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COVID-19: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से कोविड-19 तैयारियों पर तत्काल जानकारी मांगी, कहा- महामारी अभी खत्म नहीं
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: श्याम जी.
Updated Mon, 02 Jun 2025 04:48 PM IST
सार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से कोविड-19 के लिए नमूना संग्रह और परिवहन नीति पर दिशा-निर्देश मांगे। अदालत ने चेतावनी दी कि महामारी अभी भी सक्रिय है और तत्काल उपाय जरूरी हैं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई 2025 के लिए निर्धारित की है।
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दिल्ली हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कोविड की अगली लहर की तैयारियों के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट मांगा है। कोर्ट ने सैंपल कलेंक्शन, सैंपल सेंटर और परिवहन नीति के लिए न्यूनतम मानकों को स्थापित करने में देरी पर चिंता जताई। न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया ने कहा कि हालांकि यह विश्वास है कि आवश्यक कदम और प्रोटोकॉल लागू हैं, लेकिन इन्हें आधिकारिक तौर पर रिकॉर्ड में लाया जाना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।
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कोर्ट ने 28 मई के अपने आदेश में कहा कि कोविड-19 की अगली महामारी अभी खत्म नहीं हुई है और समुदाय में सक्रिय है। ऐसे में 30 मई 2023 की बैठक के बाद उठाए गए कदमों में किसी भी कमी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र से तत्काल मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को अंतिम रूप देने और लागू करने की मांग की।
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यह मामला डॉ. रोहित जैन द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें उन्होंने 27 जनवरी 2023 के हाई कोर्ट के एक आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया था। उस आदेश में केंद्र को जैन की याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानकर 12 सप्ताह में तर्कसंगत निर्णय लेने का निर्देश दिया गया था। जैन ने दावा किया कि आदेश के बावजूद, सैंपल कलेक्शन, सैंपल सेंटर और परिवहन के लिए न्यूनतम मानकों पर कोई दिशानिर्देश तैयार नहीं किए गए।
केंद्र को 12 सप्ताह में निर्णय का निर्देश
पीठ ने जैन की याचिका का निपटारा करते हुए केंद्र को इसे एक अभिवेदन के रूप में लेने और 12 सप्ताह में तर्कसंगत आदेश पारित करने का निर्देश दिया। अदालत ने केंद्र की स्थायी वकील मोनिका अरोड़ा को यह सुनिश्चित करने को कहा कि संबंधित अधिकारी निर्देशों से अवगत हों और छह सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट पेश करें।
30 मई 2023 की बैठक और उप-समितियों का गठन
30 मई, 2023 को स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त महानिदेशक की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, जिसमें याचिकाकर्ता को भी आमंत्रित किया गया था। बैठक में पैथोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, हेमेटोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी विशेषज्ञों की चार उप-समितियों के गठन का निर्णय लिया गया। इन समितियों को नमूना संग्रह, केंद्रों और परिवहन नीति के लिए मानक प्रक्रियाएं और भंडारण दिशानिर्देश तैयार करने थे।
उप-समितियों की प्रगति पर कोई अपडेट नहीं दिया
अदालत ने पाया कि केंद्र ने बैठक के निर्णयों और उप-समितियों की प्रगति पर कोई अपडेट नहीं दिया। हालांकि, प्रथम दृष्टया उप-समितियों के गठन के निर्णय के आधार पर अवमानना याचिका कायम न रहने की बात कही गई।
अगली सुनवाई 18 जुलाई को
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई 2025 के लिए निर्धारित की है और केंद्र से तत्काल मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को लागू करने और स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने की अपेक्षा की है।