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पंजीकरण बंद होने से सुविधाओं के लाभ से वंचित हैं निर्माण मजदूर : विक्रम उदयपुर
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09जेएनडी08: बैठक में निर्माण मजदूर यूनियनों के सदस्य मजदूरों को सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों
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संवाद न्यूज एजेंसी।
नरवाना। विभिन्न निर्माण मजदूर यूनियनों के संयुक्त निर्माण मोर्चा का राज्य स्तरीय जत्था मंगलवार को उचाना खंड के गांव भोंगरा, उदयपुर, पालवा और करसिंधु में पहुंचा। यहां पर निर्माण मजदूरों और कारीगरों से बातचीत की।
मजदूर नेताओं ने 14 दिसंबर को कुरुक्षेत्र में मुख्यमंत्री आवास पर होने वाले आक्रोश प्रदर्शन का न्योता दिया। भवन निर्माण कामगार यूनियन (सीटू) के राज्य सचिव कपूर सिंह, भवन निर्माण मजदूर संघ (इंटक) के राज्य उपप्रधान सतीश बड़ोदा और मजदूर नेता विक्रम उदयपुर ने सरकार की नीतियों पर कड़ी नाराजगी जताई।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पिछले पांच महीने से निर्माण मजदूरों का पंजीकरण अनुचित तरीके से बंद किए बैठी है। इसके चलते मजदूर कन्यादान, मातृत्व-पितृत्व और छात्रवृत्ति जैसी सुविधाओं से वंचित हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 90 प्रतिशत दलित और पिछड़े वर्ग से आने वाले इन मजदूरों के हकों पर सीधा प्रहार किया जा रहा है।
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद सरकार ने मजदूरों को लुभाने के लिए ई-स्कूटी और पंजीकरण पर 1100 रुपये का शगुन देने जैसी घोषणाएं की थीं, लेकिन सत्ता में आते ही श्रम कल्याण बोर्ड की साइट को बंद कर दिया गया। मजदूर नेताओं ने केंद्र सरकार द्वारा 21 नवंबर को चारों लेबर कोड लागू करने के फैसले की भी निंदा की और कहा कि इससे 29 पुराने श्रम कानून खत्म होकर मजदूरों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाने की साजिश की जा रही है। ।
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नरवाना। विभिन्न निर्माण मजदूर यूनियनों के संयुक्त निर्माण मोर्चा का राज्य स्तरीय जत्था मंगलवार को उचाना खंड के गांव भोंगरा, उदयपुर, पालवा और करसिंधु में पहुंचा। यहां पर निर्माण मजदूरों और कारीगरों से बातचीत की।
मजदूर नेताओं ने 14 दिसंबर को कुरुक्षेत्र में मुख्यमंत्री आवास पर होने वाले आक्रोश प्रदर्शन का न्योता दिया। भवन निर्माण कामगार यूनियन (सीटू) के राज्य सचिव कपूर सिंह, भवन निर्माण मजदूर संघ (इंटक) के राज्य उपप्रधान सतीश बड़ोदा और मजदूर नेता विक्रम उदयपुर ने सरकार की नीतियों पर कड़ी नाराजगी जताई।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पिछले पांच महीने से निर्माण मजदूरों का पंजीकरण अनुचित तरीके से बंद किए बैठी है। इसके चलते मजदूर कन्यादान, मातृत्व-पितृत्व और छात्रवृत्ति जैसी सुविधाओं से वंचित हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 90 प्रतिशत दलित और पिछड़े वर्ग से आने वाले इन मजदूरों के हकों पर सीधा प्रहार किया जा रहा है।
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद सरकार ने मजदूरों को लुभाने के लिए ई-स्कूटी और पंजीकरण पर 1100 रुपये का शगुन देने जैसी घोषणाएं की थीं, लेकिन सत्ता में आते ही श्रम कल्याण बोर्ड की साइट को बंद कर दिया गया। मजदूर नेताओं ने केंद्र सरकार द्वारा 21 नवंबर को चारों लेबर कोड लागू करने के फैसले की भी निंदा की और कहा कि इससे 29 पुराने श्रम कानून खत्म होकर मजदूरों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाने की साजिश की जा रही है। ।