{"_id":"64721f5fb45c97a44907be0b","slug":"hardik-pandya-story-from-struggle-in-childhood-days-to-captaining-gt-in-consecutive-finals-2023-05-27","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"Hardik Pandya Story: सिर्फ मैगी खाकर दिन गुजारे, मुंबई ने बनाया स्टार; फिर चोट और पत्नी नताशा ने बदली जिंदगी","category":{"title":"Cricket News","title_hn":"क्रिकेट न्यूज़","slug":"cricket-news"}}
Hardik Pandya Story: सिर्फ मैगी खाकर दिन गुजारे, मुंबई ने बनाया स्टार; फिर चोट और पत्नी नताशा ने बदली जिंदगी
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शक्तिराज सिंह
Updated Sat, 27 May 2023 09:01 PM IST
विज्ञापन
सार
हार्दिक पांड्या को मुंबई इंडियंस ने स्टार खिलाड़ी बना दिया था, लेकिन वह आक्रामक खिलाड़ी थे। इसके बाद वह पिता बने और इस एहसास ने उन्हें जिम्मेदार बना दिया।

नताशा स्टेनकोविच और हार्दिक पांड्या
- फोटो : सोशल मीडिया

Trending Videos
विस्तार
आईपीएल 2023 में गुजरात की टीम फाइनल में पहुंच चुकी है। खिताबी मुकाबले में गुजरात का सामना चेन्नई से है। इस मैच में महेंद्र सिंह धोनी और उनके शिष्य हार्दिक पांड्या आमने-सामने होंगे। दोनों ही खिलाड़ियों ने आईपीएल में कप्तान के रूप में शानदार प्रदर्शन किया है। धोनी की कप्तानी में चेन्नई की टीम चार खिताब जीत चुकी है और 10वीं बार फाइनल खेल रही है। वहीं, हार्दिक ने लगातार दूसरी बार गुजरात को फाइनल में पहुंचाया है। कप्तान के रुप में हार्दिक का प्रदर्शन लाजवाब रहा है और वह भारतीय टीम के भावी कप्तान माने जा रहे हैं। आज हार्दिक बेहद समझदार और सुलझे हुए खिलाड़ी हैं। वह भारतीय क्रिकेट में बड़ा नाम हैं, लेकिन शुरुआत ऐसी नहीं थी। हार्दिक का बचपन मुश्किल से भरा रहा और उन्होंने मेहनत के दम पर सब कुछ हासिल किया है। आइए जानते हैं हार्दिक के स्टार बनने तक का सफर।
पिता के क्रिकेट प्रेम ने बनाया क्रिकेटर
हार्दिक के पिता हिमांशु पांड्या गुजरात के सूरत में फाइनेंस का व्यापार करते थे। उन्हें 1998 में इसे बंद करना पड़ा और पूरा परिवार फिर वडोदरा चला गया। हार्दिक के पिता हिमांशु पांड्या क्रिकेट के बहुत बड़े दीवाने हैं और वह अपने दोनों बेटों (हार्दिक व क्रुणाल) को मैच दिखाने के लिए ले जाते थे। यहीं से हार्दिक और क्रुणाल को क्रिकेटर बनने की प्रेरणा मिली। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद भी हिमांशु ने अपने बेटों को वडोदरा में किरण मोरे एकेडमी में भेजा, जहां से हार्दिक के क्रिकेटर बनने की यात्रा शुरू हुई।
विज्ञापन
Trending Videos
पिता के क्रिकेट प्रेम ने बनाया क्रिकेटर
हार्दिक के पिता हिमांशु पांड्या गुजरात के सूरत में फाइनेंस का व्यापार करते थे। उन्हें 1998 में इसे बंद करना पड़ा और पूरा परिवार फिर वडोदरा चला गया। हार्दिक के पिता हिमांशु पांड्या क्रिकेट के बहुत बड़े दीवाने हैं और वह अपने दोनों बेटों (हार्दिक व क्रुणाल) को मैच दिखाने के लिए ले जाते थे। यहीं से हार्दिक और क्रुणाल को क्रिकेटर बनने की प्रेरणा मिली। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद भी हिमांशु ने अपने बेटों को वडोदरा में किरण मोरे एकेडमी में भेजा, जहां से हार्दिक के क्रिकेटर बनने की यात्रा शुरू हुई।
विज्ञापन
विज्ञापन

दिवंगत पिता हिमांशु के साथ हार्दिक और क्रुणाल पांड्या
- फोटो : instagram@hardikpandya93
पैसों की तंगी के चलते हार्दिक को काफी संघर्ष भी करना पड़ा। ऑलराउंडर ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की वजह से उन्होंने ऐसे भी दिन देखे जब नाश्ता और डिनर में सिर्फ मैगी खाकर रहना पड़ा। उनके पास क्रिकेट किट खरीदने के पैसे भी नहीं थे। अभ्यास में वह अपने साथियों से किट मांगकर बल्लेबाजी करते थे। घरेलू स्तर पर हार्दिक का खेल निखर रहा था, लेकिन उन्हें बड़े मौके की तलाश थी। यह मौका आया 2015 में, जब उन्हें मुंबई इंडियंस की टीम में चुन लिया गया।
मुंबई के साथ जुड़ने के बाद हार्दिक की बल्लेबाजी और बेहतर हुई। वह लगातार बेहतर खिलाड़ी बनते गए और 2016 में उन्होंने भारत के लिए पहला मैच खेला। विस्फोटकर बल्लेबाजी के साथ उपयोगी तेज गेंदबाज होने की वजह से हार्दिक को लगातार मौके मिले, क्योंकि भारतीय टीम में तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर की कमी थी। इसका फायदा उठाकर हार्दिक ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया और टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की कर ली। वह टीम के सबसे चुलबुले खिलाड़ियों में शामिल थे, जो हमेशा मस्ती करते थे और आक्रामक अंदाज में खेलना पसंद करते थे।
मुंबई के साथ जुड़ने के बाद हार्दिक की बल्लेबाजी और बेहतर हुई। वह लगातार बेहतर खिलाड़ी बनते गए और 2016 में उन्होंने भारत के लिए पहला मैच खेला। विस्फोटकर बल्लेबाजी के साथ उपयोगी तेज गेंदबाज होने की वजह से हार्दिक को लगातार मौके मिले, क्योंकि भारतीय टीम में तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर की कमी थी। इसका फायदा उठाकर हार्दिक ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया और टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की कर ली। वह टीम के सबसे चुलबुले खिलाड़ियों में शामिल थे, जो हमेशा मस्ती करते थे और आक्रामक अंदाज में खेलना पसंद करते थे।

हार्दिक पंड्या और केएल राहुल
- फोटो : सोशल मीडिया
2018 में शुरू हुआ बुरा दौर
हार्दिक ने शुरू में शानदार प्रदर्शन किया और अपने आप को एक ऑलराउंडर के रूप में स्थापित किया। उनके लिए बुरा दौर एशिया कप 2018 से शुरू हुआ। पाकिस्तान के खिलाफ पीठ में चोट लगी थी। उससे ठीक हुए और कुछ मैच खेले। फिर 'कॉफी विद करण' विवाद में फंस गए। बीसीसीआई ने कार्रवाई की और बाद में टीम इंडिया में वापसी हुई। वापसी करने के बाद हार्दिक फिर चोटिल हो गए।
वर्ल्ड कप के बाद टीम से किए गए बाहर
2021 टी20 वर्ल्ड कप में उनके चुने जाने पर टीम इंडिया की आलोचना हुई। हार्दिक का प्रदर्शन भी वैसा ही था। बल्ले से कुछ खास कर नहीं सके और गेंदबाजी में योगदान नहीं दे पाए। पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के खिलाफ करारी हार के बाद टीम इंडिया वर्ल्ड कप से बाहर हो गई। हार्दिक आलोचकों के निशाने पर थे और फिटनेस भी उनका साथ नहीं दे रही थी, इसलिए उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया।
हार्दिक ने शुरू में शानदार प्रदर्शन किया और अपने आप को एक ऑलराउंडर के रूप में स्थापित किया। उनके लिए बुरा दौर एशिया कप 2018 से शुरू हुआ। पाकिस्तान के खिलाफ पीठ में चोट लगी थी। उससे ठीक हुए और कुछ मैच खेले। फिर 'कॉफी विद करण' विवाद में फंस गए। बीसीसीआई ने कार्रवाई की और बाद में टीम इंडिया में वापसी हुई। वापसी करने के बाद हार्दिक फिर चोटिल हो गए।
वर्ल्ड कप के बाद टीम से किए गए बाहर
2021 टी20 वर्ल्ड कप में उनके चुने जाने पर टीम इंडिया की आलोचना हुई। हार्दिक का प्रदर्शन भी वैसा ही था। बल्ले से कुछ खास कर नहीं सके और गेंदबाजी में योगदान नहीं दे पाए। पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के खिलाफ करारी हार के बाद टीम इंडिया वर्ल्ड कप से बाहर हो गई। हार्दिक आलोचकों के निशाने पर थे और फिटनेस भी उनका साथ नहीं दे रही थी, इसलिए उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया।

हार्दिक पांड्या
- फोटो : IPL/BCCI
आईपीएल में की वापसी
चोट के बाद सभी ने हार्दिक को घरेलू क्रिकेट खेलने की सलाह ही, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वह लगातार कड़ी ट्रेनिंग करते रहे और खुद को पूरी तरह से फिट किया। इसके बाद वह गुजरात टाइटंस के कप्तान बने और दमदार वापसी की। हार्दिक ने पहली बार अपना समझदार रूप दिखाया और तीसरे नंबर पर आकर जिम्मेदारी के साथ बल्लेबाजी की। विकेट बचाए और बाद में तेजी से रन भी बनाए। गेंदबाजी में भी उन्होंने पावरप्ले और बीच के ओवरों में कमाल किया। उनकी गति भी 140 किमी प्रति घंटे से ज्यादा की थी। गुजरात को चैंपियन बनाने के साथ ही हार्दिक भारत के भावी कप्तान की रेस में शामिल हो गए।
नताशा और बेटे ने कैसे बदली जिंदगी
साल 2020 में हार्दिक पांड्या ने नाताशा स्टेनकोविक को प्रपोज किया और दोनों ने सगाई कर ली। इसके बाद लॉकडाउन में दोनों ने कोर्ट मैरिज की और इसी साल हार्दिक एक बेटे (अगस्त्य) के पिता बन गए। पिता बनने के बाद हार्दिक को अपनी जिम्मेदारी का एहसास हुआ और वह मैदान पर थोड़ा शांत रहने लगे। हालांकि, फिटनेस उनके साथ नहीं थी और वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। इसके बाद हार्दिक ने जमकर मेहनत शुरू की। वह रोज सुबह उठकर जिम में पसीना बहाते थे फिर आराम करने के बाद ट्रेनिंग में लग जाते थे।
चोट के बाद सभी ने हार्दिक को घरेलू क्रिकेट खेलने की सलाह ही, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वह लगातार कड़ी ट्रेनिंग करते रहे और खुद को पूरी तरह से फिट किया। इसके बाद वह गुजरात टाइटंस के कप्तान बने और दमदार वापसी की। हार्दिक ने पहली बार अपना समझदार रूप दिखाया और तीसरे नंबर पर आकर जिम्मेदारी के साथ बल्लेबाजी की। विकेट बचाए और बाद में तेजी से रन भी बनाए। गेंदबाजी में भी उन्होंने पावरप्ले और बीच के ओवरों में कमाल किया। उनकी गति भी 140 किमी प्रति घंटे से ज्यादा की थी। गुजरात को चैंपियन बनाने के साथ ही हार्दिक भारत के भावी कप्तान की रेस में शामिल हो गए।
नताशा और बेटे ने कैसे बदली जिंदगी
साल 2020 में हार्दिक पांड्या ने नाताशा स्टेनकोविक को प्रपोज किया और दोनों ने सगाई कर ली। इसके बाद लॉकडाउन में दोनों ने कोर्ट मैरिज की और इसी साल हार्दिक एक बेटे (अगस्त्य) के पिता बन गए। पिता बनने के बाद हार्दिक को अपनी जिम्मेदारी का एहसास हुआ और वह मैदान पर थोड़ा शांत रहने लगे। हालांकि, फिटनेस उनके साथ नहीं थी और वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। इसके बाद हार्दिक ने जमकर मेहनत शुरू की। वह रोज सुबह उठकर जिम में पसीना बहाते थे फिर आराम करने के बाद ट्रेनिंग में लग जाते थे।

हार्दिक पांड्या, नताशा स्टानकोविक
- फोटो : सोशल मीडिया
हार्दिक ने अपने खेल की हर बारीकी पर काम किया और बेहतर खिलाड़ी बने। वहीं, घर में पत्नी और बेटे की जिम्मेदारी लेने के बाद वह टीम की जिम्मेदारी लेना भी सीख गए और कप्तान के रूप में कमाल किया, जबकि उन्होंने घरेलू स्तर पर भी कभी कप्तानी नहीं की थी। अब हार्दिक लगातार दूसरी बार अपनी आईपीएल टीम को फाइनल तक ले गए हैं।