेकर लोगों की राय में संस्कृति को ले आए?"
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इसके बाद अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा "हर्षा .. 2019 विश्व कप फाइनल दो साल पहले खत्म हो गया था, मुझे आज भी इसे लेकर अनगिनत मैसेज मिलते रहते हैं, मैसेज करने वालों में भारतीय फैंस भी शामिल हैं। क्या यह आपको परेशान नहीं करता?
उन्होंने आगे लिखा "क्या यह एक संस्कृति की बात है ?? ....बिल्कुल नहीं, मुझे दुनिया भर के लोगों से ओवरथ्रो के बारे में मैसेज मिलते हैं, उसी तरह दुनिया भर के लोगों ने मांकड़ पर टिप्पणी की है, न कि केवल इंग्लैंड के लोग।"
स्टार ऑलराउंडर ने लिखा, "इस विशेष घटना पर बाकी दुनिया की प्रतिक्रिया के बारे में क्या? इंग्लैंड एकमात्र क्रिकेट खेलने वाला देश नहीं है जिसने इस फैसले के बारे में बात की है।"
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क्या थे हर्षा के ट्वीट ?
हर्षा भोगले ने अपने ट्वीट में लिखा था "मुझे ये बात बहुत ही परेशान कर रही है कि इंग्लैंड की मीडिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा एक ऐसी लड़की पर सवाल उठा रहा है जिसने खेल को नियमों के दायरे में रहकर खेला और कोई भी उस खिलाड़ी पर सवाल नहीं उठा रहा है जो गैर-कानूनी तरीके से फायदा उठाने की कोशिश कर रही थी और ऐसा वो कई बार कर चुकी थी। इसमें बेहद दिग्गज लोग भी शामिल हैं और मुझे लगता है कि इसके पीछे संस्कृति का हाथ है। अंग्रेज ये सोच रहे हैं कि जो हुआ वो गलत था, क्योंकि उन्होंने क्रिकेट जगत के बड़े हिस्से पर राज किया है, इसलिए उन्होंने सभी को ये बताया कि वह गलत था।"
उन्होंने आगे लिखा था "इंग्लैंड का प्रभुत्व इतना ताकतवर था कि उसपर बहुत कम उंगलियां उठीं। नतीजा यह रहा कि आज भी यही समझा जाता है कि इंग्लैंड जिसे गलत समझे, बाकी क्रिकेट जगत को भी उसे गलत ही समझना चाहिये। ठीक वैसे ही, जैसे ऑस्ट्रेलियाई स्लेजिंग को दैरान हद ना पार करने का उपदेश देते हैं। वो हद, जो उन्होंने अपनी संस्कृति के अनुसार खुद ही खींची है और जो दूसरों के अनुसार ठीक नहीं हो सकती है। बाकी दुनिया इंग्लैंड की सोच के अनुसार चलने के लिये बाध्य नहीं है और इसीलिए जो गलत है वो हमें साफ नजर आ रहा है। ये भी सोचना गलत है कि स्पिन गेंदबाजों की मददगार पिचें खराब हैं और तेज गेंदबाजों को मदद करने वाली पिचें एकदम सही हैं।"
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हर्षा भोगले ने अपने ट्वीट में लिखा था "मुझे ये बात बहुत ही परेशान कर रही है कि इंग्लैंड की मीडिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा एक ऐसी लड़की पर सवाल उठा रहा है जिसने खेल को नियमों के दायरे में रहकर खेला और कोई भी उस खिलाड़ी पर सवाल नहीं उठा रहा है जो गैर-कानूनी तरीके से फायदा उठाने की कोशिश कर रही थी और ऐसा वो कई बार कर चुकी थी। इसमें बेहद दिग्गज लोग भी शामिल हैं और मुझे लगता है कि इसके पीछे संस्कृति का हाथ है। अंग्रेज ये सोच रहे हैं कि जो हुआ वो गलत था, क्योंकि उन्होंने क्रिकेट जगत के बड़े हिस्से पर राज किया है, इसलिए उन्होंने सभी को ये बताया कि वह गलत था।"
उन्होंने आगे लिखा था "इंग्लैंड का प्रभुत्व इतना ताकतवर था कि उसपर बहुत कम उंगलियां उठीं। नतीजा यह रहा कि आज भी यही समझा जाता है कि इंग्लैंड जिसे गलत समझे, बाकी क्रिकेट जगत को भी उसे गलत ही समझना चाहिये। ठीक वैसे ही, जैसे ऑस्ट्रेलियाई स्लेजिंग को दैरान हद ना पार करने का उपदेश देते हैं। वो हद, जो उन्होंने अपनी संस्कृति के अनुसार खुद ही खींची है और जो दूसरों के अनुसार ठीक नहीं हो सकती है। बाकी दुनिया इंग्लैंड की सोच के अनुसार चलने के लिये बाध्य नहीं है और इसीलिए जो गलत है वो हमें साफ नजर आ रहा है। ये भी सोचना गलत है कि स्पिन गेंदबाजों की मददगार पिचें खराब हैं और तेज गेंदबाजों को मदद करने वाली पिचें एकदम सही हैं।"
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हर्षा ने लिखा था "यह संस्कृति का मुद्दा है, ऐसा मैं इसलिये कह रहा हूं क्योंकि ये ऐसी ही सोच के साथ बड़े होते हैं। इन्हें नहीं समझ में आता कि ये गलत हैं। ऐसे में समस्या खड़ी होती है और इसमें हम भी दोषी हैं। लोग एक-दूसरे के नजरिये को जज करते हैं। इंग्लैंड चाहता है कि बाकी के देश भी मांकडिंग के खिलाफ रहें और वह दीप्ति और ऐसा करने वाले बाकी खिलाड़ियों के प्रति बेहद आलोचनात्मक रहे हैं। ऐसे में हम भी ये पुरजोर कोशिश कर रहे हैं कि बाकी लोग भी सदियों पुरानी इस गहरी नींद से जागें।"
हर्षा ने अंत में लिखा "नियम ये कहता है कि जब तक गेंदबाज के हाथ से गेंद न छूटे तह तक नॉन स्ट्राइक पर खड़े बल्लेबाज को क्रीज के अंदर रहना चाहिए। यदि आप इसका पालन करेंगे तो खेल आराम से चलता रहेगा। यदि आप दूसरों पर उंगलियां ही उठाते रहेंगे, जैसा कि इंग्लैंड में कई लोगों ने दीप्ति पर उठाई है, आप अपने लिये सवालों को आमंत्रण देते रहेंगे। ये जरूरी है कि ताकतवर लोग, या वो जो कभी ताकतवर थे, ऐसा सोचना छोड़ दें कि दुनिया उनके ही हिसाब से चलेगी। जैसा कि समाज में होता है, एक न्यायाधीश ये सुनिश्चित करता है कि विधि का पालन हो, ऐसा ही क्रिकेट में भी होता है। लेकिन जिस तरह से दीप्ति के प्रति कटुतापूर्ण बातें कही गई, मुझे इससे बेहद परेशानी हुई। वह नियमों में रहकर खेल रही थीं और उनके किये की आलोचना पर तुरंत पूर्ण विराम लगना चाहिए।
हर्षा भोगले ने इंग्लैंड के खिलाफ भारत की जीत के बाद यह ट्वीट किए थे। इस मैच में दिप्ति शर्मा ने इंग्लैंड की चारलोट डीन को मांकडिंग के जरिए रन आउट कर भारत को 16 रन से जीत दिलाई थी। इस जीत के साथ ही टीम इंडिया ने तीन मैचों की वनडे सीरीज में इंग्लैंड का सूपड़ा साफ कर दिया था। अगर चारलोट मांकडिंग के जरिए आउट नहीं होतीं तो इंग्लैंड मैच जीत सकता था और सीरीज का नतीजा 2-1 हो सकता था। डीन ने इस मैच में 47 रन की शानदार पारी खेली थी और अपनी टीम को जीत के बेहद करीब ले गई थीं।
हर्षा ने अंत में लिखा "नियम ये कहता है कि जब तक गेंदबाज के हाथ से गेंद न छूटे तह तक नॉन स्ट्राइक पर खड़े बल्लेबाज को क्रीज के अंदर रहना चाहिए। यदि आप इसका पालन करेंगे तो खेल आराम से चलता रहेगा। यदि आप दूसरों पर उंगलियां ही उठाते रहेंगे, जैसा कि इंग्लैंड में कई लोगों ने दीप्ति पर उठाई है, आप अपने लिये सवालों को आमंत्रण देते रहेंगे। ये जरूरी है कि ताकतवर लोग, या वो जो कभी ताकतवर थे, ऐसा सोचना छोड़ दें कि दुनिया उनके ही हिसाब से चलेगी। जैसा कि समाज में होता है, एक न्यायाधीश ये सुनिश्चित करता है कि विधि का पालन हो, ऐसा ही क्रिकेट में भी होता है। लेकिन जिस तरह से दीप्ति के प्रति कटुतापूर्ण बातें कही गई, मुझे इससे बेहद परेशानी हुई। वह नियमों में रहकर खेल रही थीं और उनके किये की आलोचना पर तुरंत पूर्ण विराम लगना चाहिए।
हर्षा भोगले ने इंग्लैंड के खिलाफ भारत की जीत के बाद यह ट्वीट किए थे। इस मैच में दिप्ति शर्मा ने इंग्लैंड की चारलोट डीन को मांकडिंग के जरिए रन आउट कर भारत को 16 रन से जीत दिलाई थी। इस जीत के साथ ही टीम इंडिया ने तीन मैचों की वनडे सीरीज में इंग्लैंड का सूपड़ा साफ कर दिया था। अगर चारलोट मांकडिंग के जरिए आउट नहीं होतीं तो इंग्लैंड मैच जीत सकता था और सीरीज का नतीजा 2-1 हो सकता था। डीन ने इस मैच में 47 रन की शानदार पारी खेली थी और अपनी टीम को जीत के बेहद करीब ले गई थीं।