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हरियाणा में नई तबादला नीति का विरोध: शिक्षकों ने कहा- जरूरत पड़ी तो जाएंगे कोर्ट, इस शर्त पर अध्यापक संघ नाराज

संवाद न्यूज एजेंसी, अंबाला (हरियाणा) Published by: अमर उजाला ब्यूरो Updated Wed, 10 Dec 2025 10:19 AM IST
सार

हरियाणा अनुसूचित जाति राजकीय अध्यापक संघ के पूर्व प्रदेश प्रेस सचिव मोहन परोचा ने कहा कि यह तबादला नीति विद्यार्थियों, विद्यालयों, शिक्षा तथा शिक्षकों के हितों के बिल्कुल विरुद्ध है।

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Protesting against transfer policy in Haryana teachers said they would go to court if necessary
तबादला आदेश - फोटो : प्रतीकात्मक
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विस्तार
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शिक्षकों के तबादलों में 15 साल की ब्लॉक शर्त पर अध्यापक संघ नाराज है। शिक्षकों को उन्हें अब घर के नजदीकी स्टेशनों से दूर जाने का डर सता रहा है। ऐसे में एक खंड में 15 वर्ष बिताने वाले शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई है, वहीं शिक्षा विभाग जल्द तबादला अभियान भी शुरू करने वाला है। इससे संबंधित शिक्षकों को दूसरे खंड के दूर-दराज के स्टेशनों पर जाने के लिए स्कूलों का विकल्प भरना अनिवार्य हो जाएगा।

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इस मुद्दे को लेकर शिक्षा से जुड़ी सभी यूनियनों ने पुरजोर विरोध शुरू कर दिया है और ज्ञापन के माध्यम से सरकार को 15 वर्ष के फरमान को हटाने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि अन्यथा उन्हें इस मुद्दे पर एक बार फिर कोर्ट की शरण लेनी पड़ेगी।
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शिक्षा प्रणाली को किया जा रहा कमजोर : मोहन परोचा
हरियाणा अनुसूचित जाति राजकीय अध्यापक संघ के पूर्व प्रदेश प्रेस सचिव मोहन परोचा ने कहा कि यह तबादला नीति विद्यार्थियों, विद्यालयों, शिक्षा तथा शिक्षकों के हितों के बिल्कुल विरुद्ध है। इस नीति में तुरंत प्रभाव से संशोधन किया जाना चाहिए। वर्तमान ट्रांसफर पॉलिसी शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने का साधन साबित हो रही है।

15 वर्ष की अनिवार्यता अव्यावहारिक : कमल किशोर
राजकीय अध्यापक संघ हजरस के जिला अध्यक्ष कमल किशोर ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि एक ही खंड में 15 वर्ष की अनिवार्यता अव्यावहारिक तथा असंवैधानिक है और सभी स्वीकृत पद, सभी स्कूल और खंड पूर्णतया खोले जाएं। इसके अलावा मॉडल संस्कृति स्कूलों के समान सामान्य विद्यालयों के शिक्षकों पर खंड में 15 वर्ष की शर्त से मुक्त किया जाए। खंड में 15 वर्ष के बाद विस्थापन की शर्त 1973 की कठोर तबादला नीति की यादें ताजा कर रही है।

मनोहर सरकार ने दी थी राहत : राजेश
राजकीय प्राथमिक शिक्षा संघ में महासचिव राजेश कुमार ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा बनाई गई तबादला नीति सभी अध्यापकों के लिए काफी राहतभरी रही। उस समय अध्यापक को मानसिक रूप से तनाव रहित तथा अपने घर परिवार के समीप स्टेशन भरने का विकल्प दिया गया था जोकि कारगर साबित हुआ। लेकिन वर्तमान नीति में 15 वर्ष की शर्त से प्रत्येक अध्यापक को प्रतिदिन लंबी दूरी की ड्यूटी तथा विस्थापन का डर सता रहा है।

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