गोरखपुर: संगठन को मजबूत करने में जुटी ब्राह्मण महासभा, समाज की समस्याओं पर कर रहे चर्चा
संगठन के जिलाध्यक्ष अच्युतानंद पांडेय कहते हैं कि अक्सर ही समाज के नौजवान यह सवाल पूछते हैं कि हर जगह सर्वाधिक चर्चा में रहने के बावजूद नौकरी से लेकर खेती तक में हम क्यों पिछड़ रहे हैं।

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चुनावी माहौल के बावजूद अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा इन दिनों राजनीति के बजाय समाज की समस्याओं पर चर्चा कर रही है। संगठन से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि अपनी पुरानी पहचान को बनाए रखने के लिए पढ़ाई और रोजगार जैसे मुद्दों पर विचार जरूरी है।

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री की डिग्री लेकर पुरोहित का कार्य करने वाले पंडित अनिल शुक्ल ‘शास्त्री’ ब्राह्मण समाज की गिरती साख से परेशान हैं। कहते हैं कि जिस जगह भी कर्मकांड के लिए जाता हूं, पहली चर्चा ब्राह्मण समाज के आचरण को लेकर होती है। होनी भी चाहिए, क्योंकि समाज को दिशा देने वाले लोग अगर खुद ही गलत आचरण करेंगे, तो फिर उन्हें प्रतिष्ठा क्यों मिलेगी। यह अकेले किसी एक पुरोहित का दर्द नहीं है। इस पर उठ रहे सवाल का जवाब अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा भी खोज रही है।
संगठन के जिलाध्यक्ष अच्युतानंद पांडेय कहते हैं कि अक्सर ही समाज के नौजवान यह सवाल पूछते हैं कि हर जगह सर्वाधिक चर्चा में रहने के बावजूद नौकरी से लेकर खेती तक में हम क्यों पिछड़ रहे हैं। इन सवालों का जवाब खोजने के लिए ही हमारा संगठन लगातार प्रबुद्ध लोगों के बीच बैठक कर रहा है। जिलाध्यक्ष कहते हैं कि अब तक जो निष्कर्ष निकलकर आया है, उससे यह साफ है कि ब्राह्मण समाज को अपनी पुरातन साख बचाए रखने के लिए संगठित होना पड़ेगा।
हर समाज का नेता तो हमारा क्यों नहीं
अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा से जुड़े कृष्ण कुमार दूबे, रामलक्षन पांडेय, अश्विनी पांडेय, गिरजाशंकर पांडेय आदि लोग सवाल उठाते हैं कि आज हर जाति का अपना एक संगठन और अगुवा है, लेकिन ब्राह्मण समाज का कोई सर्व मान्य नेता क्यों नहीं है? वजह केवल इतनी भर है कि हमारा जातीय संगठन बहुत कमजोर है। इसलिए अब संगठन को मजबूत करना बहुत जरूरी है, वरना आने वाले कुछ वर्षों में ही ब्राह्मण समाज और अधिक उपेक्षित हो जाएगा।
बच्चों को देंगे संस्कार की शिक्षा
जिलाध्यक्ष अच्युतानंद पांडेय कहते हैं कि संगठन को गतिशील बनाने के साथ-साथ समाज को भी सजग किया जा रहा है। नई पीढ़ी को भी कर्मकांड से जोड़े रखने के लिए, बच्चों को संस्कृत की शिक्षा के लिए प्रेरित किया जा रहा है। युवाओं को कर्मकांड व ज्योतिष की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इससे एक तो रोजगार का संकट कम होगा, दूसरे सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार भी होता रहेगा।