एसआरसीसी बिजनेस कॉन्क्लेव 2025: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बोले- जीवन में लक्ष्य और दृष्टिकोण तय होने चाहिए
ओम बिरला बृहस्पतिवार को श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) के बिजनेस कॉन्क्लेव 2025 में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। तीन दिवसीय कॉन्क्लेव का आयोजन एसआरसीसी छात्र यूनियन की ओर से किया जा रहा है। इसमें अमर उजाला एक्सीलेंस पार्टनर है।
विस्तार
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का मानना है कि जीवन में लक्ष्य, दिशा और दृष्टिकोण तय होने चाहिए। जितना विशाल दृष्टिकोण और विचार होगा, उतने ही हम बड़ा बनेंगे। हर व्यक्ति के जीवन में चुनौतियां रही हैं, लेकिन जिसने धैर्य से काम लिया वह आगे बढ़ता चला गया है। एक व्यक्ति लालटेन में पढ़कर भी देश का बड़ा व्यक्ति बन सकता है और एक व्यक्ति महलों में रहकर भी बड़ा व्यक्ति नहीं बन सकता है।
ओम बिरला बृहस्पतिवार को श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) के बिजनेस कॉन्क्लेव 2025 में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। तीन दिवसीय कॉन्क्लेव का आयोजन एसआरसीसी छात्र यूनियन की ओर से किया जा रहा है। इसमें अमर उजाला एक्सीलेंस पार्टनर है।
ओम बिरला ने सवाल किया कि आखिर पढ़ाई क्या देती है, शिक्षा में पास होने के बाद क्या प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा कि बीबीए और बीकॉम में उत्तीर्ण होना लक्ष्य नहीं है। सिर्फ परीक्षा में पास होकर आगे निकलना बहुत संकुचित दृष्टिकोण है। यह समय जीवन के व्यापक दृष्टिकोण का है। बदलाव जीवन में होना चाहिए। हर समय, हर व्यक्ति में, हर क्षण दुनिया के अंदर बदलाव हो सकता है।
छात्रों को संसद आने का दिया निमंत्रण
ओम बिरला ने छात्रों को लोकतंत्र के मंदिर में आने के लिए भी आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि तानाशाह राज कभी आगे नहीं बढ़ा है। दुनिया में जहां भी तानाशाही आई, उस देश की स्थिति देख रहे हैं। जिस देश के अंदर लोकतंत्र मजबूत होता रहा वह देश आगे बढ़ता रहा।
भारत के अंदर लोकतंत्र की ताकत बहुत बड़ी है। यह सब के जीवन में होनी चाहिए। एसआरसीसी की उप प्रधानाचार्य डॉ. अरुणा झा ने कहा कि हम 100 साल पूरे कर रहे हैं। इन्हीं छात्र में से कोई निकलेगा जो बदलाव, नवाचार, नेतृत्व में योगदान करेगा। भारत समृद्ध और विकसित बनेगा।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा- सकारात्मक दिशा की ओर जिद्द होनी चाहिए
ओम बिरला ने कहा कि यह सामर्थ्य और आत्मविश्वास जीवन में हर व्यक्ति के अंदर होना चाहिए, जिसमें यह आत्मविश्वास होता है वही बदलाव लाता है, इसलिए जिद होनी चाहिए, लेकिन सकारात्मक दिशा की ओर जिद्द होनी चाहिए। जिद जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लाती है। शिक्षा हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करती है। आध्यात्मिक ज्ञान भी आंतरिक ऊर्जा देता है।
खुद का किस्सा सुनाया
ओम बिरला ने खुद का एक किस्सा सुनाते हुए छात्रों को बताया कि स्कूल समय से राजनीतिक और सामाजिक जीवन का शौक था। आठवीं कक्षा में स्कूल के अध्यक्ष थे। उस समय जब कोई साइंस और गणित लेता था तो माहौल अलग होता था। मगर मैंने अपनी दिशा तय कर रखी थी। सामाजिक-राजनीतिक जीवन में जाना है। मुझे कॅरिअर बनाने का शौक नहीं था। इतना पढ़ा कि सिर्फ पास हो जाऊं। कॉलेज के पहले वर्ष में महासचिव बना। दूसरे वर्ष में एक वोट से चुनाव हार गया।