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Kaithal News: पौष से पहले ही बढ़ गई ठंड, अभी और बढ़ेगी ठिठुरन
संवाद न्यूज एजेंसी, कैथल
Updated Fri, 05 Dec 2025 01:27 AM IST
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संवाद न्यूज एजेंसी
कैथल। जिले में पौष मास से एक दिन पहले उत्तर से आ रही बर्फीली हवा के कारण रात के तापमान में गिरावट ने कंपकंपी छुड़ा दी है। वीरवार को सुबह से शाम तक चलती ठंडी हवाओं ने लोगों को तेज ठंड का एहसास कराया। वीरवार को अधिकतम तापमान 18.1 और न्यूनतम 7.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। मौसम विभाग ने 7 दिसंबर तक शीतलहर व ठंडा दिन रहने की चेतावनी जारी करते हुए येलो अलर्ट घोषित किया है।
जिले में अगले चार-पांच दिन मौसम परिवर्तनशील रहेगा। पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव के कारण आज से 8 दिसंबर तक आसमान में बादल छाए रहने और धूप कम निकलने की संभावना है, जिससे सर्दी में और इजाफा होगा। बीच-बीच में आंशिक बादल छाने से दिन के तापमान में मामूली गिरावट और रात के तापमान में हल्की बढ़ोतरी दर्ज हो सकती है। इस दौरान 8 से 12 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने का अनुमान है, जिससे ठिठुरन और बढ़ेगी। वहीं, वातावरण में नमी बढ़ने से अलसुबह धुंध पड़ने की भी संभावना है।
पश्चिमी विक्षोभ का असर जारी ः 8 दिसंबर के बाद उत्तर व उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलने से विशेषकर रात के तापमान में एक बार फिर तेज गिरावट दर्ज हो सकती है।
हवा साफ, राहत में लोग
जिले की हवा पिछले कई दिनों से साफ बनी हुई है। शहर का एक्यूआई 121 रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य श्रेणी में है। इससे सांस, अस्थमा और दमा से पीड़ित लोगों को राहत मिल रही है।
मौसम 7 दिसंबर तक परिवर्तनशील रह सकता है। पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव से बीच-बीच में बादल छाने की संभावना है। इससे दिन के तापमान में हल्की गिरावट, जबकि रात के तापमान में हल्की बढ़ोतरी संभव है। -डॉ. रमेश चंद्र वर्मा, कृषि मौसम अधिकारी
पौष में क्यों बढ़ जाती है सर्दी
पौष (जिसे पूस भी कहा जाता है) के महीने में सर्दी बढ़ने के कुछ मुख्य कारण हैं ः-
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सूर्य का दक्षिणायन होना: पौष का महीना उस समय पड़ता है जब सूर्य पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध की ओर झुका होता है। इस कारण उत्तरी गोलार्ध (भारत सहित) में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं और कम गर्मी पहुंचाती हैं।
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उत्तरी ठंडी हवाएँ (पश्चिमी विक्षोभ): इस दौरान हिमालयी क्षेत्रों से आने वाली उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी हवाएँ ठंडी होती हैं। इसके अलावा, भूमध्यसागरीय क्षेत्र से आने वाले पश्चिमी विक्षोभ भी इस अवधि में सक्रिय होते हैं, जो पहाड़ों में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में ठिठुरन भरी सर्दी लाते हैं।
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दिन छोटे और रातें लंबी होना: इस समय दिन छोटे होते हैं, जिससे पृथ्वी को सूर्य की गर्मी सोखने का कम समय मिलता है। रातें लंबी होने के कारण, पृथ्वी दिनभर की थोड़ी-बहुत गर्मी को भी रातभर में खो देती है, जिससे तापमान काफी नीचे गिर जाता है।
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दिसंबर और जनवरी पौष के महीनों में उत्तरी भारत में यह प्रभाव सबसे अधिक महसूस होता है, क्योंकि यह हिमालय के करीब है, जहाँ से ठंडी हवाएँ सीधे आती हैं।
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जिले में अगले चार-पांच दिन मौसम परिवर्तनशील रहेगा। पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव के कारण आज से 8 दिसंबर तक आसमान में बादल छाए रहने और धूप कम निकलने की संभावना है, जिससे सर्दी में और इजाफा होगा। बीच-बीच में आंशिक बादल छाने से दिन के तापमान में मामूली गिरावट और रात के तापमान में हल्की बढ़ोतरी दर्ज हो सकती है। इस दौरान 8 से 12 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने का अनुमान है, जिससे ठिठुरन और बढ़ेगी। वहीं, वातावरण में नमी बढ़ने से अलसुबह धुंध पड़ने की भी संभावना है।
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पश्चिमी विक्षोभ का असर जारी ः 8 दिसंबर के बाद उत्तर व उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलने से विशेषकर रात के तापमान में एक बार फिर तेज गिरावट दर्ज हो सकती है।
हवा साफ, राहत में लोग
जिले की हवा पिछले कई दिनों से साफ बनी हुई है। शहर का एक्यूआई 121 रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य श्रेणी में है। इससे सांस, अस्थमा और दमा से पीड़ित लोगों को राहत मिल रही है।
मौसम 7 दिसंबर तक परिवर्तनशील रह सकता है। पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव से बीच-बीच में बादल छाने की संभावना है। इससे दिन के तापमान में हल्की गिरावट, जबकि रात के तापमान में हल्की बढ़ोतरी संभव है। -डॉ. रमेश चंद्र वर्मा, कृषि मौसम अधिकारी
पौष में क्यों बढ़ जाती है सर्दी
पौष (जिसे पूस भी कहा जाता है) के महीने में सर्दी बढ़ने के कुछ मुख्य कारण हैं ः-
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सूर्य का दक्षिणायन होना: पौष का महीना उस समय पड़ता है जब सूर्य पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध की ओर झुका होता है। इस कारण उत्तरी गोलार्ध (भारत सहित) में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं और कम गर्मी पहुंचाती हैं।
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उत्तरी ठंडी हवाएँ (पश्चिमी विक्षोभ): इस दौरान हिमालयी क्षेत्रों से आने वाली उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी हवाएँ ठंडी होती हैं। इसके अलावा, भूमध्यसागरीय क्षेत्र से आने वाले पश्चिमी विक्षोभ भी इस अवधि में सक्रिय होते हैं, जो पहाड़ों में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में ठिठुरन भरी सर्दी लाते हैं।
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दिन छोटे और रातें लंबी होना: इस समय दिन छोटे होते हैं, जिससे पृथ्वी को सूर्य की गर्मी सोखने का कम समय मिलता है। रातें लंबी होने के कारण, पृथ्वी दिनभर की थोड़ी-बहुत गर्मी को भी रातभर में खो देती है, जिससे तापमान काफी नीचे गिर जाता है।
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दिसंबर और जनवरी पौष के महीनों में उत्तरी भारत में यह प्रभाव सबसे अधिक महसूस होता है, क्योंकि यह हिमालय के करीब है, जहाँ से ठंडी हवाएँ सीधे आती हैं।