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Delhi Air Pollution: पटाखों के शोर से धुएं में घुली दिवाली, अब दिल्ली में दमघोंटू माहौल से सांसों पर संकट
अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Wed, 22 Oct 2025 06:02 AM IST
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सार
सुप्रीम कोर्ट ने रात 8 बजे से रात 10 बजे तक हरित पटाखों को अनुमति दी थी लेकिन इसकी आड़ में जमकर अधिक प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे भी छोड़े गए।

एक्यूआई गंभीर श्रेणी में पहुंचने की आशंका ...
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
ग्रीन पटाखों पर मिली छूट से उत्साहित दिल्लों वालों ने अब अपनी सांसे सांसत में डाल दी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने रात 8 बजे से रात 10 बजे तक हरित पटाखों को अनुमति दी थी लेकिन इसकी आड़ में जमकर अधिक प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे भी छोड़े गए। इसकी वजह से मंगलवार को दिल्ली की सुबह दमघोंटू हो गई। सोमवार रात राजधानी में जमकर फोड़े गए पटाखों की वजह से पीएम2.5 (2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटे व्यास वाले सूक्ष्म कण) ने हवा को दमघोंटू बना दिया। कई इलाकों में धुंध की चादर छा गई और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 351 दर्ज किया गया। यह हवा की बेहद खराब श्रेणी है।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने मंगलवार रात तक एक्यूआई के गंभीर श्रेणी में पहुंचने की आशंका जताई है। 22 से 24 अक्तूबर तक वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में रहेगी जिसकी वजह से सांस के मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। लोगों को आंखों में जलन जैसी समस्या भी हो सकती है। मंगलवार को अनुमानित अधिकतम मिश्रण गहराई 2700 मीटर रही। वेंटिलेशन इंडेक्स 4000 मीटर प्रति वर्ग सेकंड रहा। बवाना में 424 समेत कई इलाकों में एक्यूआई गंभीर और बेहद खराब श्रेणी में दर्ज किया गया।
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ऐसे घटा-बढ़ा पीएम 2.5 का स्तर
20 अक्तूबर की रात 8 बजे दिल्ली में पीएम 2.5 का औसत स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो सुरक्षित सीमा (60 माइक्रोग्राम) से करीब आठ गुना अधिक था। इसके बाद प्रदूषण तेजी से बढ़ा और रात के आखिरी घंटों में यह 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। 21 अक्तूबर सुबह 9 बजे तक स्तर घटकर 226 रहा। हवा की रफ्तार 1 मीटर प्रति सेकंड से भी कम रहने के कारण प्रदूषक फैल नहीं सके। दिवाली के बाद तापमान में आई गिरावट से स्थिति और खराब हो गई, जिससे प्रदूषक हवा में फंस गए।
सीपीसीबी (2021-2025) के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि दिवाली 2025 के दौरान दिल्ली की हवा खतरनाक स्तर तक प्रदूषित हो गई थी। इस अवधि में पीएम 2.5 का औसत स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। पिछले पांच वर्षों के आंकड़े दिखाते हैं कि दिवाली के समय प्रदूषण लगातार बढ़ा है — त्योहार की रात में पीएम 2.5 का स्तर आम तौर पर दोगुना या तिगुना हो जाता है और अगले दिन तक ऊंचा बना रहता है।
19 अक्तूबर से लागू ग्रेप का दूसरा चरण
सीएक्यूएम ने रविवार को दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप के दूसरे चरण को लागू कर दिया था, लेकिन पटाखों की अनदेखी ने इन कोशिशों पर पानी फेर दिया। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कोयले और जलाऊ लकड़ी के साथ डीजल जनरेटर सेट के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह कदम दिखाता है कि पटाखों के उपयोग की अनुमति मिलने से पहले ही, हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी थी कि प्रशासन को कड़े आपातकालीन उपाय करने पड़े। सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्तूबर को दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी थी। नियम के मुताबिक, पटाखे सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे तक फोड़े जा सकते थे। लेकिन, सड़कों पर देर रात तक पटाखों की गूंज सुनाई दी, जिसने हवा को और जहरीला कर दिया।
दिवाली की रात ने बढ़ाई मुसीबत
दिवाली की रात आतिशबाजी से दिल्ली के आसमान का रंग-बिरंगा नजारा तो खूबसूरत था, लेकिन इसकी कीमत शहर की हवा को चुकानी पड़ी। दिल्ली के कुछ हिस्सों में पीएम 2.5 का स्तर तय मानक से 29 गुना ज्यादा हो गया। डीपीसीसी के आंकड़ों के मुताबिक, सोमवार रात को पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर सुरक्षित सीमा से 15 से 18 गुना ज्यादा दर्ज किया गया। आनंद विहार, द्वारका सेक्टर 8, पटपड़गंज और जहांगीरपुरी जैसे इलाकों में प्रदूषण का स्तर 1,400 से 1,800 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जो सामान्य मानकों से कहीं ज्यादा है।
2015 से 2024 के बीच एयर इंडेक्स
साल-----दिवाली से पहले----दिवाली पर-----दिवाली के अगले दिन
2025---------296--------345-----------351
2024---------307--------328-----------339
2023---------220--------218-----------358
2022---------259--------312-----------303
2021---------314--------382-----------462
2020---------339--------414-----------435
2019---------287--------337-----------368
2018---------338--------281-----------390
2017---------302--------319-----------403
2016---------404--------431-----------445
2015---------353--------343-----------360
(स्रोतः सीपीसीबी)
हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हरित पटाखों ने पार्टिकल पॉल्यूशन को तेजी से बढ़ाया है। यह प्रदूषण स्थानीय प्रकृति का है। साथ ही, अन्य स्थानों से परिवहन नहीं है। इससे पता चलता है कि हमें हरित पटाखों की गुणवत्ता की जांच करने की आवश्यकता है।
-प्रो. डॉ. एसके ढाका, राजधानी कॉलेज
यह निराशाजनक है कि दिवाली के दौरान पटाखे जलाने के हानिकारक प्रभावों को वर्षों तक देखने के बाद भी, हम वास्तविकता नकारते रहते हैं और वही गलती दोहराते रहते हैं। यह प्रदूषण खासकर बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बीमार लोगों के स्वास्थ्य बेहद गंभीर प्रभाव डालता है।
-आरती खोसला, संस्थापक और निदेशक, क्लाइमेट ट्रेंड्स
इस साल की दिवाली पहले से भी अधिक खराब साबित हुई है। आंकड़े स्पष्ट रूप से प्रदूषण के स्तर में तेज वृद्धि दर्शाते हैं। दिवाली के बाद पीएम रीडिंग औसतन लगभग 488 रही, जबकि त्योहार से पहले यह केवल 156.6 थी। यह तीन गुना से भी ज्यादा वृद्धि है, जिससे 2025 हाल के वर्षों की सबसे प्रदूषित दिवाली बन जाएगी।
-पलक बाल्यान, रिसर्च लीड, क्लाइमेट ट्रेंड्स