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नेपाल में संसद भंग करने के फैसले पर बढ़ा आक्रोश, लोगों ने पीएम ओली का फूंका पुतला

संवाद न्यूज एजेंसी, महराजगंज। Published by: vivek shukla Updated Tue, 22 Dec 2020 06:28 PM IST
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People protest over decision to dissolve parliament in Nepal
नेपाल में प्रदर्शन। - फोटो : अमर उजाला।
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नेपाल में संसद भंग करने के फैसले पर विरोधी दलों में आक्रोश है। नेताओं ने प्रधानमंत्री ओली के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है। मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस सहित विभिन्न दलों ने प्रतिनिधि सभा (संसद सभा) के विघटन पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस ने सरकार के इस कदम को नंदनीय करार दिया है। नेपाल के मधेशी नेताओं ने ओली के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है। सोमवार को रूपनदेही जिले के भैरहवा में बैठक के बाद धकधही समेत अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुआ।

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रूपनदेही जिले के कांग्रेसी सांसद फखरुद्दीन खान ने बताया कि यह घटना लोकतांत्रिक मूल्यों, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएन-यूएमएल) सरकार के लोकतांत्रिक मूल्यों, मानदंडों और संवैधानिक आदेश के खिलाफ है। कांग्रेस पार्टी ने नवीनतम राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा के लिए केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक करेगी। सत्तारूढ़ सीपीएन (माओवादी) के असंतुष्टों के साथ कांग्रेस और जनता समाज पार्टी ने सर्वसम्मति से प्रतिनिधि सभा के विघटन का विरोध किया है।
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जनमत पार्टी के जिलाध्यक्ष भूपेंद्र यादव ने बताया कि प्रतिनिधि सभा को भंग करने का निर्णय असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है। देश की जनता को गुमराह किया गया, जनता भी चुनाव के पक्ष में नहीं है। थारू कल्याण करनी नगर समिति की अध्यक्ष रेखा चौधरी ने कहा कि ढाई-ढाई साल के लिए ओली और प्रचंड के बीच सरकार में रहने की सहमति बनी थी। दो साल पहले ही चुनाव ठीक नहीं। इससे नेपाल की जनता को परेशानी होगी। एक तो कोरोना से जनता है, फिर चुनाव थोपना उचित नहीं है।

 

पीएम ओली पर लगाए गए आरोप

जनता समाजवादी पार्टी रूपनदेही के  जिलाध्यक्ष अजय वर्मा ने बताया कि संसद विघटन के विरुद्ध में मधेशी नेताओं ने आंदोलन की शुरुआत कर दी है, जिसका विभिन्न राजनीतिक दलों ने समर्थन किया है। संसद विघटन की जरूरत नहीं थी। अभी दो साल का कार्यकाल बचा हुआ है। समय पर चुनाव किया जाना चाहिए, कुर्सी के लिए ऐसा हुआ है। प्रधानमंत्री को जनता के हित का ख्याल रखना चाहिए था।

इन स्थानों पर हो रहा विरोध
पोखरा, रूपनदेही, भैरहवां, नवलपरासी, वीरगंज, वीराटनगर, सरलाही, जनकपुर, परसा, सुनसरी, नरायणघाट, भरतपुर, चितवन सहित मधेश के सभी जिलों में विरोध हो रहा है। यहां राजनीतिक दलों के साथ लोग आक्रोश प्रकट कर रहे हैं। मंगलवार को पोखरा के कास्की कस्बे में प्रधानमंत्री ओली का पुतला फूंका गया।
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