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Delhi: बिना कक्षा कोई स्कूल कैसे चल सकता है?, जानें MCD स्कूल को लेकर हाईकोर्ट ने क्यों की टिप्पणी
पीटीआई, दिल्ली
Published by: अनुज कुमार
Updated Thu, 17 Jul 2025 12:24 PM IST
सार
दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी के खिड़की गांव में चल रहे स्कूल को लेकर कहा कि बिना सुविधा के कोई स्कूल कैसे चल सकता है। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने आदेश में कहा कि यह समझ से परे है कि बिना क्लासरूम के और केवल चारदीवारी, शौचालय और पेयजल की सुविधा के साथ कैसे स्कूल चल रहा है।
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दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आश्चर्य व्यक्त किया कि केवल चारदीवारी, शौचालय और पेयजल की सुविधाओं के साथ, बिना कक्षाओं के कोई स्कूल कैसे संचालित हो सकता है। यह टिप्पणी तब की गई जब अदालत को बताया गया कि खिड़की गांव में एमसीडी द्वारा संचालित एक प्राथमिक विद्यालय, जो सूफी संत यूसुफ कत्तल के मकबरे से सटी हुई है, जिसमें कक्षाओं को छोड़कर कुछ सुविधाओं की मरम्मत और नवीनीकरण की अनुमति दी गई है।
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मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने 2 जुलाई, 2025 के आदेश में कहा था कि स्कूल के संचालन के लिए 14 मई के पत्र में अनुमति प्राप्त सुविधाओं के अलावा कक्षाओं की भी आवश्यकता होगी। अदालत ने यह भी कहा कि बिना कक्षाओं के केवल बुनियादी सुविधाओं के साथ स्कूल चलाना समझ से परे है।
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यह मामला उस स्कूल से संबंधित है, जिसका निर्माण 1949 में दक्षिणी दिल्ली के खिड़की गांव में हुआ और बच्चों के लिए शिक्षा देने के उद्देश्य से मकबरे के साथ दीवार साझा करते हुए किया गया था। याचिकाकर्ता, खिड़की गांव निवासी कल्याण संघ के वकील ने तर्क दिया कि 60 वर्षों के बाद स्कूल के पुनर्निर्माण की जरूरत महसूस हुई, क्योंकि गांव और आसपास के क्षेत्रों की आबादी बढ़ गई है।
स्कूल का पुराना ढांचा 2012 में ध्वस्त कर दिया गया था और इसके 350 छात्रों को दूसरे एमसीडी स्कूल में ट्रांसफर कर दिया गया था। लेकिन, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई ने पुनर्निर्माण पर रोक लगा दी। एएसआई ने कहा था कि मकबरे के निषिद्ध क्षेत्र में निर्माण की अनुमति नहीं है और इसके लिए एएसआई से एनओसी आवश्यक है। अदालत ने नोट किया कि संघ की पिछली याचिका पिछले साल इसलिए खारिज की गई थी, क्योंकि एमसीडी ने एएसआई से नई अनुमति के लिए आवेदन किया था।