पढ़ें क्यों हो रहा है ऐसा: कम उम्र में डायबिटीज दे रहा दस्तक, 25-30 साल के युवा सबसे अधिक; ये तीन कारण सबसे आम
18 वर्ष से कम आयु के किशोर में टाइप-1 डायबिटीज होती है। वहीं, 18 से अधिक के पुरुषों में टाइप-2 डायबिटीज होती है। टाइप-2 में सामान्यतया उम्रदराज और मोटे लोगों को डायबिटीज होती है।
विस्तार
अब मधुमेह सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई है। इस बीमारी ने बच्चों से लेकर युवाओं को भी अपने चपेट में ले लिया है। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में आने वाले डायबिटीज के मरीजों की संख्या कुछ यही बयां कर रही है। सप्ताह में करीब 600 मरीज डायबिटीज के आ रहे हैं। इनमें पांच से आठ मरीज 10 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं। डायबिटीज के मरीजों में 25 से 35 वर्ष के युवा सबसे अधिक हैं। डॉक्टरों के अनुसार बच्चों में डायबिटीज की बीमारी का मुख्य कारण असंतुलित खानपान, मोटापा और तनाव है।
जिम्स में मंगलवार, बुधवार व शुक्रवार को मधुमेह की ओपीडी होती है। इसमें हर दिन करीब 200 मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। इनमें 40 से 50 मरीज नए होते हैं। अस्पताल में बुखार, खांसी की जांच कराने वाले मरीजों में मधुमेह की पुष्टि हो रही है। जिम्स के सीएमएस डॉ. सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि बदलती जीवन शैली व भागदौड़ भरी जिदंगी में इंसान तनावग्रस्त हो रहा है और घर का खाना न खाने के बजाय लोग फास्ट फूड पर निर्भर हो गए हैं। जो मधुमेह का कारण बन रहे हैं। फास्ट फूड में कई प्रकार के रंग युक्त व्यंजन होते हैं जो हमारे शरीर पर असर डालते हैं। फसलों और सब्जियों में लगातार कीटनाशकों का छिड़काव भी मुधुमेह कारण है। इससे बचने के लिए नियमित व्यायाम करें और तनाव से दूर रहें।
18 वर्ष से कम आयु के किशोर में टाइप-1 डायबिटीज होती है। वहीं, 18 से अधिक के पुरुषों में टाइप-2 डायबिटीज होती है। टाइप-2 में सामान्यतया उम्रदराज और मोटे लोगों को डायबिटीज होती है।
- थकावट की शिकायत रहना
- बार-बार प्यास लगना
- बार-बार पेशाब आना
- ज्यादा भूख लगना
- वजन का लगातार गिरते जाना
- किसी घाव का जल्दी न भरना
- सिर दर्द
- आंखों के आगे अंधेरा होना
- फास्ट फूड खाने से दूर रहे
- प्रतिस्पर्धा के बीच तनाव को दूर रखें
- शारीरिक व्यायाम नियमित रूप से करें
- शरीर का सामान्य वजन बनाए रखें