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UP:'मैं डॉक्टर नहीं हूं, मेरा बेटा बनेगा असली डॉक्टर', अधूरा रहा गया पिता का ख्वाब- अब सिर्फ दीपक की यादें
अमर उजाला नेटवर्क, गोरखपुर
Published by: नोएडा ब्यूरो
Updated Thu, 18 Sep 2025 01:44 AM IST
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सार
पिता के सपनों को सच करने के लिए दीपक ने अपनी पढ़ाई को ही सबसे बड़ा लक्ष्य बना लिया था। शिक्षक बताते हैं कि बायोलॉजी ही नहीं, बल्कि फिजिक्स और केमिस्ट्री में भी दीपक बेहद तेज था। दीपक की जिद थी कि वह पिता का सपना पूरा करेगा।

मृतक दीपक गुप्ता हाथ में ट्राफी लिए( फाइल फोटो), रोती बिलखती मां
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
गांव के छोटे से घर में पले-बढ़े दीपक के सपनों की उड़ान बहुत बड़ी थी। उसके पिता दुर्गेश गुप्ता कंपाउंडर हैं। वर्षों से गांव के लोगों की छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज करते आ रहे हैं। लोग उन्हें डॉक्टर कहकर बुलाते हैं लेकिन वह हमेशा कहते थे ''मैं डॉक्टर नहीं हूं, मेरा बेटा बनेगा असली डॉक्टर'। यही ख्वाब उन्होंने दीपक की आंखों में डाले थे।
इंटर में उसने इस वर्ष 88 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। गांव में रहकर पढ़ाई करने वाले किशन पांडेय से वह कोचिंग पढ़ता था। टीचर ने बताया कि पढ़ाई में वह बहुत तेज था। नीट के पाठ्यक्रम से जुड़े नोट्स उसे उपलब्ध करा दिए थे। इसके बाद वह पढ़ाई में जुट गया था।
पिता के सपनों को सच करने के लिए दीपक ने अपनी पढ़ाई को ही सबसे बड़ा लक्ष्य बना लिया था। शिक्षक बताते हैं कि बायोलॉजी ही नहीं, बल्कि फिजिक्स और केमिस्ट्री में भी दीपक बेहद तेज था। दीपक की जिद थी कि वह पिता का सपना पूरा करेगा।
पिता भी इलाज के बीच से समय निकालकर बेटे की पढ़ाई में मदद करते थे। जब भी लोग उन्हें डॉक्टर कहकर बुलाते, तो दुर्गेश कहते कि ''''असली डॉक्टर तो मेरा दीपक बनेगा''''। अब दीपक के जाने के बाद यह सपना अधूरा रह गया। उसकी बातों को याद कर घर पर लोगों की आंखें नम हो जा रही हैं।

इंटर में उसने इस वर्ष 88 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। गांव में रहकर पढ़ाई करने वाले किशन पांडेय से वह कोचिंग पढ़ता था। टीचर ने बताया कि पढ़ाई में वह बहुत तेज था। नीट के पाठ्यक्रम से जुड़े नोट्स उसे उपलब्ध करा दिए थे। इसके बाद वह पढ़ाई में जुट गया था।
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पिता के सपनों को सच करने के लिए दीपक ने अपनी पढ़ाई को ही सबसे बड़ा लक्ष्य बना लिया था। शिक्षक बताते हैं कि बायोलॉजी ही नहीं, बल्कि फिजिक्स और केमिस्ट्री में भी दीपक बेहद तेज था। दीपक की जिद थी कि वह पिता का सपना पूरा करेगा।
पिता भी इलाज के बीच से समय निकालकर बेटे की पढ़ाई में मदद करते थे। जब भी लोग उन्हें डॉक्टर कहकर बुलाते, तो दुर्गेश कहते कि ''''असली डॉक्टर तो मेरा दीपक बनेगा''''। अब दीपक के जाने के बाद यह सपना अधूरा रह गया। उसकी बातों को याद कर घर पर लोगों की आंखें नम हो जा रही हैं।