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जोशीमठ: अनियंत्रित विकास से अवरुद्ध हुए प्राकृतिक नाले, एनआईएच की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Wed, 27 Sep 2023 01:39 PM IST
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सार

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रुड़की (एनआईएच) की रिपोर्ट में कहा गया है कि जल निकासी के रास्तों से छेड़छाड़ और ड्रेनेज सिस्टम का न होना जोशीमठ में तबाही का कारण बना है। 

Natural drains blocked due to uncontrolled development in Joshimath Six water sources in survey department map
जोशीमठ - फोटो : अमर उजाला
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जोशीमठ में अनियंत्रित विकास के कारण प्राकृतिक जल स्रोत और बरसाती नाले अवरुद्ध हुए हैं। कई वैज्ञानिक संस्थानों ने अपनी रिपोर्ट में प्रमुखता से इसका जिक्र किया है। चारधाम यात्रा रूट होने से यहां अनियंत्रित ढंग से बड़े निर्माण खड़े किए गए।

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यहां जल निकासी के रास्तों से छेड़छाड़ और ड्रेनेज सिस्टम का न होना तबाही का कारण बना। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रुड़की (एनआईएच) की रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है। जोशीमठ में एक जनवरी 2023 को जेपी कॉलोनी में फूटे जलस्रोत ने सबको चौंका दिया था। इस स्रोत से एक जनवरी से एक फरवरी के बीच करीब एक करोड़ छह लाख लीटर मटमैला पानी निकला।

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शुरुआत में यह पानी 17 लीटर प्रति मिनट के हिसाब से बाहर आ रहा था, जो छह फरवरी को 540 लीटर प्रति मिनट तक पहुंच गया। इसके बाद स्थिति वापस सामान्य हो गई। एनआईएच की रिपोर्ट में कहा गया कि जोशीमठ की भू-वैज्ञानिक और भू-आकृतिक स्थिति कुछ ऐसी है कि सुनील वार्ड, मनोहर बाग, जेपी कॉलोनी और सिंहधार में प्राकृतिक रूप से जल की निकासी संभव नहीं है।

16 जलस्रोतों की पहचान की गई
इस क्षेत्र में नाला बनने की संभावना नहीं के बराबर है। जो भी ऊपर से पानी आया, वह जमीन के अंदर प्रवेश कर गया और स्प्रिंग (स्रोत) के रूप में जेपी कॉलोनी के आसपास या नदी में बाहर निकला। एनआईएच की रिपोर्ट कहती है कि सर्वे ऑफ इंडिया के पुराने मानचित्र में जेपी कॉलोनी के आसपास छह प्राकृतिक जलस्रोत दर्शाए गए हैं, जबकि संस्थान ने अध्ययन में यहां 16 जलस्रोतों की पहचान की है।

जलस्रोतों की बढ़ी हुई संख्या इस बात को इंगित करती है कि जमीन के भीतर पानी का जो चैनल है, उसके कारण यह बाद में बने। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि क्षेत्र का विकास नियंत्रित और मानकों के अनुरूप होना चाहिए। इसकी सेटेलाइट या रिमोट सेंसिंग में उपलब्ध तकनीक के माध्यम से निगरानी की जरूरत है।

भूगर्भशास्त्री डॉ. एके बियानी का कहना है कि रिपोर्ट में दिया विश्लेषण जोशीमठ के बहुत ही सीमित क्षेत्र का है। इसके अन्य क्षेत्रों के विस्तार से अध्ययन की जरूरत है। जल भंडारण जेपी कॉलोनी के अलावा और भी कई जगह हो सकता है। यह गहन अध्ययन के बाद ही पता चल पाएगा। यहां भू-वैज्ञानिक भ्रंश और फॉल्ट जमीन के भीतर सक्रिय हैं, जिनके विस्तृत अध्ययन की जरूरत है।

रिपोर्ट में सामने आ रहे विशेषज्ञों के पूर्वानुमान

पूर्व में अमर उजाला ने विशेषज्ञों के हवाले से जोशीमठ में भू-धंसाव के जो संभावित कारण बताए थे, अब रिपोर्ट में वही उभरकर सामने आ रहे हैं। नई इमारतों के अत्यधिक भार और सीवरेज, ड्रेनेज सिस्टम का अभाव और रोजाना हजारों लीटर अपशिष्ट जल के जमीन में रिसने से जोशीमठ में भूधंसाव की स्थितियां पैदा हुईं। सेटेलाइट इमेजरी के आधार पर भारतीय रिमोट सेंसिंग एजेंसी ने कहा था कि जोशीमठ शहर 2020 और मार्च 2022 के बीच हर साल 2.5 इंच धंसा है।

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वैज्ञानिक संस्थानों की रिपोर्ट पर जोशीमठ आपदा के बाद की जरूरतों का आकलन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की टीम ने किया है। इसकी पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट (पीडीएनए) रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी गई। इसके बाद केंद्र में कुछ बैठकें हुई हैं। रिपोर्ट का उपयोग शहर के स्थिरीकरण में भी किया जाएगा। इसे आगे की कार्रवाई के लिए लोक निर्माण विभाग के साथ भी साझा किया गया है। - डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, सचिव उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग

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