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Cyber Crime: विदेश से बंधकमुक्त आईटी पेशेवर आज लाए जाएंगे दिल्ली, साइबर ठगों से छुड़ाये युवाओं में कई NCR के
राजू मलिक, गाजियाबाद
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Wed, 19 Nov 2025 06:21 AM IST
सार
विदेशों में नौकरी का झांसा देकर भारतीय युवाओं को बुलाकर अलग-अलग देशों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर ठगी कराई जा रही थी।
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- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
गृह मंत्रालय के निर्देशन में बुधवार को विदेशों में साइबर ठगों के जाल में फंसे करीब 350 आईटी पेशेवर भारतीय युवाओं को बंधनमुक्त कर दिल्ली लाया जाएगा। विदेशों में नौकरी का झांसा देकर भारतीय युवाओं को बुलाकर अलग-अलग देशों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर ठगी कराई जा रही थी। साइबर ठगों ने इनके पासपोर्ट सहित अन्य दस्तावेज भी अपने कब्जे में ले लिए थे। बुधवार की दोपहर दिल्ली एयरपोर्ट पर आईटी पेशेवर व अन्य युवाओं को म्यांमार से दिल्ली लाया जा रहा है। युवाओं की पहचान के लिए जिले की साइबर टीम भी दिल्ली के लिए रवाना हो गई है। बंधनमुक्त हुए आईटी पेशेवरों में एनसीआर के युवा भी बताए जा रहे हैं।
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विदेश मंत्रालय के सहयोग से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इनकी वतन वापसी कराई है। विदेशों से बंधनमुक्त कराकर लाए गए युवाओं और युवतियों को दिल्ली में रखा जाएगा। जहां पूछताछ होने के बाद उन्हें सकुशल घर भेजा जाएगा। पुलिस सूत्रों की मानें तो 11 राज्यों के युवाओं को अलग-अलग देशों से बंधनमुक्त कराकर इन्हें म्यांमार के म्यावाड़ी शहर में रखा गया है। जहां से उन्हें बुधवार को दिल्ली लाया जाएगा।
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इनमें से कुछ एक वर्ष से तो कोई छह माह से विदेशों में बंधक थे। पुलिस सूत्रों की मानें तो उन्हें आईटी क्षेत्र में ही नौकरी देने के बहाने म्यांमार और अन्य देशों में बुलाया गया था। इसके लिए साइबर अपराधियों की एक एजेंसी काम करती है। एजेंसी म्यांमार में साइबर सिक्योरिटी आफिसर, डाटा विश्लेषक, एआई एक्सपर्ट जैसे पद बताकर नौकरी के लिए बुलाती है। वहां पहुंचते ही बंधक बना लिया जाता है। सबसे पहले दस्तावेज छीन लिए जाते हैं। इसके बाद साइबर अपराध कराया जाता है। जो मना करे, उसे भूखा-प्यासा रखा जाता है। राजी होने तक यातनाएं दी जाती हैं। परिवार से भी बात नहीं करने देते थे। कुछ लोगों ने किसी तरह इसकी शिकायत भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से की थी। इसके बाद इन्हें बंधन मुक्त कराकर वतन वापसी कराने का आपरेशन शुरू हुआ।
40 दिन दी डिजिटल अरेस्ट करने की दी ट्रेनिंग
पुलिस सूत्रों की मानें तो उन्हें यातनाएं देकर साइबर अपराध करने के लिए राजी किया गया। इसके बाद 40 दिन की ट्रेनिंग दी गई। इसमें सिखाया गया कि पुलिस और सीबीआई का अधिकारी बनकर कैसे लोगों को डिजिटल अरेस्ट करना है। जो आईटी पेशवर जिस भाषा को जातना है, उसे उसी में ट्रेनिंग दी गई। अपराधियों के पास प्रशिक्षकों की पूरी फौज है। उनके पास लोगों का डाटा भी है। ये डाटा देकर ही ठगी कराई जाती है। ठगी की रकम भी अपराधी अपने खाते में सीधे नहीं मंगाते। ये पहले उन खातों में जमा कराई जाती है, जो अपराधियों ने भारत के लोगों से ही किराए पर ले रखे हैं। उनके खातों से रकम को अपने खातों में ट्रांसफर करते हैं।
मार्च 2025 में छुड़ाए थे 530 भारतीय
गृह मंत्रालय के निर्देशन में म्यांमार सहित अन्य देशों से 11 मार्च 2025 को 530 आईटी पेशेवर बंधनमुक्त कराकर गाजियाबाद एयरपोर्ट पर लाए गए थे। इनमें से 17 युवतियों भी शामिल थी। 17 अलग-अलग राज्यों के आईटी पेशेवर से गाजियाबाद में पूछताछ कर उन्हें उनके घर छोड़ा गया था।