हिसार। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में जारी 85वें इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स सम्मेलन के दूसरे दिन वीरवार को वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और कृषि अर्थशास्त्रियों ने विभिन्न विषयों पर 222 शोध पत्र प्रस्तुत किए। सम्मेलन में देश के 18 राज्यों से करीब 300 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
इनमें पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, मेघालय, मणिपुर, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम, अरुणाचल प्रदेश, केरल, तेलंगाना और हरियाणा के प्रतिभागी शामिल हैं। कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने चार तकनीकी सत्रों में हुए शोध-प्रस्तुतिकरण की जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीण परिवर्तन और समावेशी विकास के तहत कृषि के आधुनिकीकरण, ग्रामीण उद्योगों के विस्तार, डिजिटल ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कौशल विकास और रोजगार जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई।
उन्होंने कहा कि समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, कमजोर वर्गों के लिए नीतियां, महिलाओं की आर्थिक भागीदारी, छोटे-सीमांत किसानों के लिए क्रेडिट, बीमा व मार्केटिंग योजनाओं पर विशेषज्ञों ने गहन मंथन किया। कुलपति ने बताया कि डब्ल्यूटीओ, आर्थिक वृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता के पारस्परिक संबंध विषय पर भी व्यापक समीक्षा की गई। कृषि अर्थशास्त्रियों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं ने एकमत होकर कहा कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था और पर्यावरणीय लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाना आज की सबसे अहम जरूरत है।