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Chandigarh-Haryana News: डीएलएफ प्रोजेक्ट मामले में पौधरोपड़ के आदेश का सही पालन नहीं, मामला फिर पहुंचा हाईकोर्ट
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-हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल करते हुए जनहित याचिका पर फिर से सुनवाई की मांग
-हाईकोर्ट ने इस मामले में कोर्ट के सहयोग के लिए नियुक्त किया कोर्ट मित्र
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के डीएलएफ प्रोजेक्ट के लिए काटे गए पेड़ों की एवज में पौधे लगाने के आदेश का सही पालन न होने की दलील देते हुए अर्जी दाखिल की गई है। हाईकोर्ट ने अब निपटाई गई जनहित याचिका को पुनर्जीवित करने की मांग सहित अन्य विषय पर इस मामले में कोर्ट मित्र की नियुक्ति की है।
यह मामला तब सामने आया जब हाईकोर्ट ने एक समाचार रिपोर्ट डीएलएफ प्रोजेक्ट ने अरावली में मचाया बवाल, पर्यावरण कार्यकर्ताओं का मंत्री के घर के बाहर प्रदर्शन पर स्वत: संज्ञान लिया। रिपोर्ट में स्थानीय निवासियों और पर्यावरण प्रेमियों की चिंता जताई गई थी। उन्होंने परियोजना को अरावली की पारिस्थितिकी के लिए विनाशकारी बताते हुए विरोध प्रदर्शन किए थे और संबंधित अधिकारियों को शिकायत सौंपी थीं। हाईकोर्ट ने अपने संज्ञान नोट में खासतौर से पर्यावरण संतुलन और प्रदूषण से जुड़े मुद्दों पर चिंता जताई थी। पीठ ने मामले का निपटारा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे डीएलएफ पर लगाए गए शर्तों की निगरानी करें। इस मामले में कोर्ट को बताया गया कि कोर्ट के आदेश के अनुसार पौधों को लगाने के आदेश का सही पालन नहीं किया जा रहा है। डीएलएफ ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि सितंबर में पौधरोपड़ पूरा किया जा चुका है। सरकार के अधिकारियों ने इसका निरीक्षण भी किया था और इस दौरान एक और शर्त लगा दी गई कि डीएलएफ को पांच साल तक इन पौधों की निगरानी व पोषण करना होगा जिसके लिए कंपनी तैयार है।
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-हाईकोर्ट ने इस मामले में कोर्ट के सहयोग के लिए नियुक्त किया कोर्ट मित्र
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के डीएलएफ प्रोजेक्ट के लिए काटे गए पेड़ों की एवज में पौधे लगाने के आदेश का सही पालन न होने की दलील देते हुए अर्जी दाखिल की गई है। हाईकोर्ट ने अब निपटाई गई जनहित याचिका को पुनर्जीवित करने की मांग सहित अन्य विषय पर इस मामले में कोर्ट मित्र की नियुक्ति की है।
यह मामला तब सामने आया जब हाईकोर्ट ने एक समाचार रिपोर्ट डीएलएफ प्रोजेक्ट ने अरावली में मचाया बवाल, पर्यावरण कार्यकर्ताओं का मंत्री के घर के बाहर प्रदर्शन पर स्वत: संज्ञान लिया। रिपोर्ट में स्थानीय निवासियों और पर्यावरण प्रेमियों की चिंता जताई गई थी। उन्होंने परियोजना को अरावली की पारिस्थितिकी के लिए विनाशकारी बताते हुए विरोध प्रदर्शन किए थे और संबंधित अधिकारियों को शिकायत सौंपी थीं। हाईकोर्ट ने अपने संज्ञान नोट में खासतौर से पर्यावरण संतुलन और प्रदूषण से जुड़े मुद्दों पर चिंता जताई थी। पीठ ने मामले का निपटारा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे डीएलएफ पर लगाए गए शर्तों की निगरानी करें। इस मामले में कोर्ट को बताया गया कि कोर्ट के आदेश के अनुसार पौधों को लगाने के आदेश का सही पालन नहीं किया जा रहा है। डीएलएफ ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि सितंबर में पौधरोपड़ पूरा किया जा चुका है। सरकार के अधिकारियों ने इसका निरीक्षण भी किया था और इस दौरान एक और शर्त लगा दी गई कि डीएलएफ को पांच साल तक इन पौधों की निगरानी व पोषण करना होगा जिसके लिए कंपनी तैयार है।
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