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India Pakistan: कभी साथ खेले थे भारत-PAK के खिलाड़ी, अकरम की बॉल पर सचिन ने पकड़ा था कैच, पढ़ें उस मैच की कहानी

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: स्वप्निल शशांक Updated Wed, 08 Oct 2025 11:19 AM IST
सार

1996 में भारत-पाकिस्तान की संयुक्त टीम ने श्रीलंका में खेलकर सुरक्षा और एकजुटता का संदेश दिया। हाल ही में खेले गए एशिया कप में दोनों देशों के बीच राजनीतिक और व्यावसायिक तनाव ने खेल को प्रभावित किया है। यह दर्शाता है कि क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं, बल्कि समाज, संस्कृति और राजनीति का दर्पण भी है।

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India Pakistan: Historic Unity on the Cricket Field and Contemporary Rivalries Wills XI vs Sri Lanka
बाएं से- जडेजा, अजहरुद्दीन, अकरम, यूनुस और सचिन - फोटो : ANI/Twitter/PTI
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विस्तार
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एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच जो विवाद देखने को मिला, वही अब महिला वनडे विश्व कप में भी जारी है। दोनों टीमों के बीच नो हैंडशेक, कप्तानों का एक दूसरे को देखना तक नहीं। पाकिस्तान ने आतंक को बढ़ावा देकर पहलगाम में जो घिनौना कृत्य किया, उसका अंजाम उसे अब भुगतना पड़ रहा है। दोनों देशों के बीच जो राजनीतिक तनाव है, उससे अब खेल भी अछूता नहीं रह गया है। खेल का मैदान अब जंग का अखाड़ा बन चुका है।
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दोनों टीमों के बीच प्रतिद्वंद्विता को सिर्फ खेल के नजरिये से नहीं, बल्कि युद्ध के तौर पर देखा जाता है और हार दोनों देशों में से किसी के फैंस को पसंद नहीं। हालांकि, पहले ऐसा नहीं था। दोनों देशों के बीच खेल के मैदान पर जंग तो देखने को मिलती थी, लेकिन खेल के बाद खिलाड़ी आपस में बात करते थे और एक दूसरे से हंसी मजाक करते थे। 
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भारत-PAK के खिलाड़ियों की दोस्ती
सचिन तेंदुलकर या वीरेंद्र सहवाग की शोएब अख्तर से दोस्ती, हरभजन सिंह की अख्तर से दोस्ती या फिर आमिर और विराट कोहली के बीच दोस्ती, इस बात का उपयुक्त उदाहरण है। ये खिलाड़ी खेल के मैदान पर हुई घटनाओं को वहीं भूलकर आपस में मिलते जुलते थे।

भारत-PAK ने बनाई थी संयुक्त टीम
यहां तक कि भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ियों ने एक बार तो श्रीलंका को बचाने के लिए एक मिश्रित टीम भी बनाई और श्रीलंका के खिलाफ मैच खेला। उस मैच में सचिन तेंदुलकर, वकार यूनुस और वसीम अकरम जैसे महान खिलाड़ी एक टीम के एक साथ खेलते दिखे थे, जिसकी हम आज बस कल्पना भर कर सकते हैं। आइए उस मैच की कहानी जानते हैं...

1996 विश्व कप के दौरान की घटना
1996 के क्रिकेट विश्व कप में श्रीलंका के कोलंबो स्थित प्रेमदासा स्टेडियम में लीग मैच के लिए कई बड़ी टीमों ने खेलने से इनकार कर दिया था। ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज की टीमें सुरक्षा कारणों से श्रीलंका नहीं आना चाहती थीं। जबकि जिम्बाब्वे और केन्या ने दौरा किया, श्रीलंका को यह दिखाने की जरूरत थी कि यह देश क्रिकेट खेलने के लिए सुरक्षित है।

श्रीलंका ने सबसे बड़े संदेश के लिए सोचा कि कौन बेहतर टीम हो सकती है। उस समय के सह-आयोजक भारत और पाकिस्तान की तरफ नजर गई। यह दो देशों ने 1989-90 के बाद से कोई द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेली थी, लेकिन उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया।

विल्स-भारत पाकिस्तान XI: जब प्रतिद्वंद्वियों ने साथ खेला
भारत और पाकिस्तान ने एक संयुक्त टीम बनाई, जिसे विल्स-भारत पाकिस्तान XI कहा गया। इसका मतलब था कि सचिन तेंदुलकर और वसीम अकरम, अजहरुद्दीन और सईद अनवर, अनिल कुंबले और वकार यूनिस सभी एक ही टीम में होंगे।

अजहरुद्दीन ने मैच के दिन कहा, 'खेल के दृष्टिकोण से हम सभी एक हैं। हम श्रीलंका आए हैं ताकि आज का दिन सफल हो।' वसीम अकरम ने भी कहा, हमें सुरक्षा को लेकर कोई डर नहीं है। हम सहज हैं और यह सामान्य क्रिकेट दौरे जैसा है।' उस टीम के मैनेजर रहे इंतिखाब आलम ने कहा, 'यह पहली बार है कि भारत और पाकिस्तान एक टीम के रूप में खेल रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि इस मैच से क्रिकेट संबंध फिर से मजबूत होंगे।'

विल्स-11 की टीम इस प्रकार थी: सचिन तेंदुलकर, सईद अनवर, आमिर सोहेल, मोहम्मद अजहरुद्दीन (कप्तान), इजाज अहमद, अजय जडेजा, राशिद लतीफ (विकेटकीपर), वकार यूनुस, वसीम अकरम, अनिल कुंबले, आशीष कपूर।

श्रीलंका की टीम इस प्रकार थी: सनथ जयसूर्या, रमेश कालूविथराना, गुरुसिन्हा, रणतुंगा, मर्वन अटापट्टू, हर्शण तिलकरत्ने, चंदना, धर्मसेना, चमिंडा वास, मुथैया मुरलीधरन, पुष्पकुमारा।

रोमांचक मैच का विवरण
13 फरवरी, 1996 को खेले गए इस मैच की शुरुआत रोमांचक रही। रमेश कालूविथराना  वसीम अकरम की गेंद पर सचिन तेंदुलकर के हाथों कैच आउट होकर पवेलियन लौटे। श्रीलंका ने दो जल्दी विकेट गंवाए, लेकिन असंका गुरुसिन्हा (34) और अर्जुन रणातुंगा (32) ने 70 रन जोड़े। अनिल कुंबले ने शानदार प्रदर्शन किया और उन्होंने आठ ओवर में 12 रन देकर चार विकेट झटके। श्रीलंका ने 40 ओवर में 168/9 रन बनाए। आशीष कपूर ने दो विकेट लिए। इसके अलावा वसीम अकरम, वकार यूनुस और तेंदुलकर को भी एक-एक विकेट मिला। 

विल्स-11 के लिए सचिन और अनवर ओपनिंग के लिए आए और 53 रन की साझेदारी की। अनवर 16 रन बनाकर आउट हुए। फिर आमिर सोहेल भी 10 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। सचिन ने 36 रन और कप्तान अजहरुद्दीन ने 32 रन की पारी खेली। इजाज ने 18 रन बनाए, जबकि जडेजा ने 28 रन की पारी खेली। लतीफ 21 रन और वकार पांच रन बनाकर नाबाद रहे। विल्स-11 ने 34.3 ओवर में छह विकेट गंवाकर 171 रन बनाए और मैच जीत लिया। श्रीलंका की ओर से मुरलीधरन और चंदना ने दो-दो विकेट लिए, जबकि वास और धर्मसेना को एक-एक विकेट मिला। 

मैच का नतीजा
विल्स-11 ने श्रीलंका को चार विकेट से हराया और मैन ऑफ द मैच रहे अनिल कुंबले। विल्स सॉलिडैरिटी ट्रॉफी भी उन्हीं को मिली।

खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया और भावनाएं
खिलाड़ियों के लिए यह अवसर बहुत खास था। सचिन और अकरम जैसी प्रतिद्वंद्वी टीमों के स्टार खिलाड़ी एक ही पिच पर रणनीति बना रहे थे। अर्जुन रणतुंगा ने कहा, 'भारतीय और पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने दुनिया को दिखाया कि श्रीलंका में खेलना सुरक्षित है।' यह मैच केवल खेल नहीं था, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच मित्रता और सहयोग का प्रतीक बन गया। दर्शकों ने भी इस ऐतिहासिक क्षण का आनंद लिया और यह दृश्य उपमहाद्वीप के लोगों के लिए वर्षों तक यादगार रहा।

1996 और हाल ही में हुए एशिया कप की तुलना
आज का समय इसके बिल्कुल विपरीत है। वर्तमान एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक और खेल संबंधों में तनाव है। एशिया कप में भारत और पाकिस्तान को तीन बार आमने-सामने आना पड़ा, जो टूर्नामेंट की संरचना का हिस्सा था, ताकि अधिकतम व्यावसायिक लाभ सुनिश्चित किया जा सके। अन्य टीमों ने अपने दायित्व निभाए, लेकिन भारत-पाकिस्तान के मैच को व्यावसायिक लाभ के लिए प्राथमिकता दी गई।

क्रिकेट और राजनीति: एक जटिल समीकरण
भारत-पाकिस्तान का राजनीतिक तनाव लंबे समय से खेल पर प्रभाव डाल रहा है। महिलाओं की टीमों में भी यही स्थिति है। पाकिस्तान की कप्तान फातिमा सना और भारत की हरमनप्रीत कौर को अपने सार्वजनिक व्यवहार को नियंत्रित करना पड़ा। खेल अब केवल खेल नहीं, बल्कि राजनीतिक और व्यावसायिक दबाव का माध्यम बन गया है। 1996 में पाकिस्तान, भारत और श्रीलंका ने मिलकर विश्व कप की मेजबानी की और भारत-पाकिस्तान की संयुक्त टीम ने दिखाया कि खेल के माध्यम से राजनीतिक दूरी को कम किया जा सकता है। सचिन और अकरम ने उस मैच के दौरान एक ही बस में यात्रा की, रणनीति बनाई और दर्शकों को खुश किया। आज ऐसा सोचना भी मुश्किल है।

क्रिकेट का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
एशिया में क्रिकेट केवल खेल नहीं, बल्कि संस्कृति और सामाजिक एकता का प्रतीक है। चाहे अफगानिस्तान की घाटियों में हो या भारत के खेतों में, क्रिकेट ने लोगों को जोड़ा। आज की प्रतियोगिताओं में यह दृष्टि खोती जा रही है। खेल को राजनीतिक तनाव और व्यावसायिक लाभ ने प्रभावित कर दिया है। साझा जुनून अब राजनीतिक विभाजन का शिकार बन रहा है। यदि 1996 में खिलाड़ियों ने एक साथ खेलकर दुनिया को संदेश दिया था, तो आज यह संदेश उतना सरल नहीं रहा। खेल की सच्ची भावना अब विवाद, राजनीति और व्यावसायिक दबाव के बीच संघर्ष कर रही है।
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