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Delhi Blast: एनआईए ने संभाली जांच, एक महीना बाद भी चल रही है रिमांड और पेशी; पीड़ित परिवारों में असंतोष
नितिन राजपूत, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Wed, 10 Dec 2025 06:29 AM IST
सार
वकीलों ने कहा कि चार्जशीट दाखिल होने में अभी समय लगेगा, इससे पीड़ित परिवारों में निराशा और असंतोष बढ़ रहा है।
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लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास धमाका, file
- फोटो : PTI
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विस्तार
राजधानी में 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए बम ब्लास्ट को एक महीना हो गया, लेकिन इस आतंकी साजिश के मुख्य मुकदमे की शुरुआत अब तक अदालत में नहीं हो सकी है। धमाके में 15 लोगों की मौत हुई और 20 से अधिक लोग घायल हुए थे । शुरुआत में मामले की जांच दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के पास थी, लेकिन 18 नवंबर को गृह मंत्रालय ने इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी।
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एनआईए ने अब तक सात प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसमें कथित मास्टरमाइंड और विस्फोटक जुटाने वाले लोग शामिल हैं। सभी आरोपी फिलहाल एनआईए की हिरासत में हैं। हालांकि, पटियाला हाउस कोर्ट में अब तक केवल रिमांड बढ़ाने और आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर ही सुनवाई हो रही है। मुख्य मामले का आरोपपत्र चार्जशीट दाखिल करने की प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हुई है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय लिंक और तकनीकी साक्ष्यों की वजह से जांच में अतिरिक्त समय लग रहा है।
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पीड़ित परिवार में बढ़ रहा असंतोष
वकीलों ने कहा कि चार्जशीट दाखिल होने में अभी समय लगेगा, इससे पीड़ित परिवारों में निराशा और असंतोष बढ़ रहा है। कानून कहता है कि चार्जशीट दाखिल करने की 90 दिन की समय-सीमा आमतौर पर पूरी की जाती है, इसलिए अभी कम से कम दो महीने और लग सकते हैं। इस देरी से मृतकों के परिजनों में निराशा है। पीड़ित परिवार के सदस्यों ने कहा कि हमारे बच्चे की लाश भी ठीक से नहीं मिली थी। एक महीना बीत गया, लेकिन न्याय की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। आरोपी जेल में आराम से हैं, जबकि हम सड़कों पर भटक रहे हैं। एनआईए के अनुसार, यह एक सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल की साजिश थी, जिसमें कश्मीर और फरीदाबाद के डॉक्टरों व धार्मिक व्यक्तियों का नेटवर्क शामिल था। ब्लास्ट में इस्तेमाल वाहन (हुंडई आई20) को अमोनियम नाइट्रेट से लादा गया था और पुलवामा निवासी मुख्य संदिग्ध डॉ. उमर उन-नबी खुद को उड़ा लेने वाला आत्मघाती हमलावर था। जांच में विदेशी हैंडलर्स के लिंक भी सामने आए हैं।
अदालत में अब तक क्या हुआ
- 17 नवंबर: एनआईए ने कार के रजिस्टर्ड मालिक व जम्मू-कश्मीर के पंपोर निवासी अमीर राशिद अली को गिरफ्तार किया। अदालत ने उन्हें 10 दिनों की एनआईए कस्टडी दी। जांच में पता चला कि अमीर ने डॉ. उमर के साथ साजिश रची थी
- 20 नवंबर: चार और प्रमुख आरोपी गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल शकील गनई (पुलवामा), डॉ. अदील अहमद राथर (अनंतनाग), डॉ. शाहीन सईद (लखनऊ) और मौलवी इरफान अहमद वागे (शोपियां)। ये व्हाइट-कॉलर मॉड्यूल के कथित सदस्य थे। अदालत ने सभी को 10 दिनों की कस्टडी दी
- 26 नवंबर: फरीदाबाद निवासी उमर को शरण देने का आरोपी सोयब अली और अमीर राशिद अली को अदालत में पेश किया गया। एनआईए ने व्यापक नेटवर्क उजागर करने के लिए कस्टडी मांगी
- 27 नवंबर: अनंतनाग निवासी, ड्रोन मॉडिफिकेशन में सहयोगी जसीर बिलाल वानी को 7 दिनों की एनआईए कस्टडी दी गई। वानी ने कथित तौर पर रॉकेट बनाने में मदद की थी
- 29 नवंबर: चारों डॉक्टरों और मौलवी की 10 दिनों की रिमांड बढ़ी
- 3 दिसंबर: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक पीआईएल खारिज की, जिसमें ट्रायल की निगरानी के लिए कोर्ट कमेटी बनाने की मांग थी। जसीर बिलाल वानी की कस्टडी 7 दिनों के लिए बढ़ाई गई
- 5 दिसंबर: सोयब अली की कस्टडी 10 दिनों के लिए बढ़ी
- 8 दिसंबर: तीन डॉक्टरों (मुजम्मिल गनई, अदील राथर, शाहीन सईद) और मौलवी इरफान की कस्टडी 4 दिनों के लिए बढ़ाई गई
- 9 दिसंबर: आरोपी आमिर राशिद अली की एनआईए कस्टडी सात दिन के लिए बढ़ा दी। साथ ही, एक नए आरोपी बिलाल नासिर मल्ला को भी सात दिन हिरासत में भेज दिया