दिल्ली में 600 स्कूलों पर बड़ा एक्शन: 10 को कारण बताओ नोटिस, फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन; हाईकोर्ट से फटकार
Delhi School Fee Hike: राजधानी में निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी को लेकर अभिभावकों का विरोध थम नहीं रहा है। बुधवार को 19 अलग-अलग स्कूलों के अभिभावकों ने शिक्षा निदेशालय के मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। साथ ही प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रोष व्यक्त किया।
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निजी स्कूलों की ओर से की जा रही फीस वृद्धि से बच्चों के अभिभावक काफी नाराज हैं। इस मामले पर आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा की प्रदेश सरकार को घेरा है। तो वहीं दिल्ली सरकार के मंत्री आशीष सूद ने साफ कहा है कि सरकार एक्शन ले रही है। 600 स्कूलों से ऑडिट की गई रिपोर्ट जुटाई है। जबकि हाईकोर्ट ने डीपीएस विवाद पर स्कूल को कड़ी फटकार लगाई है।
रिपोर्ट के आधार पर होगी सख्त कार्रवाई: आशीष सूद
फीस विवाद पर दिल्ली के ऊर्जा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि आज दिल्ली की शिक्षा में ऐतिहासिक दिन है। पहली बार डीएम की अध्यक्षता वाली समिति ने डीपीएस के खिलाफ कार्रवाई की है। जिसने दिल्ली सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती दी थी। अदालत ने हमारे रुख को बरकरार रखा और डीएम को छात्रों के लिए उचित शिक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। आगे कहा कि मनमानी फीस वृद्धि के खिलाफ 5 साल के विरोध के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार के प्रयासों से आखिरकार डीपीएस को जवाबदेह ठहराया गया है। अब हम समिति की रिपोर्ट के आधार पर सख्त कार्रवाई करेंगे। स्कूल प्रशासक चाहे कितने भी प्रभावशाली हों, यह सरकार जनहित के खिलाफ जाने वाली कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं करेगी।
#WATCH | Delhi | On Delhi fee hike issue, Delhi Power Minister Ashish Sood says, "Today marks a historic day in the education of Delhi. For the first time, a DM-headed committee took action against DPS which had challenged the Delhi government's decision in court. The court… pic.twitter.com/YpBRUfOnQZ
— ANI (@ANI) April 16, 2025
पूर्व सरकार पर निशाना साधा, पूछे सवाल
दिल्ली के मंत्री ने आगे कहा कि मैं आतिशी और उनकी सरकार के पिछले सीएम से भी सवाल करना चाहता हूं कि इतने सालों तक स्कूलों के अनिवार्य ऑडिट की अनदेखी क्यों की गई? स्कूलों को बिना उचित जांच के मनमानी फीस बढ़ाने की अनुमति क्यों दी गई? पहले जहां सालाना सिर्फ 75 स्कूलों का ऑडिट होता था, वहीं हमारी सरकार ने सिर्फ 7 दिनों में 600 स्कूलों से ऑडिट की गई रिपोर्ट जुटाई है। हमने पहले ही 10 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। और हम दिल्ली के सभी 1,670 स्कूलों का ऑडिट करने के लिए काम कर रहे हैं। हम पिछले लेन-देन की जांच करेंगे और सभी को जवाबदेह ठहराएंगे।
स्कूल फीस बढ़ोतरी पर मनीष सिसोदिया की प्रतिक्रिया
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने भी सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बच्चों को पढ़ाना दुस्पप्न बन चुका है। फीस की लूट अपने चरम पर है और भाजपा सरकार शिक्षा माफिया की ढाल बनकर खड़ी है। पार्टी ने कहा कि मंगलवार को एक स्कूल की घटना इसका उदाहरण है, जहां बच्चियों को स्कूल में बंद कर रखा गया और बुधवार को उन्हें स्कूल में घुसने तक नहीं दिया गया। आप का कहना है कि स्कूल प्रशासन को न तो मुख्यमंत्री का डर है और न ही सरकार का। आप ने कहा कि यदि भाजपा सरकार निजी स्कूलों पर अंकुश नहीं लगाएगी, तो दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी।
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आप के प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि फीस वृद्धि की समस्या को लेकर अभिभावकों को मजबूर होकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है। उन्होंने अभिभावकों के प्रदर्शन की वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करते हुए सरकार पर कई सवाल भी उठाए। उन्होंने कहा कि आखिर भाजपा सरकार निजी स्कूलों की मनमानी पर एक्शन क्यों नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की अपनी विधानसभा में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार मूकदर्शक बनी है।
हाईकोर्ट से डीपीएस द्वारका को फटकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने फीस ना चुका पाने पर छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार पर डीपीएस द्वारका को फटकार लगाई। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि स्कूल ने छात्रों को सामान की तरह माना और उन्हें लाइब्रेरी में बंद कर कक्षाओं में भाग लेने से रोका, जो अक्षम्य है। कोर्ट ने स्कूल को पैसे कमाने की मशीन करार देते हुए कहा कि ऐसी संस्था को बंद कर देना चाहिए। अदालत में बुधवार को कई छात्र अपनी स्कूल यूनिफॉर्म में किताबें और बैग लिए माता-पिता के साथ मौजूद थे। न्यायमूर्ति ने कहा, मुझे इस बात की चिंता है कि स्कूल ने छात्रों के साथ शर्मनाक और अमानवीय व्यवहार किया। फीस न चुका पाने की स्थिति स्कूल को छात्रों के साथ ऐसी अपमानजनक हरकत करने का लाइसेंस नहीं देती।
छात्रों को कक्षाओं से बाहर न निकाले प्रबंधन
अदालत ने बुधवार को ने दक्षिण-पश्चिम जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता वाली आठ सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट का अवलोकन किया। रिपोर्ट में फीस वृद्धि विवाद के बीच स्कूल द्वारा छात्रों के खिलाफ कई भेदभावपूर्ण व्यवहारों को उजागर किया गया। अभिभावकों ने दावा किया कि स्कूल प्रबंधन ने अनाधिकृत फीस न चुकाने पर उनके बच्चों को परेशान किया गया। अदालत ने स्कूल को निर्देश दिया कि वह छात्रों को लाइब्रेरी में बंद न करे, उन्हें कक्षाओं में भाग लेने दे, अन्य छात्रों से अलग न करे, उनके दोस्तों के साथ बातचीत करने से न रोके और स्कूल की सुविधाओं का उपयोग करने से न रोके। अदालत सभी प्रभावित छात्रों को पुन: प्रवेश दे, उनका सेक्शन निर्धारित करे और उन्हें कक्षाओं के वाट्सएप ग्रुप से भी दोबारा जोड़ा जाए।
प्रिंसिपल के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करनी चाहिए
अदालत ने कहा कि ऐसे व्यवहार के लिए स्कूल के प्रिंसिपल के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करनी चाहिए। मामला छात्रों की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। छात्रों के वकील ने दावा किया कि वे स्वीकृत फीस राशि चुकाने को तैयार हैं, जबकि स्कूल के वकील ने कहा कि दिसंबर में छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन मार्च तक उन्होंने बकाया नहीं चुकाया, जिसके बाद उन्हें स्कूल ना आने को कहा गया। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के वकील ने बताया कि 8 अप्रैल को स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसमें एक सप्ताह में यह स्पष्ट करने को कहा गया कि स्कूल की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई क्यों न की जाए।