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चिंता: अकेले राजधानी में 15 हजार लोग लेते हैं ड्रग्स, 110 लोगों में एक शख्स करता है सेवन, आंकड़े चौंकाने वाले
द्रेश कुमार, अमर उजाला, देहरादून
Published by: शाहरुख खान
Updated Wed, 17 Aug 2022 07:46 AM IST
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सार
उत्तराखंड में 110 लोगों में एक शख्स ड्रग्स लेता है। अकेले राजधानी में 15 हजार लोग ड्रग्स का सेवन करते हैं। उत्तराखंड में भांग से बनी ड्रग्स लेने वालों का प्रतिशत करीब 0.9 है।

जानकारी देते डीजीपी अशोक कुमार
- फोटो : अमर उजाला
विस्तार
उत्तराखंड में करीब 110 लोगों में से एक व्यक्ति भांग से बने ड्रग्स का सेवन करता है। यह कुल जनसंख्या की 0.9 प्रतिशत आबादी है। प्रदेश का यह प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से 0.7 से भी अधिक है। ऐसे में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने तीन वर्षों के भीतर प्रदेश को ड्रग्स मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, पुलिस इसमें कितनी कारगर होती है, यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन यह सरकार और पुलिस दोनों के लिए चिंता का विषय है।
पुलिस लाइन में कार्यशाला के दौरान अधिकारियों में इस बात को लेकर काफी चिंता थी। मामले में एसटीएफ ने देशभर में तमाम स्टडी का अवलोकन किया है। ड्रग्स लेने के मामले में उत्तराखंड की यह चिंता पैदा करने वाली स्थिति नजर आती है। संस्था ने यह स्टडी चरस और गांजा का नशा करने वालों पर की है। इसके अनुसार, देशभर में करीब 1.30 करोड़ लोग चरस और गांजा का नशा करते हैं।
यह कुल जनसंख्या का करीब 0.7 प्रतिशत है, जबकि उत्तराखंड का यह प्रतिशत 0.9 है। यह संख्या वर्तमान में अनुमानित जनसंख्या के हिसाब से 1.12 लाख होती है। इस हिसाब से प्रदेश में लगभग 110 लोगों में से एक व्यक्ति चरस और गांजे का सेवन करता है।
पुलिस के मुताबिक, उत्तराखंड में चरस और गांजे की ज्यादातर आपूर्ति पड़ोसी राज्यों से ही होती है। प्रदेश में इसकी खेती पर प्रतिबंध है। कमोबेश पड़ोसी राज्यों में भी ऐसे प्रतिबंध लागू हैं, लेकिन वहां पर तस्करों के लिए उत्तराखंड एक बाजार की तरह उभरा है। डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर इसी औसत को शून्य पर लाना है। इसके लिए 2025 की डेडलाइन घोषित की गई है।
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पुलिस लाइन में कार्यशाला के दौरान अधिकारियों में इस बात को लेकर काफी चिंता थी। मामले में एसटीएफ ने देशभर में तमाम स्टडी का अवलोकन किया है। ड्रग्स लेने के मामले में उत्तराखंड की यह चिंता पैदा करने वाली स्थिति नजर आती है। संस्था ने यह स्टडी चरस और गांजा का नशा करने वालों पर की है। इसके अनुसार, देशभर में करीब 1.30 करोड़ लोग चरस और गांजा का नशा करते हैं।
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यह कुल जनसंख्या का करीब 0.7 प्रतिशत है, जबकि उत्तराखंड का यह प्रतिशत 0.9 है। यह संख्या वर्तमान में अनुमानित जनसंख्या के हिसाब से 1.12 लाख होती है। इस हिसाब से प्रदेश में लगभग 110 लोगों में से एक व्यक्ति चरस और गांजे का सेवन करता है।
पुलिस के मुताबिक, उत्तराखंड में चरस और गांजे की ज्यादातर आपूर्ति पड़ोसी राज्यों से ही होती है। प्रदेश में इसकी खेती पर प्रतिबंध है। कमोबेश पड़ोसी राज्यों में भी ऐसे प्रतिबंध लागू हैं, लेकिन वहां पर तस्करों के लिए उत्तराखंड एक बाजार की तरह उभरा है। डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर इसी औसत को शून्य पर लाना है। इसके लिए 2025 की डेडलाइन घोषित की गई है।
दून में 15,000 लोग करते हैं नशा
एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने बताया कि उन्होंने थाना स्तर पर एक रिपोर्ट तैयार कराई है, जो लोग नशा मुक्ति केंद्रों में रह रहे हैं। उनके संपर्क में आने वाले लोगों से भी संपर्क किया गया है। पुलिस ने अपने-अपने क्षेत्रों में पता किया है। इससे ड्रग्स लेने वालों का आंकड़ा करीब 15,000 आया है। इसके लिए वृहद स्तर पर एक कार्ययोजना बनाई जा रही है।
ज्यादातर नशा करने वाले बने हैं तस्कर
कुछ समय पहले तक पुलिस जिन लोगों को पकड़ती थी, उनमें ज्यादातर तस्कर होते थे। यानी बाहर से लाकर यहां पर नशा बेचते थे, मगर वर्तमान में स्थिति बदल गई है। जो लोग नशा करते हैं, उनको नशे का धंधा करने वाले अब धंधे में धकेल रहे हैं। 2019 से 2021 तक पुलिस ने जो कार्रवाई की है, उनमें केवल 108 तस्कर हैं, जबकि 1,956 तस्कर ऐसे पकड़े गए जो खुद नशा करते हैं।
व्यावसायिक मात्रा वाले मामलों में बनेगी टीम
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वी मुरुगेशन ने कार्यशाला के दौरान पुलिस को व्यावसायिक मात्रा में नशीले पदार्थों की कार्रवाई में बेहतर ढंग से विवेचना करने के निर्देश देते हुए कहा कि यदि अब कोई ऐसा मामला सामने आता है, तो विवेचना के लिए अलग से टीम बनाई जाएगी, ताकि तस्करों की चेन को तोड़ा जा सके।
ज्यादातर नशा करने वाले बने हैं तस्कर
कुछ समय पहले तक पुलिस जिन लोगों को पकड़ती थी, उनमें ज्यादातर तस्कर होते थे। यानी बाहर से लाकर यहां पर नशा बेचते थे, मगर वर्तमान में स्थिति बदल गई है। जो लोग नशा करते हैं, उनको नशे का धंधा करने वाले अब धंधे में धकेल रहे हैं। 2019 से 2021 तक पुलिस ने जो कार्रवाई की है, उनमें केवल 108 तस्कर हैं, जबकि 1,956 तस्कर ऐसे पकड़े गए जो खुद नशा करते हैं।
व्यावसायिक मात्रा वाले मामलों में बनेगी टीम
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वी मुरुगेशन ने कार्यशाला के दौरान पुलिस को व्यावसायिक मात्रा में नशीले पदार्थों की कार्रवाई में बेहतर ढंग से विवेचना करने के निर्देश देते हुए कहा कि यदि अब कोई ऐसा मामला सामने आता है, तो विवेचना के लिए अलग से टीम बनाई जाएगी, ताकि तस्करों की चेन को तोड़ा जा सके।