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Cyber Crime: डिजिटल अरेस्ट कर 50 करोड़ ठगने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह का खुलासा, मास्टरमाइंड समेत 10 गिरफ्तार

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Wed, 17 Dec 2025 01:48 AM IST
सार

आरोपियों की धरपकड़ के लिए पुलिस ने दिल्ली, केरल, मुंबई (महाराष्ट्र), ओडिसा, पंजाब, यूपी और हरियाणा समेत 7 राज्यों में छापा मारा।

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International gang that defrauded people of over 50 crore rupees through digital arrests exposed.
डिजिटल अरेस्ट। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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दक्षिण-पूर्व जिले की शाहीन बाग थाना पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट कर अब तक 50 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर चुके अंतरराष्ट्रीय गिरोह का खुलासा कर मास्टरमाइंड समेत 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की धरपकड़ के लिए पुलिस ने दिल्ली, केरल, मुंबई (महाराष्ट्र), ओडिसा, पंजाब, यूपी और हरियाणा समेत 7 राज्यों में छापा मारा। एक आरोपी को दुबई जाते समय मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया है। गिरोह से जुड़ी 66 शिकायतें एनीआरआरपी पोर्टल पर पाई गई हैं। इस सिंडिकेट के 2 आरोपी डिजिटल धोखाधड़ी के विभिन्न मामलों में वांछित हैं।

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दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस उपायुक्त हेमंत तिवारी ने बताया कि शाहीन बाग, दिल्ली निवासी तनबीर अहमद पुत्र तौफीक अहमद ने 7 दिसंबर, 2025 को शाहीन बाग में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें अज्ञात आरोपियों पर 99,888 रुपये ठगने का आरोप लगाया था। आरोपियों ने खुद को कर्नाटक पुलिस का अधिकारी बताते हुए व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिये जघन्य अपराधों में शामिल होने की बात कहकर धमकाया था। शाहीन बाग थानाध्यक्ष दिनेश कुमार, एसीपी सोनू राम, एसआई गर्वित व एसआई अक्षय डागर की टीम ने जांच शुरू की। पुलिस टीम ने नेटवर्क को जोड़ने के लिए फाइनेंशियल ट्रेल से लेकर टेक्निकल ट्रेल तक विभिन्न सुरागों का विश्लेषण किया। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान और ओडिसा में टेक्निकल सर्विलांस और लगातार फील्ड वर्क का इस्तेमाल करते हुए आरोपियों को पकड़ा गया। इनमें दो एसी धारक और दो फैसिलिटेटर हैं।
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गिरफ्तार आरोपी और उनका अपराध

धर्मेंद्र चौहान- किरावली, पोस्ट शेरपुर, थाना बहादुरगढ़, जिला हापुड़, यूपी निवासी धर्मेंद्र चौहान (34) इस सिंडिकेट का सक्रिय सदस्य है। उसने म्यूल अकाउंट की खरीद का समन्वय किया और धोखाधड़ी कर रकम निकालने में मदद की। वह पहले भी साइबर फ्रॉड के मामले में शामिल रहा है।
सोमवीर सैनी- बड़ा मंदिर, पाकबड़ा, जिला मुरादाबाद, यूपी निवासी सोमवीर सैनी (29) ने गैंग के लिए ऑपरेशन और म्यूल अकाउंट की खरीद में सहायता की।
मोहम्मद एहतेशामुल हक- गांव चरथावल, मुजफ्फरनगर, यूपी निवासी मोहम्मद एहतेशामुल (35) मुख्य समन्वयक रहा। इसने सहयोगियों से म्यूल अकाउंट प्राप्त किए और फंड ट्रांसफर किया। साथ ही कैश देने के लिए दिल्ली में केरल स्थित आरोपियों से मुलाकात की। इसे मुंबई एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया है। वह पहले भी साइबर फ्रॉड के एक मामले में शामिल रहा है।
संतोष कुमार खंडाई- गांव सतासोला, जिला भद्रक, ओडिसा निवासी संतोष (32) आरोपी कई डिवाइस और सिम कार्ड का उपयोग करके अवैध सिम एक्टिवेशन और व्हाट्सएप ऑथेंटिकेशन में शामिल रहा।
मुहम्मद बुगारी पी पी- अपराध की कमाई को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उससे जुड़े बैंक खातों पर राष्ट्रीय साइबर रिपोर्टिंग पोर्टल पर कई शिकायतें हैं।
मुहम्मद शाहिद- टी- डेबिट कार्ड और संचार का केंद्रीय हैंडलर रहा है। व्यापक नेटवर्क और जांच से पता चला है कि गिरफ्तार आरोपी एक बड़े अंतरराज्यीय और सीमा पार साइबर फ्रॉड नेटवर्क का हिस्सा था।
केरल निवासी मुहम्मद बुगारी पीपी पुत्र मुहम्मद कोया (32) पहले 2 आपराधिक मामलों में शामिल रहा है।
मुहम्मद शाहिद- केरल निवासी मुहम्मद शाहिद पुत्र सुलेमान (3)0 पूर्व में 2 आपराधिक मामलों में शामिल रहा है।
नितेश कुमार- सीकर राजस्थान निवासी नितेश (22) पुत्र प्रह्लाद। .
देव उर्फ सोनू एसपी- झुंझुनू राजस्थान निवासी देव (21) पुत्र सुरेश सैनी
इम्तियाज- झुंझुनू राजस्थान निवासी (19) पुत्र तजमुल ।
महेश्वर पुंटिया उर्फ अजय पुंटिया - ओडिसा निवासी महेश्वर (24) पुत्र क्षेत्रपाल पुंटिया।

काम करने का तरीका:
ये डिजिटल अरेस्ट करके पीड़ितों को झूठे आपराधिक मामलों की धमकी देते थे और पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया जाता था। पुलिस अधिकारी बनकर व्हाट्सएप वीडियो कॉल की जाती थी, जिसमें आधार के दुरुपयोग और आपराधिक मामलों से संबंधित झूठी कहानियों का सहारा लिया जाता था।

पुलिस की अपील व सलाह
साइबर स्मार्ट बनें और डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड से सुरक्षित रहें।
कोई भी पुलिस, कोर्ट, सीबीआई, ईडी, या सरकारी एजेंसी किसी को भी फोन, वीडियो कॉल, व्हाट्सएप या किसी अन्य डिजिटल माध्यम से गिरफ्तार या जांच नहीं करती है। एक सूचित, सतर्क और जागरूक नागरिक साइबर अपराध के खिलाफ सबसे मजबूत बचाव है। अपराधी डर और गोपनीयता पर पनपते हैं। जागरूकता, सत्यापन और समय पर रिपोर्टिंग उन्हें हरा देती है। दिल्ली पुलिस जनता से अपील करती है कि भरोसा करने से पहले सत्यापन करें, बिना देरी किए रिपोर्ट करें, और परिवार के सदस्यों, खासकर वरिष्ठ नागरिकों के बीच जागरूकता फैलाएं।

ध्यान रखें:

  • कानून में ऑनलाइन गिरफ्तारी का कोई प्रावधान नहीं है। डिजिटल माध्यम से कोई गिरफ्तारी नोटिस नहीं दिया जा सकता है।
  • पुलिस कभी भी व्हाट़्सएप या वीडियो कॉल के ज़रिए गिरफ्तारी की धमकी नहीं देती है।
  • पुलिस कभी भी सत्यापन के लिए या गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसे नहीं मांगती है।
  • अगर आपको ऐसे कॉल आते हैं तो क्या करें-
  • अगर आपको ऐसा कॉल आता है:
  • घबराएं नहीं – डर धोखेबाज का सबसे बड़ा हथियार है।
  • तुरंत कॉल काट दें।
  • ओटीपी, बैंक डिटेल्स, या दस्तावेज़ शेयर न करें
  • अपने नज़दीकी स्थानीय पुलिस स्टेशन को सूचित करें या 1930 पर कॉल करें या www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें

 

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