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Hisar News: एक परिवार, 5 मुक्केबाज दमदार...भेरिया गांव निवासी 6 भाई-बहनों में से 5 बॉक्सर, खेल के दम पर पाई नौकरी
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बॉक्सर अंकित को अभ्यास करवाते कोच प्रदीप सावंत। स्वयं
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हिसार। गांव की मिट्टी से निकले खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर रहे हैं और खेल के दम पर सरकारी नौकरी भी हासिल कर रहे हैं। हिसार के गांव भेरिया का एक परिवार युवाओं के लिए मिसाल बना हुआ है। इस परिवार में 6 भाई-बहनों में से 5 बॉक्सर हैं, जबकि एक शूटिंग कोच है। खेल के दम पर चार भाई-बहनों को सरकारी नौकरी मिल चुकी है। कोई आर्मी में, कोई रेलवे में तो कोई बैंक में कार्यरत है।
किसान परिवार से संबंध रखने वाले सुरेश कुमार बताते हैं कि उनके एक बेटा और तीन बेटियां हैं। बड़े भाई रमेश कुमार के एक बेटा और एक बेटी है। सभी संयुक्त परिवार के तौर पर रहते हैं। हाल ही में ग्रेटर नोएडा में आयोजित विश्व मुक्केबाजी कप में बेटे अंकुश पंघाल ने रजत पदक जीता। अंकुश आर्मी में हवलदार के पद पर कार्यरत है। बड़ी बेटी नीतू रेलवे में, नीलम शूटिंग कोच है, जबकि अंजू नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुकी हैं। वहीं, रमेश कुमार की बेटी ज्योति सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत है और बेटा अंकित राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुका है। सभी भाई-बहनों ने बॉक्सिंग की शुरुआत हिसार के सीआर लॉ कॉलेज में कोच प्रदीप सावंत के निर्देशन में की। अंजू और अंकित इन्हीं के पास ट्रेनिंग ले रहे हैं।
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20 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर बना अंकुश
20 वर्षीय अंकुश पंघाल की शुरुआत कबड्डी से हुई थी। तीन साल तक कबड्डी खेली और स्टेट चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक भी जीता। पिता सुरेश कुमार भी पहले कबड्डी खिलाड़ी थे। पिता ने सलाह दी कि टीम गेम में भेदभाव होता है, तो अंकुश ने बॉक्सिंग में ही करियर बनाने का फैसला किया। हाल ही में अंकुश ने विश्व मुक्केबाजी कप में रजत पदक जीता है। वह नेशनल स्तर पर 4 स्वर्ण, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2 रजत और 3 कांस्य पदक हासिल कर चुके हैं। 2024 में उन्हें खेल कोटे से आर्मी में नौकरी मिली।
नीतू : आठ साल पहले बॉक्सिंग शुरू की
नीतू बताती हैं कि उन्होंने आठ साल पहले बॉक्सिंग शुरू की थी। इस साल खेल कोटे से रेलवे में नौकरी मिली है और वह कॉमर्शियल डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं। वह अब तक ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में दो बार कांस्य, और खेलो इंडिया में एक कांस्य पदक जीत चुकी हैं। फिलहाल वह दिल्ली कैंप में ट्रेनिंग कर रही हैं।
अंजू : नेशनल स्तर पर चमक
अंजू पंघाल ने सात साल पहले बॉक्सिंग शुरू की थी। वह स्टेट चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। लक्ष्य नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है। अंजू का सपना है कि भाई-बहनों की तरह उन्हें भी सरकारी नौकरी मिले।
अंकित : दो साल गैप और फिर मजबूत वापसी
अंकित ने 2018 में बॉक्सिंग शुरू की, लेकिन 2021 में घुटने के ऑपरेशन के बाद दो साल खेल से दूर रहे। 2024 में उन्होंने रिंग में वापसी की और राज्य स्तर पर पदक भी जीता। 21 वर्षीय अंकित भी खेल के दम पर सरकारी नौकरी पाने का लक्ष्य बनाए हैं।
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पंघाल परिवार में छह में से पांच भाई-बहन बॉक्सर हैं। राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पदक जीतकर देश का नासभी ने बॉक्सिंग की शुरुआत मेरे पास से की थी। - प्रदीप सावंत, कोच, बॉक्सिंग
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किसान परिवार से संबंध रखने वाले सुरेश कुमार बताते हैं कि उनके एक बेटा और तीन बेटियां हैं। बड़े भाई रमेश कुमार के एक बेटा और एक बेटी है। सभी संयुक्त परिवार के तौर पर रहते हैं। हाल ही में ग्रेटर नोएडा में आयोजित विश्व मुक्केबाजी कप में बेटे अंकुश पंघाल ने रजत पदक जीता। अंकुश आर्मी में हवलदार के पद पर कार्यरत है। बड़ी बेटी नीतू रेलवे में, नीलम शूटिंग कोच है, जबकि अंजू नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुकी हैं। वहीं, रमेश कुमार की बेटी ज्योति सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत है और बेटा अंकित राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुका है। सभी भाई-बहनों ने बॉक्सिंग की शुरुआत हिसार के सीआर लॉ कॉलेज में कोच प्रदीप सावंत के निर्देशन में की। अंजू और अंकित इन्हीं के पास ट्रेनिंग ले रहे हैं।
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20 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर बना अंकुश
20 वर्षीय अंकुश पंघाल की शुरुआत कबड्डी से हुई थी। तीन साल तक कबड्डी खेली और स्टेट चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक भी जीता। पिता सुरेश कुमार भी पहले कबड्डी खिलाड़ी थे। पिता ने सलाह दी कि टीम गेम में भेदभाव होता है, तो अंकुश ने बॉक्सिंग में ही करियर बनाने का फैसला किया। हाल ही में अंकुश ने विश्व मुक्केबाजी कप में रजत पदक जीता है। वह नेशनल स्तर पर 4 स्वर्ण, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2 रजत और 3 कांस्य पदक हासिल कर चुके हैं। 2024 में उन्हें खेल कोटे से आर्मी में नौकरी मिली।
नीतू : आठ साल पहले बॉक्सिंग शुरू की
नीतू बताती हैं कि उन्होंने आठ साल पहले बॉक्सिंग शुरू की थी। इस साल खेल कोटे से रेलवे में नौकरी मिली है और वह कॉमर्शियल डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं। वह अब तक ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में दो बार कांस्य, और खेलो इंडिया में एक कांस्य पदक जीत चुकी हैं। फिलहाल वह दिल्ली कैंप में ट्रेनिंग कर रही हैं।
अंजू : नेशनल स्तर पर चमक
अंजू पंघाल ने सात साल पहले बॉक्सिंग शुरू की थी। वह स्टेट चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। लक्ष्य नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है। अंजू का सपना है कि भाई-बहनों की तरह उन्हें भी सरकारी नौकरी मिले।
अंकित : दो साल गैप और फिर मजबूत वापसी
अंकित ने 2018 में बॉक्सिंग शुरू की, लेकिन 2021 में घुटने के ऑपरेशन के बाद दो साल खेल से दूर रहे। 2024 में उन्होंने रिंग में वापसी की और राज्य स्तर पर पदक भी जीता। 21 वर्षीय अंकित भी खेल के दम पर सरकारी नौकरी पाने का लक्ष्य बनाए हैं।
पंघाल परिवार में छह में से पांच भाई-बहन बॉक्सर हैं। राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पदक जीतकर देश का नासभी ने बॉक्सिंग की शुरुआत मेरे पास से की थी। - प्रदीप सावंत, कोच, बॉक्सिंग