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अदालत की टिप्पणी: चार साल की बच्ची से दुष्कर्म केस में पुलिस का रवैया चौंकाने वाला, कार्यशैली पर उठाए सवाल
अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली
Published by: शाहरुख खान
Updated Tue, 09 Dec 2025 03:31 PM IST
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : Adobe Stock
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दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने सोमवार को चार साल की बच्ची से बेरहमी से दुष्कर्म मामले और अंतरिम मुआवजा दिए जाने की सुनवाई करते हुए पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह चौंकाने वाला है कि पुलिस इतने घिनौने और संवेदनशील मामले में इतनी लापरवाही से काम कर रही है।
कोर्ट ने पहले जांच अधिकारी से विक्टिम इम्पैक्ट रिपोर्ट (वीआईआर) मांगी थी। न्यायाधीश ने कहा कि पीड़ित के दोनों निजी अंग फट गए और वह 15-16 दिनों तक गंभीर हालात में अस्पताल में भर्ती रही।
बच्चे के पिता की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी बच्चे को तुरंत 5 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा दे। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल प्रोसीजर लगभग एक साल तक चलना था, लेकिन इस बात का यकीन नहीं था कि उसके प्राइवेट पार्ट ठीक हो जाएंगे।
गंभीर बात यह है कि न तो जांच अधिकारी (आईओ) मौजूद है, न उनकी ओर से कोई व्यक्ति मौजूद है। न ही एडवांस नोटिस के बावजूद कोई वीआईआर दायर की गई है।
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कोर्ट ने पहले जांच अधिकारी से विक्टिम इम्पैक्ट रिपोर्ट (वीआईआर) मांगी थी। न्यायाधीश ने कहा कि पीड़ित के दोनों निजी अंग फट गए और वह 15-16 दिनों तक गंभीर हालात में अस्पताल में भर्ती रही।
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बच्चे के पिता की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी बच्चे को तुरंत 5 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा दे। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल प्रोसीजर लगभग एक साल तक चलना था, लेकिन इस बात का यकीन नहीं था कि उसके प्राइवेट पार्ट ठीक हो जाएंगे।
गंभीर बात यह है कि न तो जांच अधिकारी (आईओ) मौजूद है, न उनकी ओर से कोई व्यक्ति मौजूद है। न ही एडवांस नोटिस के बावजूद कोई वीआईआर दायर की गई है।
न्यायाधीश ने आईओ और थाना प्रभारी (एसएचओ) के बर्ताव की बुराई करते हुए कहा कि पुलिस अधिकारियों की लापरवाही के लिए पीड़ित और उसके परिवार को परेशान नहीं होने दिया जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि अंतरिम मुआवजे की कार्रवाई वीआईआर पर विचार किए बिना की जा रही है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि ऑर्डर की एक कॉपी संबंधित पुलिस उपायुक्त को भेजी जाए।
मुआवजे के पहलू के बारे में कोर्ट ने एक अलग ऑर्डर में कहा कि पीड़ित की तकलीफ सोच से भी परे है क्योंकि वह सिर्फ चार साल की बच्ची है। कोर्ट ने कहा कि इन हालात में इस कोर्ट की यह जिम्मेदारी है कि वह पीड़ित और उसके माता-पिता की मदद करे और इस परिवार के दुखों को कुछ हद तक कम करे।
चैतन्यानंद सरस्वती को एक दिन की पुलिस रिमांड में भेजा
वहीं, पटियाला हाउस कोर्ट ने फर्जी नंबर प्लेट मामले में सोमवार को चैतन्यानंद सरस्वती को एक दिन की पुलिस रिमांड में भेजा। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अनिमेश कुमार ने यह फैसला सुनाया। वह अभी एक और मामले में न्यायिक हिरासत में हैं, जिसमें उन पर यहां एक निजी इंस्टीट्यूट में 16 स्टूडेंट्स का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है। इससे पहले अदालत ने बाबा चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ दायर दिल्ली पुलिस के आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था।
अदालत ने आरोप पत्र में लगाए गए आरोपों में से एक धारा पर पुलिस से सफाई मांगी थी, जिसे अतिरिक्त लोक अभियोजक ने स्पष्ट किया था। दिल्ली पुलिस ने उन्हें छेड़छाड़ के एक मामले में न्यायिक हिरासत में रहते हुए औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था। उन पर फर्जी डिप्लोमैट नंबर प्लेट का इस्तेमाल करने का आरोप है। मामले में आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती समेत पांच को आरोपी बनाया गया। साथ ही, 1077 पन्नों की चार्जशीट में 43 गवाह हैं। सरस्वती पर एक निजी मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की 17 महिला छात्र के यौन उत्पीड़न का आरोप है। अपराध शाखा ने 27 सितंबर की रात आगरा के एक होटल से चैतन्यानंद को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि दिल्ली के एक निजी प्रबंधन संस्थान के पूर्व चेयरमैन रहते हुए उसने 17 छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की।
वहीं, पटियाला हाउस कोर्ट ने फर्जी नंबर प्लेट मामले में सोमवार को चैतन्यानंद सरस्वती को एक दिन की पुलिस रिमांड में भेजा। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अनिमेश कुमार ने यह फैसला सुनाया। वह अभी एक और मामले में न्यायिक हिरासत में हैं, जिसमें उन पर यहां एक निजी इंस्टीट्यूट में 16 स्टूडेंट्स का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है। इससे पहले अदालत ने बाबा चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ दायर दिल्ली पुलिस के आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था।
अदालत ने आरोप पत्र में लगाए गए आरोपों में से एक धारा पर पुलिस से सफाई मांगी थी, जिसे अतिरिक्त लोक अभियोजक ने स्पष्ट किया था। दिल्ली पुलिस ने उन्हें छेड़छाड़ के एक मामले में न्यायिक हिरासत में रहते हुए औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था। उन पर फर्जी डिप्लोमैट नंबर प्लेट का इस्तेमाल करने का आरोप है। मामले में आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती समेत पांच को आरोपी बनाया गया। साथ ही, 1077 पन्नों की चार्जशीट में 43 गवाह हैं। सरस्वती पर एक निजी मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की 17 महिला छात्र के यौन उत्पीड़न का आरोप है। अपराध शाखा ने 27 सितंबर की रात आगरा के एक होटल से चैतन्यानंद को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि दिल्ली के एक निजी प्रबंधन संस्थान के पूर्व चेयरमैन रहते हुए उसने 17 छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की।