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Delhi : द्वारका की जमीन ऊपर उठी... भूजल ने लौटाई जिंदगी, इसरो–आईआईटी अध्ययन में दर्ज हुआ बदलाव का संकेत

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Fri, 31 Oct 2025 06:34 AM IST
सार

यह दिलचस्प और अहम बदलाव राजधानी के दक्षिण-पश्चिम इलाके द्वारका में देखा गया है। 

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Delhi: Dwarka's land rose... groundwater brought back life
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : iStock
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राजधानी में पहली बार ऐसा हुआ है कि जहां पहले जमीन धंस रही थी, अब वही जमीन ऊपर उठने लगी है। यह दिलचस्प और अहम बदलाव राजधानी के दक्षिण-पश्चिम इलाके द्वारका में देखा गया है। 



भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और आईआईटी के वैज्ञानिकों के संयुक्त अध्ययन के अनुसार, यह परिवर्तन भूजल स्तर में सुधार का नतीजा है, यानी जमीन के नीचे का पानी फिर से भरने लगा है। 
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यह अध्ययन वाटर रिसोर्सेज रिसर्च नामक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसका शीर्षक है,‘इनसार रिवील्स रिकवरी ऑफ स्ट्रेस्ड एक्वीफर सिस्टम्स इन पार्ट्स ऑफ दिल्ली’। इसमें अक्तूबर, 2014 से अक्तूबर, 2023 तक के उपग्रह डेटा का विश्लेषण किया गया है।
  
अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली के कई हिस्सों में जमीन का धंसाव रुक गया है और कुछ इलाकों में जमीन 5 से 10 सेंटीमीटर तक ऊपर उठी है। द्वारका में यह उठाव लगभग 2 सेंटीमीटर प्रति वर्ष की दर से हो रहा है, जो करीब 988 एकड़ क्षेत्र में दर्ज किया गया है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बदलाव इस बात का संकेत है कि भूजल भंडारण में सुधार हो रहा है और जमीन के भीतर का पानी का दबाव फिर से संतुलित हो रहा है। शोध के अनुसार, द्वारका और आसपास के क्षेत्रों जैसे विकासपुरी, जनकपुरी और डाबरी पश्चिम में जलस्तर हर साल कुछ सेंटीमीटर बढ़ा है। वहीं, छावला गांव, ककरौला और सागरपुर में जलस्तर लगभग स्थिर है या थोड़ा घटा है। 

एनसीआर के अन्य हिस्सों में अभी भी गंभीर स्थिति  
शोधकर्ताओं का कहना है कि दिल्ली में यह बदलाव उम्मीद जगाने वाला है लेकिन एनसीआर के अन्य हिस्सों में अभी भी गंभीर स्थिति बनी हुई है। उन्होंने सुझाव दिया कि लगातार उपग्रह निगरानी और भूजल प्रबंधन योजनाओं के जरिए उन इलाकों की पहचान की जानी चाहिए, जहां पुनर्भरण की दर कम है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि दिल्ली की नीतियां और नागरिक सहभागिता ने सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं।

यह सुधार 2 से 7 अरब लीटर पानी प्रति वर्ष के बराबर
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यह सुधार 2 से 7 अरब लीटर पानी प्रति वर्ष के बराबर है, जो सैकड़ों ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूलों को भरने या एक बड़े दिल्ली मोहल्ले की सालभर की जल आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। 2018 से 2021 के बीच दिल्ली में वर्षा घटने के बावजूद भूजल स्तर 1.5 मीटर से अधिक बढ़ा है।

अध्ययन के अनुसार, यह दिल्ली सरकार की 2016 की भूजल नीति का असर है, जिसके तहत नए बोरवेल पर रोक लगाई गई। साथ ही, वर्षा जल संचयन अनिवार्य किया गया और नई इमारतों में पुनर्भरण संरचनाएं बनाना जरूरी किया गया। अध्ययन के मुताबिक, दिल्ली के बाहर गुड़गांव में स्थिति अभी भी चिंताजनक है, हालांकि सुधार के संकेत मिले हैं।

2014 से 2023 के बीच वहां की जमीन एक मीटर से अधिक धंसी, लेकिन 2018 के बाद धंसने की रफ्तार 15 सेंटीमीटर प्रति वर्ष से घटकर 10 सेंटीमीटर रह गई है। वहीं, फरीदाबाद में हालात अभी खराब हैं। वहां जमीन के धंसने की दर 2 सेंटीमीटर से बढ़कर 4-5 सेंटीमीटर प्रति वर्ष हो गई है। 

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