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Lok Sabha Election: यूपी के इन सात BJP सांसदों के टिकट दांव पर! कुछ केंद्रीय मंत्रियों का भी कट सकता है पत्ता

Ashish Tiwari आशीष तिवारी
Updated Wed, 06 Mar 2024 01:27 PM IST
सार
भाजपा की बुधवार से होने वाली कोर कमेटी की बैठक में कई महत्वपूर्ण सीटों पर प्रत्याशियों के चयन का फैसला होना है। उत्तर प्रदेश समेत देश के बाकी राज्यों के सियासी नजरिए से भी यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दरअसल उत्तर प्रदेश में 51 सीटों पर प्रत्याशी घोषित होने के बाद अभी कई महत्वपूर्ण सीटें बाकी हैं...
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Lok Sabha Election: Tickets of these seven BJP MPs from UP are at stake
Lok Sabha Election: BJP - फोटो : Amar Ujala/ Rahul Bisht

विस्तार
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उत्तर प्रदेश में भाजपा ने पहले चरण में 51 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए। बाकी बची सीटों पर बुधवार को मंथन होने वाला है। अनुमान यही लगाया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के सात बड़े भाजपा सांसदों का टिकट कट सकता है। हालांकि कुछ अन्य सीटों पर भी टिकटों के कटने की चर्चा हो रही है। जिन सात सांसदों के टिकट काटने की बात हो रही है, उनमें कुछ विवादित नेता भी हैं, तो कुछ संन्यास लेने के मूड में दिख रहे हैं। दरअसल बुधवार को होने वाली भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों के बड़े नेताओं के नाम पर फैसला होना है। चर्चा इस बात की भी है कि कुछ राज्यों के सांसद जो मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं, उनका टिकट भी कट सकता है। जबकि कुछ राज्यों के मंत्रियों और विधायकों को सियासी मैदान में दूसरे चरण की लिस्ट में जगह मिलने की संभावनाएं हैं। अनुमान है कि गुरुवार या शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी की दूसरी लिस्ट भी जारी हो जाएगी।

भाजपा की बुधवार से होने वाली कोर कमेटी की बैठक में कई महत्वपूर्ण सीटों पर प्रत्याशियों के चयन का फैसला होना है। उत्तर प्रदेश समेत देश के बाकी राज्यों के सियासी नजरिए से भी यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दरअसल उत्तर प्रदेश में 51 सीटों पर प्रत्याशी घोषित होने के बाद अभी कई महत्वपूर्ण सीटें बाकी हैं। सूत्रों की मानें, तो इनमें से सात सीटें ऐसी हैं जिन पर प्रत्याशियों के टिकट कटने की सबसे ज्यादा सुगबुगाहट है। इसमें सुल्तानपुर से मेनका गांधी, पीलीभीत से वरुण गांधी, कैसरगंज के सांसद बृजभूषण शरण सिंह, बदायूं की सांसद संघमित्रा मौर्या, गाजियाबाद के सांसद डॉ. (जनरल) वीके सिंह, प्रयागराज की सांसद रीता बहुगुणा जोशी और बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का नाम शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक इन सात सीटों के अलावा बची हुई कुछ अन्य सीटों पर भी टिकटो में बड़े फेरबदल हो सकते हैं।

सूत्रों का कहना है कि जिन सात सीटों पर टिकट बदलने की चर्चा हो रही है, उसमें कई नेता या तो विवादित रहे हैं या फिर अब वह सियासी संन्यास लेने जा रहे हैं। दरअसल बीते कुछ समय से पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी पार्टी लाइन से हटकर अपना बयान देते आए हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि वरुण गांधी को पहली लिस्ट में इसीलिए जगह नहीं दी थी। अगली लिस्ट में उनको ड्रॉप किए जाने की इसीलिए संभावनाएं बन रही हैं। जबकि कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के टिकट पर भी संशय बना हुआ है। बृजभूषण शरण सिंह सिंह पहलवानों के मामले में लगातार विवादों में बने रहे। इसके अलावा प्रयागराज की सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने भी अपने बेटे को सियासी मैदान में उतारने के लिए खुद के संन्यास की घोषणा की थी। माना यही जा रहा है कि इस बार रीता बहुगुणा जोशी का टिकट कट सकता है। इसी तरह बदायूं की सांसद और स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य के टिकट पर भी संकट के बादल छाए हैं।

हालांकि सियासी जानकारों का कहना है कि संघमित्रा मौर्य ने अपने पिता के रामचरितमानस विवाद पर कभी खुलकर कोई टिप्पणी तो नहीं की, लेकिन पार्टी उनके टिकट को लेकर न सिर्फ विचार कर रही है, बल्कि बदायूं में नए सियासी समीकरणों को देखते हुए किसी बड़े और महत्वपूर्ण प्रत्याशी पर दांव लगाने की योजना बना रही है। सूत्रों की मानें तो मेनका गांधी का टिकट अगर नहीं कटता है, तो उनकी संभावित सीट बदली जा सकती है। कहा यही जा रहा है कि अगर वरुण गांधी का टिकट कटता है, तो मेनका गांधी को वापस पीलीभीत से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। वहीं पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का भी टिकट अधर में बताया जा रहा है।

भाजपा ने पहले चरण में सिर्फ उत्तर प्रदेश के ही प्रत्याशियों के टिकट नहीं काटे थे। सभी 47 सीटों पर पुराने प्रत्याशियों को ही रिपीट किया था। जबकि चार हारी हुई सीटों पर नए प्रत्याशी दिए थे। जबकि अन्य राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने कई वर्तमान सांसदों को टिकट नहीं दिया था। अब अनुमान यही लगाया जा रहा है कि उन्हीं राज्यों की तर्ज पर यूपी में बची हुई सीटों में से कइयों पर भाजपा कैंची चलाने वाली है। सूत्रों के मुताबिक चर्चा इस बात की भी हो रही है कि कुछ राज्य सरकारों के मंत्रियों और विधायकों को भी सियासी मैदान में उतारा जा सकता है। दूसरे चरण की सीटों को घोषित करने से पहले बुधवार से होने वाली कोर कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक में ऐसे कई महत्वपूर्ण मंथन हो सकते हैं।

वहीं, भाजपा ने पहले चरण में 51 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। बची हुई 29 सीटों में से 5 सीटें भारतीय जनता पार्टी अपने गठबंधन के सहयोगी दलों को दे रही है। इसमें मिर्जापुर और सोनभद्र सीटें अपना दल के लिए हैं। जबकि घोसी की सीट पर सुभासपा को चुनाव लड़ना है। इसी तरह बिजनौर और बागपत लोकसभा सीट पर राष्ट्रीय लोकदल चुनाव लड़ेगी। जबकि बाकी अन्य सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को प्रत्याशी उतारने हैं। इसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वांचल और बुंदेलखंड समेत अवध की सीटें शामिल हैं। भारतीय जनता पार्टी की चुनाव समिति की बुधवार को महत्वपूर्ण बैठक होनी है। जिसमें उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि कई अन्य राज्यों की महत्वपूर्ण सीटों पर प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक कहा यही जा रहा है कि जिन राज्यों में अभी तक भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशी नहीं घोषित किए हैं, वहां पर कई बड़े नेता और मंत्रियों की सीटें खतरे में पड़ी हैं।

 

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