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Threat to Aravalli: ग्रामीणों को दिखता है खनन... अधिकारियों को नहीं, पर्यावरण प्रेमियों को इसलिए लग रहा है डर

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Fri, 26 Dec 2025 06:11 AM IST
सार

खनन माफिया 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ी के बगल में मलबा या मिट्टी डालकर उसे ऊंचा कर सकते हैं ताकि पहाड़ी सुप्रीम कोर्ट के मानक से कम दिखे। इससे पहाड़ी की वास्तविक ऊंचाई कम हो जाएगी और माफिया खनन का दावा कर सकेंगे। 

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Threat to Aravalli: Villagers see the mining... but officials don't
चरखी दादरी जिले का अरावली क्षेत्र। 
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विस्तार
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पुन्हाना उपमंडल के गोधोला, तुसैनी, जखोकर और हथनगांव गांवों में अवैध खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। प्रशासन और खनन विभाग की सुस्ती के चलते खनन माफिया बेखौफ होकर अरावली की पहाड़ियों को छलनी करने में जुटा है। हैरानी की बात यह है कि जखोकर गांव के सरपंच मजलिस द्वारा बीते दिनों खनन अधिकारियों को लिखित शिकायत देने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है।

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ग्रामीणों का आरोप है कि अवैध खनन का कार्य मुख्य रूप से रात के अंधेरे में किया जा रहा है, ताकि विभागीय कार्रवाई से बचा जा सके। गोधोला गांव के लोगों का कहना है कि खनन से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां रात के समय गांव के बीचोंबीच से होकर गुजरती हैं। इससे न केवल ग्रामीणों की नींद प्रभावित हो रही है, बल्कि दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। भारी वाहनों की आवाजाही से गांव की सड़कों को नुकसान पहुंच रहा है और घरों में कंपन महसूस किया जा रहा है। बृहस्पतिवार दोपहर बाद जब तुसैनी गांव की अरावली शृंखला का दौरा किया तो वहां पर दिन में ही ट्रैक्टर ट्रालियों में पत्थर भरने का काम किया जा रहा था।
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ग्रामीणों ने बताया कि अवैध खनन के कारण अरावली पर्वत श्रृंखला का एक बड़ा हिस्सा तेजी से खत्म होता जा रहा है। यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले वर्षों में गोधोला और तुसैनी गांव के आसपास के इलाकों से अरावली की पहचान ही मिट सकती है। जखोकर गांव के सरपंच मजलिस ने बताया कि उन्होंने अवैध खनन को लेकर खनन विभाग को लिखित शिकायत दी थी, लेकिन अब तक कोई निरीक्षण या कार्रवाई नहीं हुई है। 

इससे खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। हथनगांव के ग्रामीणों ने भी आरोप लगाया कि दिन में पहाड़ियों पर गतिविधि कम रहती है, लेकिन रात होते ही ट्रैक्टर सक्रिय हो जाते हैं। वहीं इस बारे में जिला खनन अधिकारी सुरेन्द्र सिंह सोलंकी से संपर्क करने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

अधिकारियों के पास टका सा जवाब
सोशल मीडिया पर अरावली को लेकर हल्ला मचा हुआ है और स्थानीय निवासी भी चिंतित हंै लेकिन अधिकारियों को यह नजर नहीं आता है। अवैध खनन का ताजा मामला खंड के गांव घाटा का है। यहां मिट्टी के पहाड़ों को खनन माफिया गैरकानूनी तरीके से खुदाई करके नष्ट करने में तुले हैं। हालांकि फिरोजपुर झिरका वन रेंज अधिकारी सहदु खान का कहना है कि अगर कोई  खनन कर रहा है तो  उन पर शिकंजा कसा जाएगा। दरअसल, वन विभाग के अंतर्गत आने वाले इस प्रतिबंधित क्षेत्र में कुछ रेत माफिया अवैध खनन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। 

पर्यावरण प्रेमियों के डर की वजह 
आशंका 1:- जमीन ऊंची करना 

खनन माफिया 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ी के बगल में मलबा या मिट्टी डालकर उसे ऊंचा कर सकते हैं ताकि पहाड़ी सुप्रीम कोर्ट के मानक से कम दिखे। इससे पहाड़ी की वास्तविक ऊंचाई कम हो जाएगी और माफिया खनन का दावा कर सकेंगे। 

आशंका 2 :- साइट पर बदलाव 
माफिया उस क्षेत्र के आसपास की भौगोलिक संरचना बदल सकते हैं, जैसे पहाड़ी के नीचे से भूमि का कुछ हिस्सा खोदकर या पहाड़ी के कुछ हिस्से को काटकर उसे छोटे आकार में बदल सकते हैं। इससे पहाड़ी की ऊंचाई कम हो सकती है। 

आशंका 3 :- नकली भूगोल 
खनन माफिया नकली भूगोल रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं, जिसमें यह दिखाया जा सकता है कि पहाड़ी की ऊंचाई 100 मीटर से कम है। इसके लिए वे विशेषज्ञों या स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर झूठी रिपोर्ट भी तैयार कर सकते हैं।

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