सीसीटीवी से सामने आई सच्चाई: एटीएम खोलकर उड़ा ले गए नकदी, सिद्धार्थनगर का एक्सपर्ट निशाने पर
प्रभारी साइबर सेल उपेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि बैंकों की एटीएम में रुपयों का जमा करने का काम प्राइवेट संस्था के पास है। कई ऐसे कर्मचारी हैं, जो किन्हीं वजहों से कुछ समय बाद निकाल दिए गए हैं। इन्हें एटीएम के बारे में पूरी जानकारी हो जाती है और यही लोग अब जालसाजी कर रहे हैं।
विस्तार
गोरखपुर जिले के मोहद्दीपुर में एटीएम में कार्ड फंसाकर अपने मोबाइल नंबर के जरिए जालसाजी करने वालों का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा कि अब एम्स इलाके के नंदानगर में एसबीआई की एटीएम खोलकर नकदी उड़ा लेने की घटना सामने आ गई है।
शुरुआती जांच में पता चला है कि जिस तरह से एटीएम को खोलकर नकदी निकाली गई है, ऐसा कोई एक्सपर्ट ही कर सकता है। ऐसे में कैश डालने वाली संस्था के ही एक पूर्व कर्मचारी पर शक गहरा गया है। वह सिद्धार्थनगर जिले का रहने वाला है।
हालांकि यह घटना छह अगस्त की है, लेकिन कई ग्राहकों के कैश न निकलने की शिकायत के बाद जांच में मामला अब सामने आया है। हैरानी वाली बात यह है कि वारदात के दौरान न तो एटीएम टूटा, न कोई शोर सुना गया और रुपये गायब हो गए। एटीएम से कितनी रकम गायब की गई है, इसकी जांच-पड़ताल जारी है। फिलहाल एम्स पुलिस चोरी और रुपये हड़पने का केस दर्ज कर साइबर एक्सपर्ट की मदद से मामले को सुलझाने में जुटी है।
एसबीआई में कैश डालने वाली संस्था एमएस सिक्योर वॉल्यूस इंडिया लिमिटेड राप्तीनगर फेज चार के प्रबंधक शिवानंदन सिंह ने केस दर्ज कराया है। उनका कहना है कि नंदानगर में एसबीआई की एटीएम में रुपये डाले गए थे। बैंक में रुपये न निकलने की कई शिकायतें आ रही थीं। इसके बाद बैंक की ओर से वीडियो फुटेज की जांच की गई तो पाया गया कि छह अगस्त की शाम 4.50 बजे आठ बजे के बीच में संदिग्ध व्यक्ति ने मशीन खोलकर रुपयों की निकासी की।
एम्स थाना पुलिस ने इसी शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया है। साइबर एक्सपर्ट की मानें तो यह काम बिना किसी जानकारी के नहीं किया जा सकता। आमतौर पर अगर बदमाश, एटीएम में ऐसी वारदात करते हैं तो वह काटने या फिर उठा ले जाने जैसी घटना को अंजाम देते हैं, लेकिन इस घटना में किसी को भनक तक नहीं लग पाई।
केस एक
09 सितंबर 2023: मोहद्दीपुर में एसबीआई की एटीएम में धीरज गुप्ता का कार्ड फंस गया था। जालसाजों ने सामने अपना मोबाइल नंबर लिख दिया था। इस पर धीरज ने संपर्क किया और जालसाजों के जाल में फंसते चले गए। फिर जालसाजों ने शाम में टेक्नीशियन के आने पर आने को कहा था और इस बीच एटीएम से खरीदारी हो गई थी। बाद में वह एटीएम पर गए तो नंबर भी गायब था। पुलिस ने इस मामले में 16 सितंबर को केस दर्ज किया था। जांच में आया कि दिल्ली से जालसाज चले थे। एटीएम कार्ड को निकालने के लिए हुड-की का इस्तेमाल किया गया है। जो नकदी डालने वाली संस्था के कर्मचारी के पास ही होता है। यही वजह है कि इस केस में पूर्व कर्मचारी के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है।
केस दो
पुलिस ने इंजीनियरिंग छात्र समेत दो को पकड़ा था
23 जनवरी 2023: पुलिस ने एसबीआई की एटीएम से जालसाजी कर पांच लाख की ठगी करने के आरोप में कानपुर के साड़ थाना क्षेत्र के सड़सी देवसर निवासी विजय यादव और गोरखपुर के पिपराइच थाना क्षेत्र के जेक्शन इन्क्लेव कॉलोनी निवासी फैज खान को पकड़ा था। पुलिस की जांच में सामने आया था कि विजय इंजीनियरिंग छात्र था। जबकि, इस गिरोह में शामिल उदय नकदी डालने वाली संस्था में कुछ दिन काम कर चुका था। इस वजह से एटीएम की जानकारी रखता था। तीनों मिलकर एटीएम से छेड़छाड़ करते थे। कई बार तो छोटी रकम होने की वजह से बैंक कर्मचारियों ने अपने पास से इसे जमा कर दिया था।
प्रभारी साइबर सेल उपेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि बैंकों की एटीएम में रुपयों का जमा करने का काम प्राइवेट संस्था के पास है। कई ऐसे कर्मचारी हैं, जो किन्हीं वजहों से कुछ समय बाद निकाल दिए गए हैं। इन्हें एटीएम के बारे में पूरी जानकारी हो जाती है और यही लोग अब जालसाजी कर रहे हैं। बिना ऐसे लोगों के इस तरह की जालसाजी की घटनाएं संभव ही नहीं है। पुलिस के साथ ही साइबर एक्सपर्ट भी ऐसे गिरोह पर काम कर रहे हैं, कई सुराग भी हाथ लगे हैं।