बसपा सुप्रीमो ने बनाई दिल्ली रण के लिए खास रणनीति
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) राजधानी में अपनी खोई जमीन तलाश रही है। पार्टी की कोशिश आम आदमी पार्टी (आप) की तरफ खिसक गए अपने जनाधार को वापस लाने की है। इसके लिए दिग्गज नेताओं को दिल्ली चुनाव में उतार दिया है।
वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती जनवरी के आखिर में तूफानी प्रचार अभियान पर होंगी। मायावती दिल्ली की हर सीट पर दो जनसभाएं करेंगी। दरअसल, राजधानी की एक दर्जन अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित सीटों के अलावा करीब 15 दूसरी सीटों पर भी बड़ी तादाद में एससी मतदाता हैं।
इनके एक साथ पार्टी विशेष के पक्ष में लामबंद होने से नतीजों पर बड़ा असर पड़ता है। आरक्षित सीट (एससी) बवाना में सबसे कम आबादी (21.06 फीसदी) है। वहीं अनारक्षित सीट बल्लीमारान, नरेला, वजीरपुर, राजेंद्र नगर और तुगलकाबाद में एससी आबादी इससे कहीं अधिक है।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के उदय से पहले बसपा का वोट शेयर लगातार बढ़ रहा था। 2008 पार्टी को 14 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। साथ ही, दो सीटें गोकलपुर और बदरपुर भी बसपा के पक्ष में गई थीं, लेकिन 2013 का चुनाव इसके लिए फायदे का सौदा साबित नहीं हुआ। पार्टी का वोट शेयर पांच फीसदी पर सिमट गया। माना गया कि बसपा का वोट बैंक आप की तरफ खिसक गया है।
चुनावों के लिए बनाया है स्पेशल प्लान
पार्टी अब खिसक गए वोट बैंक को फिर से अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। बसपा ने 70 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए हैं। वहीं, नसीमुद्दीन, राम अचल राजभर और मुनकाद अली जैसे दूसरी लाइन के नेताओं को मैदान में उतारा है, जबकि चुनाव आयोग को 40 स्टार प्रचारकों की लिस्ट सौंपी है। इसके साथ ही पार्टी सुप्रीमो मायावती की 14 रैलियां कराने की योजना है।
रिजर्व सीट पर एससी:
दिल्ली की 12 सीटें आरक्षित हैं। इसमें बवाना, सुल्तानपुरी, मंगोलपुरी, करोलबाग, पटेल नगर, मादीपुर, देवली, अंबेडकर नगर, त्रिलोकपुरी, कोंडली, सीमापुरी और गोकलपुरी हैं। सबसे अधिक एससी आबादी सुल्तानपुरी में 44.37 फीसदी है, जबकि सबसे कम बवाना में 21.06 फीसदी है।
अनारक्षित सीटें, जहां 15-25 फीसदी एससी आबादी
नरेला, नांगलोई, वजीरपुर, बल्लीमारान, राजेंद्र नगर, जंगपुरा, तुगलकाबाद, रोहताश नगर, त्रिनगर, सदर बाजार, चांदनी चौक, नजफगढ़, दिल्ली कैंट, नई दिल्ली, आरकेपुरम, महरौली, पटपड़गंज और शाहदरा
2013 का विधान सभा चुनाव
पार्टी का नहीं खुला था खाता
वोट शेयर भी गिरकर पांच फीसदी पर सिमटा
ज्यादातर सीटों पर पार्टी रही चौथे स्थान पर