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JNU: जेएनयू छात्रों को पुलिस ने 12 घंटे बाद थाने से छोड़ा, शिक्षक संघ ने की प्रशासनिक निष्क्रियता की निंदा

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Mon, 20 Oct 2025 02:22 AM IST
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सार

पुलिस ने 28 छात्रों को हिरासत में लिया था। इसमें जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारी भी शामिल थे। पुलिस ने मार्च के दौरान हुए बवाल मामले में छह छात्रों के खिलाफ वंसतकुंज उत्तरी थाना में प्राथमिकी दर्ज की है।

JNU students were released from the police station after 12 hours.
JNU में हंगामा - फोटो : अमर उजाला
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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों को मार्च के दौरान हिरासत में लेने के बाद पुलिस ने रविवार सुबह करीब 12 घंटे बाद छोड़ दिया। पुलिस ने 28 छात्रों को हिरासत में लिया था। इसमें जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारी भी शामिल थे। पुलिस ने मार्च के दौरान हुए बवाल मामले में छह छात्रों के खिलाफ वंसतकुंज उत्तरी थाना में प्राथमिकी दर्ज की है।

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जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष नीतीश कुमार, उपाध्यक्ष मनीषा और महासचिव मुंतेहा फातिमा सहित अन्य तीन छात्रों को पुलिस ने बाउंड डाउन (पाबंद) किया है। जबकि बाकी छात्रों को धारा 65 अधिनियम के तहत हिरासत में लेकर मेडिकल जांच के बाद उनके प्रोफेसर को सौंप दिया। पुलिस का कहना है कि छात्रों ने अनुमति के बिना मार्च किया था। कानून व्यवस्था भंग की और कार्रवाई आवश्यक थी।
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वहीं इस पूरे प्रकरण पर जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष मनीषा ने कहा कि पुलिस ने 12 घंटे से अधिक समय तक थाने में बिठाकर रखा। इसमें करीब नौ छात्राएं थी। छात्रों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया गया। छात्र संघ ने मार्च का आह्वान जातिगत टिप्पणी और जेएनयू छात्र संघ चुनाव को लेकर आयोजित जनरल बॉडी मीटिंग के बाद मारपीट के विरोध में किया था। लेकिन पुलिस ने मार्च में शामिल छात्रों के साथ मारपीट की और हिरासत में लेकर थाने ले गई।

पुलिस ने जातिगत टिप्पणी संबंधी मामले में मुकदमा दर्ज करने की जगह उलटा हमारे ऊपर प्राथमिकी दर्ज कर दी। हम मुकदमा दर्ज करवाकर रहेंगे चाहे इसके लिए दोबारा से मार्च करना पड़े। उधर, जेएनयू शिक्षक संघ ने पुलिस बर्बरता और जेएनयू प्रशासन की निष्क्रियता की निंदा की है। शिक्षक संघ के अनुसार दिल्ली पुलिस ने जेएनयू छात्रों के साथ हिंसा की।

जेएनयू में पुतला दहन कर जताया विरोध
लेफ्ट समर्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पदाधिकारियों के खिलाफ साबरमती ढाबा के पास पुतला दहन किया गया। साथ ही स्कूल ऑफ सोशल साइंस और स्कूल ऑफ लैंग्वेज में आयोजित जनरल बाॅडी मीटिंग में चुनाव समिति की मनमानी के खिलाफ विरोध दर्ज कराया गया।

एबीवीपी जेएनयू की ओर से प्रदर्शन का आह्वान किया गया था। जेएनयू संयुक्त सचिव वैभव मीणा ने कहा, अध्यक्ष नीतीश कुमार ने चुनाव समिति सदस्य की एकतरफा घोषणा जेएनयू के लोकतांत्रिक नियमों का खुला उल्लंघन है। छात्रों का विश्वास तोड़ा गया है। हम इस तानाशाही को चुनौती देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी हो।

एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष मयंक पंचाल ने कहा कि लेफ्ट हर चुनाव से पहले विक्टिम कार्ड खेलता है। लेकिन इस बार उनका झूठ सबके सामने है। एबीवीपी यह स्पष्ट कर देना चाहती है कि जब तक चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी नहीं होगी और हमलावरों पर कार्रवाई नहीं होगी हमारा विरोध शांतिपूर्ण लेकिन मजबूती से जारी रहेगा।
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