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Bhiwani News: म्हारी छोरियों के मुक्के मै सै दम...विश्व मुक्केबाजी कप में भिवानी की प्रीति, जैस्मिन, नुपुर व सचिन ने सोना और पूजा ने जीती चांदी

Amar Ujala Bureau अमर उजाला ब्यूरो
Updated Fri, 21 Nov 2025 01:16 AM IST
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Our girls have real strength in their punches... In the World Boxing Cup, Bhivani's Preeti, Jasmine, Nupur, and Sachin won gold, and Pooja won silver.
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शुभम कौशिक
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भिवानी। ग्रेटर नोएडा स्थित शहीद विजय सिंह पथिक स्पोर्ट्स काॅम्प्लेक्स में चल रहे विश्व मुक्केबाजी कप के फाइनल मुकाबलों में वीरवार को जिले की तीन बेटियों ने सोना और एक ने चांदी जीत कर देश का नाम रोशन कर दिया। इसी स्पर्धा में भाग ले रहे गांव मित्ताथल निवासी सचिन सिवाच ने भी 60 किलोग्राम भारवर्ग में गोल्डन पंच मारते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। प्रीति पंवार ने 54 किलोग्राम, जैस्मिन लंबोरिया ने 57 किलोग्राम और नूपुर श्योराण ने 80 किलोग्राम से अधिक भारवर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किया। वहीं, पूजा रानी को 80 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल मुकाबले में हार के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत जैस्मिन लंबोरिया ने स्वर्ण पदक जीतकर एक साल में तीन बार विश्व मुक्केबाजी चैंपियन बनने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। जैस्मिन के मुक्केबाजी प्रशिक्षक संदीप लंबोरिया ने बताया कि इससे पहले जैस्मिन ने वर्ष 2025 में इंग्लैंड (लीवरपूल) और कजाकिस्तान में आयोजित विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भी पदक जीते थे। इस जीत के साथ वह पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बन गई हैं, जिन्होंने एक ही साल में तीन बार विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया।
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जैस्मिन के माता-पिता जयवीर और जोगिंदर कौर ने बेटी की इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि उन्हें बेटी पर गर्व है। उन्होंने बताया कि जैस्मिन ने बचपन में अपने चाचा संदीप और परविंदर को मुक्केबाजी करते देखा और उनके मार्गदर्शन में इस खेल की तैयारी शुरू की। भिवानी पहुंचने पर भव्य स्वागत किया जाएगा।
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स्वर्ण पदक विजेता सचिन के घर खुशी का माहौल
वीरवार शाम सात बजे जब सचिन विश्व चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले के लिए रिंग में उतरे तो मित्ताथल में उनके परिजनों की निगाहें टीवी स्क्रीन पर टिकीं रहीं। सचिन की बहन नेहा ने बताया कि जैसे ही उनके भाई ने विपक्षी खिलाड़ी को पंच मारना शुरू किया, घर में सभी खुशी से झूम उठे और जोरदार हूटिंग करने लगे। सचिन के स्वर्ण पदक जीतते ही पूरा परिवार खुशी से उछल पड़ा और एक-दूसरे को बधाई देने लगा। उन्होंने कहा कि भाई के घर आने पर भव्य स्वागत किया जाएगा। सचिन के प्रशिक्षक अनिल टेकराम ने बताया कि सचिन भारतीय सेना में कार्यरत हैं और वीरवार को शानदार प्रदर्शन कर जीत दर्ज की।
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बेटी को कामयाब बनाने के लिए परिजनों ने घर छोड़ा
प्रीति पंवार का जन्म 2003 में जिले के गांव बड़ेसरा में हुआ था। उनका गलियों से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक हासिल करने तक का सफर शानदार रहा। प्रीति ने 2017 में मुक्केबाजी खेलना शुरू किया। परिवार में चाचा मुक्केबाजी प्रशिक्षक विनोद को खेलता देख प्रीति ने भी मुक्केबाज बनने की ठानी। विनोद महम में बॉक्सिंग अकादमी चलाते हैं। शुरुआती दिनों में प्रीति का सपना पूरा करवाने के लिए उसे प्रतिदिन सुबह-शाम महम अकादमी में अभ्यास के लिए लेकर जाने लगे। इसके बाद प्रीति के प्रदर्शन और मेहनत देख कर परिवार ने भी गांव छोड़कर महम में रहना शुरू कर दिया ताकि उसे अतिरिक्त समय मिल सकें। प्रीति के स्वर्ण पदक जीतने की खुशी भिवानी और महम दोनों जगह मनाई गई।
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रेलवे में कार्यरत हैं मुक्केबाज नूपुर श्योराण
नूपुर श्योराण ने वीरवार को 80 किलोग्राम से अधिक भारवर्ग में स्वर्ण पदक हासिल कर गांव का नाम रोशन कर दिया। नूपुर के पिता संजय कुमार मुक्केबाजी प्रशिक्षक हैं। दादा कैप्टन हवासिंह हैवीवेट मुक्केबाज रहे हैं। नूपुर अपने परिवार से मुक्केबाजी में भविष्य बनाने वाली तीसरी पीढी है। फिलहाल भारतीय रेलवे में कार्यरत है। पिता संजय श्योराण शहर में कैप्टन हवासिंह के नाम से अकादमी संचालित कर भविष्य के लिए मुक्केबाजी की पौध तैयार कर रहे हैं। संजय श्योराण भीम अवॉर्ड से सम्मानित हैं। नूपुर की माता मुकेश रानी भी बास्केटबॉल की खिलाड़ी रही हैं और एशियाई चैंपियनशिप में पदक विजेता है।
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पूजा को बचपन से ही रहा मुक्केबाजी का शौक
विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में रजत पदक विजेता पूजा रानी बचपन से बॉक्सिंग करना चाहती थीं। 2008 में आदर्श कॉलेज भिवानी में बीए फर्स्ट ईयर की पढ़ाई के दौरान कॉलेज की शारीरिक शिक्षक मुकेश रानी महिला मुक्केबाजों का चयन कर रही थीं। उन्होंने पूजा को देखा तो सोचा कि अच्छी हाइट के कारण यह लड़की मुक्केबाजी में बेहतर कर सकती हैं। यहीं से पूजा के मुक्केबाजी का सफर सफर शुरू हुआ।
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