गोरखपुर: दवा व्यापारियों के साथ कई अन्य लोगों के लगे हैं रुपये, सिंडिकेट की तर्ज पर कर रहे है काम
जो लोग इस काम में शामिल हैं, उन्हें तगड़ा मुनाफा मिलता था। पांच से दस गुने मुनाफे पर यह लोग काम करते थे। पहली बार काफी दिनों बाद मुकदमा दर्ज होने के बाद अन्य व्यापारी भी परेशान हो गए हैं। यही वजह है कि वह अपने-अपने दुकानों से माल हटाना शुरू कर दिए हैं।

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नशीली दवाओं के काले कारोबार में केवल दवा व्यापारियों के रुपये नहीं लगे हैं, बल्कि शहर के कई ऐसे लोग हैं, जिनकी ब्लैक मनी को दवा कारोबार में इस्तेमाल किया गया है। यही वजह है कि नशे का कारोबार करने वाले लोगों का धंधा बड़ी तेजी से फैला।

सूत्रों के मुताबिक दोनों दवा व्यापारी भाई सिंडिकेट की तर्ज पर काम कर रहे हैं। शहर के कई बड़े व्यापारियों ने उन्हें अपने काले धन दे रखे हैं। इनमें सरिया, बिल्डर, सर्राफा और किराना के बड़े व्यापारी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि दोनों भाई इन व्यापारियों के काले धन को खर्च करने के लिए अच्छा खासा ब्याज वसूलते थे।
बताया जाता है कि नशीली दवा के काले कारोबारी आशीष गुप्ता और अमित गुप्ता की बक्शीपुर में छोटी सी दवा की फुटकर दुकान थी। वहां से नशीली दवाएं बिना पर्चे के देते थे। 2001 में इन लोगों ने दवा की छोटी सी दुकान भालोटिया मार्केट में खोली थी, इसके बाद अलग-अलग दुकानें खोल लीं।
संतकबीरनगर में जो माल पकड़े गए हैं, उनमें नशीली गोलियां भी हैं जिसे वह लंबे समय से मंगाकर बिहार, बंगाल सहित पूर्वोत्तर राज्यों में बेचते थे। बताया जा रहा है कि इसकी मार्केट में कीमत पांच से 10 रुपये के बीच हैं। इसका इस्तेमाल ऑपरेशन के दौरान मरीज पर किया जाता है, लेकिन नशे में इस्तेमाल करने वाले इसे एक साथ आठ से 10 गोली खा जाते थे, इसकी वजह से नशा ज्यादा होता था। अवैध रूप से एक गोली 150 से 200 रुपये के बीच बेचते थे।
पांच से दस गुना मिलता है मुनाफा
बताया जा रहा है कि जो लोग इस काम में शामिल हैं, उन्हें तगड़ा मुनाफा मिलता था। पांच से दस गुने मुनाफे पर यह लोग काम करते थे। पहली बार काफी दिनों बाद मुकदमा दर्ज होने के बाद अन्य व्यापारी भी परेशान हो गए हैं। यही वजह है कि वह अपने-अपने दुकानों से माल हटाना शुरू कर दिए हैं।
शहर में हैं दोनों भाई, लगा रहे जुगाड़
बताया जाता है कि मुकदमा दर्ज होने के बाद भी दोनों भाई शहर में ही हैं। मंगलवार को वह कुछ बड़े दवा व्यापारियों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों के यहां भी गए थे। लेकिन, मामला मैनेज नहीं हुआ। इस पर एक भाई मामला मैनेज करने लखनऊ के एक बड़े नेता से मिलने चला गया है। नेता के दम पर वह मामले को मैनेज करने में जुटा है। इसके लिए उसने अच्छी खासी रकम देने की पहल भी की है।
ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने कहा कि दोनों दवा व्यापारी भाइयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है। अब पुलिस मामले की जांच कर रही है। विभाग अपने स्तर से मामले की जांच शुरू कर दी है। इसमें जो भी दोषी मिलेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गिरफ्तार किए गए आरोपियों को रिमांड पर लेने की तैयारी चल रही है।