{"_id":"6941b45b4e5a924c8e00b8ee","slug":"haryana-famous-for-its-milk-and-curd-has-low-birth-weights-one-in-three-children-weighs-less-than-2500-grams-hisar-news-c-21-hsr1020-771465-2025-12-17","type":"story","status":"publish","title_hn":"Hisar News: दूध-दही के लिए मशहूर हरियाणा में कम वजन के नवजात, हर तीसरा बच्चा 2500 ग्राम से कम","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Hisar News: दूध-दही के लिए मशहूर हरियाणा में कम वजन के नवजात, हर तीसरा बच्चा 2500 ग्राम से कम
संवाद न्यूज एजेंसी, हिसार
Updated Wed, 17 Dec 2025 01:04 AM IST
विज्ञापन
विज्ञापन
हिसार। जित दूध दही का खाणा यो सै म्हारा हरियाणा... कहावत को चरितार्थ करने वाले हरियाणा में नवजात शिशुओं का कम वजन में जन्म लेना चिंता का विषय बनता जा रहा है। खासकर हिसार जिले में हालात गंभीर हैं। जिला नागरिक अस्पताल में अप्रैल 2025 से नवंबर 2025 के बीच हुई 2,015 डिलीवरी में 615 बच्चों का जन्म वजन 2500 ग्राम से कम रहा। इनमें से 76 नवजात ऐसे थे, जिनका वजन 1800 ग्राम से भी कम पाया गया।
कम वजन में जन्म लेने वाले नवजातों को अस्पताल की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में विशेष देखभाल में रखा गया। वजन और स्वास्थ्य में सुधार के बाद उन्हें परिजनों को सौंपा गया। दरअसल, जिला नागरिक अस्पताल में इस अवधि के दौरान नॉर्मल और सी-सेक्शन दोनों प्रकार की डिलीवरी हुईं। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता बरती जाती है।
हर शिशु पर विशेष नजर
जिला नागरिक अस्पताल के कार्यकारी पीएमओ प्रभु दयाल ने बताया कि अप्रैल से नवंबर 2025 तक अस्पताल में कुल 2,015 डिलीवरी हुई हैं। सभी महिलाओं और नवजातों की पूरी देखभाल की जाती है। यदि कोई शिशु कम वजन में जन्म लेता है, तो उसे एनआईसीयू में डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाता है। जब तक उसका वजन और स्वास्थ्य सामान्य स्तर तक नहीं पहुंच जाता, तब तक उसे अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जाती।
माहवार डिलीवरी और कम वजन शिशुओं का विवरण
महीना
डिलीवरी
बच्चे का जन्म
बच्ची का जन्म
समय से पहले हुई डिलीवरी
2500 ग्राम से कम बच्चे
1800 ग्राम से कम बच्चे
अप्रैल 2025
160
93
67
31
43
05
मई 2025
185
88
97
35
31
09
जून 2025
236
140
97
35
96
04
जुलाई 2025
276
152
125
60
62
11
अगस्त 2025
321
170
150
63
98
07
सितंबर 2025
304
154
151
59
117
11
अक्टूबर 2025
253
128
125
30
84
09
नवंबर 2025
280
153
127
60
84
10
गर्भधारण की योजना से पहले जरूरी है जागरूकता
डॉक्टरों का कहना है कि महिलाएं जब गर्भधारण की योजना बनाती हैं, तभी से फॉलिक एसिड जैसे सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर देना चाहिए। साथ ही संतुलित आहार, नियमित जांच और महिला रोग विशेषज्ञ से सलाह बेहद जरूरी है।गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को हरी सब्जियां, प्रोटीन युक्त आहार, आयरन, फॉलिक एसिड और कैल्शियम का सेवन करना चाहिए। इससे न केवल महिला स्वस्थ रहती है, बल्कि शिशु का विकास भी बेहतर होता है। सरकार की ओर से गर्भवती महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। अस्पताल में आने वाली महिलाओं को प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के साथ-साथ आयरन, फॉलिक एसिड और कैल्शियम की दवाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।
-- -- -- -- -- -
गर्भावस्था के दौरान सही पोषण और समय पर जांच बेहद जरूरी है। इससे कम वजन में जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- डॉ. मंजू, बाल रोग विशेषज्ञ।
-- -- -- -- -
कितना होना चाहिए नवजात का वजन
भारत में नवजात शिशु का औसत वजन 2.5 से 3 किलोग्राम के बीच माना जाता है। हालांकि, कुछ शिशु 2.5 किलोग्राम से कम वजन के साथ भी जन्म लेते हैं, जिन्हें चिकित्सकीय निगरानी की आवश्यकता होती है।
-- -- -- -- -
कम वजन में शिशु जन्म के प्रमुख कारण
महिलाओं में जागरूकता का अभाव।
संतुलित आहार की कमी।
गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप।
समय से पहले प्रसव।
गर्भवती महिला को संक्रमण।
भ्रूण के विकास में रुकावट।
Trending Videos
कम वजन में जन्म लेने वाले नवजातों को अस्पताल की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में विशेष देखभाल में रखा गया। वजन और स्वास्थ्य में सुधार के बाद उन्हें परिजनों को सौंपा गया। दरअसल, जिला नागरिक अस्पताल में इस अवधि के दौरान नॉर्मल और सी-सेक्शन दोनों प्रकार की डिलीवरी हुईं। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता बरती जाती है।
विज्ञापन
विज्ञापन
हर शिशु पर विशेष नजर
जिला नागरिक अस्पताल के कार्यकारी पीएमओ प्रभु दयाल ने बताया कि अप्रैल से नवंबर 2025 तक अस्पताल में कुल 2,015 डिलीवरी हुई हैं। सभी महिलाओं और नवजातों की पूरी देखभाल की जाती है। यदि कोई शिशु कम वजन में जन्म लेता है, तो उसे एनआईसीयू में डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाता है। जब तक उसका वजन और स्वास्थ्य सामान्य स्तर तक नहीं पहुंच जाता, तब तक उसे अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जाती।
माहवार डिलीवरी और कम वजन शिशुओं का विवरण
महीना
डिलीवरी
बच्चे का जन्म
बच्ची का जन्म
समय से पहले हुई डिलीवरी
2500 ग्राम से कम बच्चे
1800 ग्राम से कम बच्चे
अप्रैल 2025
160
93
67
31
43
05
मई 2025
185
88
97
35
31
09
जून 2025
236
140
97
35
96
04
जुलाई 2025
276
152
125
60
62
11
अगस्त 2025
321
170
150
63
98
07
सितंबर 2025
304
154
151
59
117
11
अक्टूबर 2025
253
128
125
30
84
09
नवंबर 2025
280
153
127
60
84
10
गर्भधारण की योजना से पहले जरूरी है जागरूकता
डॉक्टरों का कहना है कि महिलाएं जब गर्भधारण की योजना बनाती हैं, तभी से फॉलिक एसिड जैसे सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर देना चाहिए। साथ ही संतुलित आहार, नियमित जांच और महिला रोग विशेषज्ञ से सलाह बेहद जरूरी है।गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को हरी सब्जियां, प्रोटीन युक्त आहार, आयरन, फॉलिक एसिड और कैल्शियम का सेवन करना चाहिए। इससे न केवल महिला स्वस्थ रहती है, बल्कि शिशु का विकास भी बेहतर होता है। सरकार की ओर से गर्भवती महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। अस्पताल में आने वाली महिलाओं को प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के साथ-साथ आयरन, फॉलिक एसिड और कैल्शियम की दवाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।
गर्भावस्था के दौरान सही पोषण और समय पर जांच बेहद जरूरी है। इससे कम वजन में जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- डॉ. मंजू, बाल रोग विशेषज्ञ।
कितना होना चाहिए नवजात का वजन
भारत में नवजात शिशु का औसत वजन 2.5 से 3 किलोग्राम के बीच माना जाता है। हालांकि, कुछ शिशु 2.5 किलोग्राम से कम वजन के साथ भी जन्म लेते हैं, जिन्हें चिकित्सकीय निगरानी की आवश्यकता होती है।
कम वजन में शिशु जन्म के प्रमुख कारण
महिलाओं में जागरूकता का अभाव।
संतुलित आहार की कमी।
गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप।
समय से पहले प्रसव।
गर्भवती महिला को संक्रमण।
भ्रूण के विकास में रुकावट।