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Delhi: सरकारी सुस्ती... दो सप्ताह में नहीं मिले दस्तावेज, वादी के बेटे ने दो घंटे में खोज निकाले; कोर्ट नाराज
अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Mon, 22 Dec 2025 06:55 AM IST
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- फोटो : अमर उजाला प्रिंट / एजेंसी
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सरकारी सुस्ती और लापरवाही पर तीस हजारी कोर्ट ने बेहद नाराजगी जताई है। कोर्ट ने हैरानी जताई कि जो दस्तावेज विभाग के कर्मचारी दो हफ्ते में नहीं खोज सके उसे वादी के बेटे ने एक वकील के सहयोग से दो घंटे में खोज निकाला।
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जिला न्यायाधीश शिवाली शर्मा ने टिप्पणी की कि जब एक सामान्य नागरिक सीमित संसाधनों से रिकॉर्ड जुटा सकता है, तो सरकारी विभागों की यह उदासीनता चिंताजनक है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी लापरवाही से वरिष्ठ नागरिकों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी। कोर्ट ने इस मामले में एसडीएम को भी तलब किया है।
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जिला जज शिवाली शर्मा की अदालत मदन मोहन बनाम ओम प्रकाश गोयनका से जुड़े संपत्ति विवाद मामले की सुनवाई कर रहीं थीं। कोर्ट ने कहा कि वर्षों से अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे 86 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक के मामले में रिकार्ड नहीं मिला का जवाब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अदालत ने कोतवाली सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) और कश्मीरी गेट स्थित सब-रजिस्ट्रार-1 कार्यालय की कार्यशैली पर सवाल उठाए और दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया।
वादी मदन मोहन की ओर से अधिवक्ता रवि दराल ने अदालत को बताया कि प्रतिवादी ओम प्रकाश गोयनका ने करीब 85 लाख रुपये कीमत की संपत्ति में धोखाधड़ी की है। मामले में डिक्री होल्डर के पक्ष में पहले ही आदेश पारित हो चुका है, लेकिन स्वामित्व से जुड़े रिकॉर्ड उपलब्ध न होने से निष्पादन कार्यवाही अटकी है।
5 दिसंबर को अदालत ने एसडीएम और सब-रजिस्ट्रार कार्यालय को अगली तारीख पर सभी संबंधित रिकॉर्ड पेश करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद सुनवाई पर एसडीएम कार्यालय के बेलीफ (नोटिस, समन, वारंट या आदेशों की तामील कराने वाला कर्मचारी) ने बताया कि सब-रजिस्ट्रार कार्यालय से अब तक रिकॉर्ड नहीं मिल सका। सब-रजिस्ट्रार-1 कार्यालय से आए कर्मचारी न तो संपत्ति का विवरण ढूंढ सके और न कोई लिखित रिपोर्ट या अधिकृत पत्र पेश किया।
इस पर अदालत ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि रिकॉर्ड नहीं मिलने का बहाना बन गया है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के बेटे ने अदालत से कुछ घंटों का समय लेकर दस्तावेज लाने का दावा किया और दो घंटे बाद डिक्री होल्डर के बेटे विकास सेखरी ने अदालत को सूचित किया कि उन्होंने सब-रजिस्ट्रार कार्यालय के बाहर वकील की मदद से रिकॉर्ड प्राप्त कर लिए। सीईआरएसएआई पोर्टल से निकाले गए दस्तावेजों में संपत्ति संख्या 189-90 प्रतिवादी के परिजनों के नाम दर्ज पाए गए।