गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा: भाजपा व सपा के बीच सिमटा मुकाबला, बसपा-कांग्रेस भी दमदारी से लड़ेंगी चुनाव
माना जा रहा है कि निषाद पार्टी से समझौते के बाद, भाजपा ने गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त हासिल कर ली है। इस क्षेत्र में निषाद मतदाताओं की संख्या 60 हजार के आसपास है।

विस्तार
गोरखपुर में पिछले दो विधानसभा चुनावों के नतीजों के हिसाब से गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला भाजपा व सपा के बीच ही रहा है। दोनों में जीत भाजपा को मिली थी, लेकिन 2017 के चुनाव में जीत का अंतर बहुत ज्यादा नहीं था। लिहाजा, विधानसभा-22 में भाजपा की चुनाव चुनौतियां बढ़ेंगी। सीट को फिर अपने खाते में लेने का जहां भाजपा पर दबाव रहेगा, वहीं सपा जीतने के लिए पूरा दम लगाएगी। बसपा व कांग्रेस के भी इस सीट को जीतने के दावे हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस ने संयुक्त प्रत्याशी उतारा था, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों की राह अलग है। दोनों दलों के प्रत्याशी चुनाव मैदान में होंगे। सपा से पूर्व विधायक विजय बहादुर यादव ने दावेदारी की है। बसपा पहले ही दारा निषाद को प्रत्याशी बना चुकी है। भाजपा ने प्रत्याशी के नाम का एलान नहीं किया है, लेकिन सीटिंग विधायक होने के नाते विधायक विपिन सिंह की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। कांग्रेस ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। इस सीट पर भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी ने भी दावा ठोंका था, लेकिन अभी बात नहीं बन सकी। अभी यह भी नहीं कहा जा सकता कि बात नहीं बनेगी। बातचीत का सिलसिला जारी है। इस सीट को निषाद बहुल बताया जाता है।
60 हजार के करीब है, निषाद मतदाताओं की संख्या
माना जा रहा है कि निषाद पार्टी से समझौते के बाद, भाजपा ने गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त हासिल कर ली है। इस क्षेत्र में निषाद मतदाताओं की संख्या 60 हजार के आसपास है। पिछले विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद भी चुनाव मैदान में उतरे थे। करीब 34 हजार से ज्यादा वोट पाने में कामयाब हुए थे। निषाद पार्टी के चुनाव मैदान में आने का सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को ही उठाना पड़ा था। बड़ी मुश्किल से भाजपा को जीत मिल सकी थी।
ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र 2017 का चुनाव (कुल मतदान फीसदी 59.84 फीसदी)
पार्टी कुल मिले मत फीसदी
भाजपा 83,686 35.75
सपा-कांग्रेस (संयुक्त प्रत्याशी)79,276 33.83
निषाद पार्टी 34,901 14.89
बसपा 30,097 12.84
नोटा से कम मिले थे आठ प्रत्याशियों को वोट
पिछले चुनाव में 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। सपा, बसपा, भाजपा, निषाद पार्टी को छोड़ दें तो सबकी जमानत जब्त हुई थी। 1634 मतदाता ऐसे थे, जिन्होंने नन ऑफ द एवब (नोटा) का प्रयोग किया था। आठ प्रत्याशी ऐसे थे, जिन्हें नोटा से भी कम वोट मिले थे।
भाजपा को 4410 वोटों के अंतर से मिली थी जीत
2017 में इस क्षेत्र में 3,94,353 मतदाता थे। इसमें से 2,35,963 ने वोट डाला था। भाजपा प्रत्याशी विपिन सिंह को 83,686 वोट मिले थे। सपा के विजय बहादुर यादव को 79,276 वोट मिले थे। भाजपा ने चुनाव 4410 वोटों के अंतर से जीता था।
ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र 2012 का चुनाव (कुल मतदान 55.18 फीसदी)
भाजपा 58,849 31.31
सपा 41,864 22.27
बसपा 41,338 21.99
कांग्रेस 17,636 9.38
29 प्रत्याशी मैदान में, ज्यादातर की जमानत जब्त
2012 में इस क्षेत्र से 29 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, ज्यादातर की जमानत जब्त हो गई थी। स्वराज दल के प्रत्याशी जटाशंकर त्रिपाठी को 6665 वोट मिले थे। बाकी प्रत्याशी 1500 वोट भी नहीं पा सके थे।
भाजपा को 16,985 वोटों के अंतर से मिली थी जीत
विधानसभा-2012 के चुनाव में ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में 3,40,646 मतदाता थे। इनमें से 1,87,979 मतदाताओं ने वोट डाला था। भाजपा प्रत्याशी को 58,849 वोट मिले थे। सपा प्रत्याशी को 41,864 वोट मिले थे। भाजपा प्रत्याशी रहे विजय बहादुर यादव 16,985 वोट से जीते थे।
एक नजर में
2022 के विधानसभा चुनाव में मतदाता
- कुल मतदाता 4,12,471
- पुरुष 2,22,479
- महिला 1,89,967
- थर्ड जेंडर- 17
क्षेत्र के प्रमुख कार्य, जो कराए गए
85 करोड़ से तरकुलानी रेगुलेटर का निर्माण, 62 करोड़ से मनौली बंधे का निर्माण, हार्बर्ट बंधा, चिड़ियाघर (आधा हिस्सा), वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स, नौकायन केंद्र का निर्माण। पराग डेयरी के साथ चंदाघाट पुल का निर्माण, रामलीला मैदान व राप्ती नदी के किनारे सुंदरीकरण का कार्य।
नेताओं ने क्या कहा
भाजपा की चुनावी तैयारी पूरी है। हर बूथ, शक्ति केंद्र व मंडल इकाइयां काम कर रही हैं। केंद्र व राज्य सरकार की उपलब्धियां, जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभ, विकास के एजेंडे के साथ हैं। इस बार बड़ी जीत मिलेगी। - युधिष्ठिर सिंह सैंथवार, जिलाध्यक्ष, भाजपा।
गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र का चुनाव सपा मामूली अंतर से हारी थी। जनता भाजपा से नाराज है। इस बार सपा को ज्यादा समर्थन मिलेगा। चुनावी तैयारी पूरी है। हर मतदाता से संपर्क किया जा रहा है। -कृष्ण कुमार त्रिपाठी, महानगर अध्यक्ष, सपा।
कांग्रेस अकेले ही चुनाव मैदान में है। हर गांव, न्याय पंचायत स्तर पर संगठन खड़ा किया गया है। शहरी क्षेत्र का संगठन भी मजबूती से काम रहा है। कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी की नीतियों से जनता उत्साहित है। समर्थन जरूर मिलेगा। -आशुतोष तिवारी, महानगर अध्यक्ष, कांग्रेस।
बसपा की चुनावी तैयारी सबसे अच्छी है। विधानसभा चुनाव प्रभारी को ही प्रत्याशी बनाया गया है। एक-एक मतदाता से संपर्क किया जा रहा है। इस बार के नतीजे चौंकाने वाले होंगे। बसपा बड़े अंतर से चुनाव जीतेगी। - आलोक मोदी, महानगर अध्यक्ष, बसपा।