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Jind News: प्रदीप ने हॉकी में बजाया भारत का डंका, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकाया नरवाना का नाम
संवाद न्यूज एजेंसी, जींद
Updated Wed, 29 Oct 2025 12:06 AM IST
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28जेएनडी13: हॉकी में दमखम दिखाते हुए प्रदीप मोर। स्रोत : खिलाड़ी।
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नरवाना। खेलों के क्षेत्र में नरवाना ने हमेशा से अपनी अलग पहचान बनाई है। यहां के खिलाड़ी न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय मैदानों पर भी भारत का तिरंगा लहरा चुके हैं। इन्हीं में से एक हैं हॉकी के सितारे प्रदीप मोर जिन्होंने अपनी लगन, मेहनत और जुनून से नरवाना का नाम पूरे विश्व में रोशन किया है।
प्रदीप मोर ने वर्ल्ड चैंपियन ट्रॉफी में सिल्वर मेडल, एशियाई चैंपियन ट्रॉफी में गोल्ड मेडल और सुल्तान अजलन शाह कप में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे हरियाणा और देश को गर्व महसूस कराया है।
लगातार मेहनत और संघर्ष के बाद प्रदीप मोर का चयन भारतीय हॉकी टीम में हुआ और उन्होंने वर्ष 2017 तक टीम इंडिया का हिस्सा बनकर देश के लिए खेला। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, जापान, कनाडा जैसे देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वर्तमान में वह इनकम टैक्स विभाग में कार्यरत हैं और आज भी हॉकी के प्रति उनका समर्पण अटूट है।
हॉकी की शुरुआत सातवीं कक्षा से
प्रदीप मोर ने नरवाना में सातवीं कक्षा के दौरान हॉकी की दुनिया में कदम रखा। वर्ष 2004-05 में उन्होंने अपनी शिक्षा के साथ खेलों की दिशा में भी कदम बढ़ाया। सुबह-शाम नवदीप स्टेडियम नरवाना में नियमित अभ्यास करते हुए प्रदीप ने धीरे-धीरे अपनी पहचान बनानी शुरू की। उनकी मेहनत रंग लाई और वर्ष 2006 में उनका चयन साई अकादमी, कुरुक्षेत्र में हुआ। वहां उन्होंने कोच रामकुमार चोपड़ा और गुरविंदर सिंह के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लिया। इसके बाद वर्ष 2011 में प्रदीप का ट्रांसफर साई सोनीपत में हुआ, जहां उन्होंने को एन के. गौतम और पीयूष दुबे से आगे का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
नरवाना के युवाओं के लिए प्रेरणा
प्रदीप मोर आज हजारों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुके हैं। वह कहते हैं कि अगर दिल में जुनून हो और लक्ष्य स्पष्ट हो, तो किसी भी मंजिल को पाया जा सकता है। मैदान में उतरकर हार-जीत की परवाह किए बिना पूरी लगन से खेलो, सफलता जरूर मिलेगी। प्रदीप मोर की कहानी यह साबित करती है कि छोटे शहरों के खिलाड़ी भी बड़े सपनों को साकार कर सकते हैं। बस जरूरत है मेहनत, अनुशासन और सही मार्गदर्शन की।
कोच संदीप बने प्रेरणास्त्रोत
प्रदीप मोर बताते हैं कि उनके खेल जीवन में कोच संदीप की अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि जब संदीप कोच नहीं भी थे, तब भी वे मेरे लिए एक बड़े भाई की तरह रहे। उन्होंने हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन किया और मुझे बेहतर खिलाड़ी बनने की प्रेरणा दी। प्रदीप मोर ने कहा कि मेरे धर्मपाल मोर और माता इंद्रौ देवी ने हमेशा मुझे खेलने की आजादी दी और हर मोड़ पर उसका साथ दिया। आज जो कुछ भी है। वह उनके आशीर्वाद और सहयोग की वजह से है।
प्रदीप मोर ने वर्ल्ड चैंपियन ट्रॉफी में सिल्वर मेडल, एशियाई चैंपियन ट्रॉफी में गोल्ड मेडल और सुल्तान अजलन शाह कप में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे हरियाणा और देश को गर्व महसूस कराया है।
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लगातार मेहनत और संघर्ष के बाद प्रदीप मोर का चयन भारतीय हॉकी टीम में हुआ और उन्होंने वर्ष 2017 तक टीम इंडिया का हिस्सा बनकर देश के लिए खेला। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, जापान, कनाडा जैसे देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वर्तमान में वह इनकम टैक्स विभाग में कार्यरत हैं और आज भी हॉकी के प्रति उनका समर्पण अटूट है।
हॉकी की शुरुआत सातवीं कक्षा से
प्रदीप मोर ने नरवाना में सातवीं कक्षा के दौरान हॉकी की दुनिया में कदम रखा। वर्ष 2004-05 में उन्होंने अपनी शिक्षा के साथ खेलों की दिशा में भी कदम बढ़ाया। सुबह-शाम नवदीप स्टेडियम नरवाना में नियमित अभ्यास करते हुए प्रदीप ने धीरे-धीरे अपनी पहचान बनानी शुरू की। उनकी मेहनत रंग लाई और वर्ष 2006 में उनका चयन साई अकादमी, कुरुक्षेत्र में हुआ। वहां उन्होंने कोच रामकुमार चोपड़ा और गुरविंदर सिंह के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लिया। इसके बाद वर्ष 2011 में प्रदीप का ट्रांसफर साई सोनीपत में हुआ, जहां उन्होंने को एन के. गौतम और पीयूष दुबे से आगे का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
नरवाना के युवाओं के लिए प्रेरणा
प्रदीप मोर आज हजारों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुके हैं। वह कहते हैं कि अगर दिल में जुनून हो और लक्ष्य स्पष्ट हो, तो किसी भी मंजिल को पाया जा सकता है। मैदान में उतरकर हार-जीत की परवाह किए बिना पूरी लगन से खेलो, सफलता जरूर मिलेगी। प्रदीप मोर की कहानी यह साबित करती है कि छोटे शहरों के खिलाड़ी भी बड़े सपनों को साकार कर सकते हैं। बस जरूरत है मेहनत, अनुशासन और सही मार्गदर्शन की।
कोच संदीप बने प्रेरणास्त्रोत
प्रदीप मोर बताते हैं कि उनके खेल जीवन में कोच संदीप की अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि जब संदीप कोच नहीं भी थे, तब भी वे मेरे लिए एक बड़े भाई की तरह रहे। उन्होंने हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन किया और मुझे बेहतर खिलाड़ी बनने की प्रेरणा दी। प्रदीप मोर ने कहा कि मेरे धर्मपाल मोर और माता इंद्रौ देवी ने हमेशा मुझे खेलने की आजादी दी और हर मोड़ पर उसका साथ दिया। आज जो कुछ भी है। वह उनके आशीर्वाद और सहयोग की वजह से है।