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बंकर रोकेगा रेडिएशन: कैंसर के इलाज में नहीं आएगी अब अड़चन, सफदरजंग अस्पताल में लगेगी लीनियर एक्सीलेरेटर मशीन

राकेश शर्मा, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विजय पुंडीर Updated Thu, 21 Sep 2023 08:55 AM IST
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सार

सफदरजंग अस्पताल में कैंसर का उपचार करवाने वाले मरीजों के लिए लीनियर एक्सीलेरेटर मशीन लगेगी। इस मशीन के संचालन से पहले रेडिएशन रोकने के लिए बंकर बनाना होगा। इसके बाद ही एक्सीलेरेटर मशीन की सुविधा शुरू होगी।

Linear accelerator machine will be installed for patients in Safdarjung Hospital
सफदरजंग अस्पताल - फोटो : अमर उजाला
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नाभिकीय विकिरण रोकने के लिए सफदरजंग अस्पताल में बंकर बनाया जाएगा। इससे कैंसर मरीजों के तीमारदार समेत परिसर में मौजूद दूसरे लोगों के प्रभावित होने की आशंका नहीं रहेगी। लीनियर एक्सीलेरेटर बेस-प्लेट (बंकर) का आकार बड़े हॉल के बराबर होगा। धातुओं से बने बंकर की दीवार इतनी मोटी होगी कि नाभिकीय विकिरण की आशंका नहीं रहेगी। निर्माण एजेंसी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने इसके लिए सफदरजंग अस्पताल को करीब पांच करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है। अस्पताल प्रशासन ने मंजूरी के लिए इसे स्वास्थ्य मंत्रालय में भेज दिया है।

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दरअसल, सफदरजंग अस्पताल में कैंसर का उपचार करवाने वाले मरीजों के लिए लीनियर एक्सीलेरेटर मशीन लगेगी। इस मशीन के संचालन से पहले रेडिएशन रोकने के लिए बंकर बनाना होगा। इसके बाद ही एक्सीलेरेटर मशीन की सुविधा शुरू होगी। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि तुलनात्मक रूप से इस मशीन से ज्यादा विकिरण होता है। इसकी वजह यह है कि यह सीधे कैंसर ट्यूमर वाले हिस्से पर रेडिएशन डाला जाता है, जो दूसरी कोशिकाओं (स्वस्थ) को खत्म करने के बजाय केवल कैंसर कोशिकाओं को खत्म करता है। इसमें दूसरी मशीनों के मुकाबले ज्यादा रेडिएशन निकलता है। इस थैरेपी के शुरू होने के बाद उस हिस्से से पूरी तरह कैंसर ट्यूमर को खत्म किया जाना संभव होगा। वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इस बंकर को बनाने की दिशा में काम हो रहा है। उम्मीद है कि प्रस्ताव जल्द पास हो जाएगा, जिसके बाद इस बंकर का निर्माण किया जाएगा। 

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80 फीसदी मरीजों में होता है इस्तेमाल
लगभग 80 फीसदी कैंसर मरीजों पर लीनियर एक्सीलेरेटर की जरूरत पड़ती है। डॉक्टरों की माने तो गले का कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, लंग्स का कैंसर सहित अन्य सभी तक के मरीजों पर इसका इस्तेमाल हो सकता है। यह काफी सुरक्षित माना जाता है और इसका असर भी काफी ज्यादा होता है। 

अभी चार माह की वेटिंग, आगे होगी कम
सफदरजंग अस्पताल में रेडियोथेरेपी करवाने आ रहे कैंसर मरीजों को अभी तीन से चार माह का वेटिंग समय दिया जा रहा है। अस्पताल में अभी कोबाल्ट बेस रेडिएशन मशीन है। इसकी मदद से कैंसर मरीजों को रेडियोथेरेपी दी जाती है। अभी जिस तरह से रेडिएशन दी जा रही है, उसमें कोशिश की जाती है कि अन्य कोशिकाओं को कम नुकसान हो, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाता। डॉक्टरों की माने तो लीनियर एक्सीलेरेटर मशीन लगने के बाद सफदरजंग अस्पताल में रोजाना 70 से 80 मरीजों को रेडिएशन थेरेपी दी जा सकेगी। ऐसा होने के    बाद अस्पताल में रेडिएशन लेने आ रहे मरीजों की वेटिंग तेजी से घटेगी। उम्मीद है कि कुछ ही दिनों में यह पूरी तरह से खत्म भी हो सकेगा। 

रोज आते हैं 400-500 मरीज 
सफदरजंग अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 300-400 मरीज कैंसर का उपचार करवाने आते हैं। यह एम्स के बाद यह केंद्र सरकार का दिल्ली में दूसरा सबसे बड़ा सेंटर है। यहां उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा सहित दूरदराज से हर साल हजारों मरीज उपचार करवाने आते हैं। ऐसे में लंबी वेटिंग मिलने के बाद कई बार दूर क्षेत्र से आए मरीजों को निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है,जबकि कैंसर मरीजों का उपचार काफी महंगा है।
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