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Delhi : एक स्कूल ऐसा... जिसके आठ कमरों में 20 साल से लटका है ताला, आप भी जान लीजिए इसका कारण

ललित कौशिक, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Sat, 19 Apr 2025 06:31 AM IST
सार

स्कूल के कमरे हैंडओवर करने को लेकर शिक्षा निदेशालय और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के बीच गतिरोध है। न्यू रोहतक रोड स्थित गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल में छठी से लेकर दसवीं कक्षा तक के छात्र पढ़ते हैं। 

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A school... in which eight rooms are locked for 20 years
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दिल्ली के एक स्कूल के 8 कमरों को 20 साल से खुलने का इंतजार है। स्कूल के कमरे हैंडओवर करने को लेकर शिक्षा निदेशालय और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के बीच गतिरोध है। न्यू रोहतक रोड स्थित गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल में छठी से लेकर दसवीं कक्षा तक के छात्र पढ़ते हैं। 

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छात्रों की संख्या हर साल बढ़ रही है। स्कूल छात्रों के बढ़ते नामांकन के चलते एमसीडी से कमरों की मांग कर रहा है, लेकिन उसे कमरे नहीं मिल रहे हैं। स्कूल बंद कमरों की मरम्मत करवाकर उनमें कक्षाएं संचालित करना चाहता है। कमरों पर ताले लगे होने की वजह से उनकी हालत भी जर्जर हो गई है। 
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इससे छात्रों और स्कूल कर्मियों की सुरक्षा को लेकर भी खतरा बरकरार है। स्कूल के कमरे हैंडओवर करने की मांग को लेकर स्कूल के प्रमुख द्वारा हाल में एमसीडी के करोल बाग जोन के डिप्टी कमिश्नर को पत्र भी लिखा गया है। 

पत्र के अनुसार, आठ कमरों पर पिछले 20 वर्षों से एमसीडी ने ताला लगा रखा है। पहले यहां एक प्राथमिक विद्यालय चल रहा था। इसका पास के प्राथमिक विद्यालय में विलय कर दिया गया, तब से स्कूल के कमरे अनुपयोगी हैं। लंबे समय से बंद होने के कारण कमरे बदतर हालत में हैं। कमरे सांप और नेवलों का प्रजनन स्थल बन गए हैं। इससे छात्रों और कर्मचारियों के लिए संभावित सुरक्षा का खतरा है। 

कमरों के सामने की जमीन बरसात के मौसम में बहुत फिसलन भरी हो जाती है। कभी-कभी किसी के गिरने की घटना भी होती रहती है। कमरों में बहुत गंदगी जमा हो रखी है। बारिश के समय कमरों के अंदर से पानी  रिसता है।

एमसीडी की है जमीन : चेयरमैन
करोल बाग जोन के चेयरमैन राकेश जोशी ने बताया कि यह जमीन एमसीडी की है। पहले इस जगह पर एमसीडी का प्राइमरी स्कूल संचालित होता था। बच्चों की संख्या कम होने पर उसका नजदीकी स्कूल में विलय कर दिया। चेयरमैन ने कहा कि निगम बंद कमरों को स्कूल को नहीं दे सकता है। वहीं, वर्तमान में संचालित स्कूल कुछ साल पहले यहां पर स्थानांतरित हुआ था।

छात्रों को कक्षा में बिठाने में हो रही मुश्किल
कमरों के बंद होने की वजह से छात्रों को कक्षा में बिठाने में मुश्किल हो रही है। कक्षा में तय क्षमता से अधिक छात्र बैठने को मजबूर हैं। स्कूल में छठी से लेकर दसवीं कक्षा तक के छात्र पढ़ने के लिए आते हैं। स्कूल के पास कक्षाओं के संचालन के लिए सिर्फ आठ ही कमरे हैं। कक्षाओं का आकार तय मानकों के अनुसार छोटा है। स्कूल प्रमुख ने नगर निगम से अनुरोध किया है कि बंद कमरों को सौंपा जाए, ताकि मरम्मत करवाकर छात्रों को कक्षाओं में ठीक से बिठाया जा सके। 

स्कूल में पढ़ते हैं 378 छात्र
वर्तमान में स्कूल में 378 छात्र पढ़ते हैं। इस संबंध में स्थानीय विधायक विशेष रवि ने शिक्षा विभाग से सवाल भी किया था, जिसके जवाब ने विभाग ने पत्र संबंधी जानकारी दी। विधायक विशेष रवि ने बताया कि स्कूल में छात्रों के नामांकन की संख्या बढ़ रही है। छात्रों को बैठने के लिए पर्याप्त जगह मिले और स्कूल के बंद कमरे खुले, इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे है। इसके लिए नगर निगम से भी अनुरोध किया गया है।

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