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Kurukshetra News: रामलीला में कुलवंत की तीन पीढ़ियां निभा रहीं किरदार
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कुरुक्षेत्र। दादा कुलवंत के साथ हनुमान के बेटे का अभिनय निभा रहे पौत्र हर्षदीप
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कुरुक्षेत्र। 74 साल के सरदार कुलवंत भट्टी की पहचान बजरंगी सरदार के रूप में बन चुकी है। अधिकतर लोग उनका असल नाम तक भूल चुके हैं। उनके सामने आते ही बजरंग बलि हनुमान के किरदार का रूप दिखाई देने लगता है। फौजी कॉलोनी के रहने वाले कुलवंत भट्टी को यह नई पहचान उनके रामलीला में हनुमान के किरदार ने दी है, जिसे वे करीब 53 साल से करते आ रहे हैं।
सरकार कुलवंत की तीन पीढ़ियां रामलीला में मंचन कर रही हैं। सरदार कुलवंत के साथ बेटे साहब सिंह ने हनुमान के पुत्र मक्कर ध्वज का करीब छह साल तक किरदार निभाया। अब 14 साल का पौत्र हर्षदीप सिंह भट्टी दादा के साथ हनुमान के पुत्र मक्कर ध्वज का अभिनय निभा रहे हैं। हर्षदीप का कहना है कि उनके प्रथम गुरु उनके दादा हैं। वे आठ साल से मक्कर ध्वज का अभिनय कर रहे हैं।
वे बताते हैं कि 20 साल की उम्र में ही हनुमान नाम की धुन लग गई थी जिसके बाद श्री लक्ष्मी रामलीला ड्रामेटिक क्लब की ओर से आयोजित रामलीला में हनुमान का किरदार निभाने का मौका मिला। साल 1971 से लगातार हनुमान के किरदार का मंचन जीवन का ध्येय बन गया है। दिन में दो बार सुबह-शाम हनुमान चालीसा का जाप करते हैं।
पूरे शरीर में देसी घी के साथ लगाता हूं सिंदूर : रामलीला के मंचन के दौरान कुलवंत भट्टी सप्ताहभर के अभिनय में रोजाना देसी घी के साथ पूरे शरीर पर सिंदूर का लेप करते हैं। कुलवंत का कहना है कि इस दौरान सवा महीने धरती पर ही सोते हैं, अन्न ग्रहण नहीं करते और गृहस्थ जीवन से दूर रहते हैं। मूलचंद शर्मा को उन्होंने अपना गुरु बनाया है। संवाद

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सरकार कुलवंत की तीन पीढ़ियां रामलीला में मंचन कर रही हैं। सरदार कुलवंत के साथ बेटे साहब सिंह ने हनुमान के पुत्र मक्कर ध्वज का करीब छह साल तक किरदार निभाया। अब 14 साल का पौत्र हर्षदीप सिंह भट्टी दादा के साथ हनुमान के पुत्र मक्कर ध्वज का अभिनय निभा रहे हैं। हर्षदीप का कहना है कि उनके प्रथम गुरु उनके दादा हैं। वे आठ साल से मक्कर ध्वज का अभिनय कर रहे हैं।
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वे बताते हैं कि 20 साल की उम्र में ही हनुमान नाम की धुन लग गई थी जिसके बाद श्री लक्ष्मी रामलीला ड्रामेटिक क्लब की ओर से आयोजित रामलीला में हनुमान का किरदार निभाने का मौका मिला। साल 1971 से लगातार हनुमान के किरदार का मंचन जीवन का ध्येय बन गया है। दिन में दो बार सुबह-शाम हनुमान चालीसा का जाप करते हैं।
पूरे शरीर में देसी घी के साथ लगाता हूं सिंदूर : रामलीला के मंचन के दौरान कुलवंत भट्टी सप्ताहभर के अभिनय में रोजाना देसी घी के साथ पूरे शरीर पर सिंदूर का लेप करते हैं। कुलवंत का कहना है कि इस दौरान सवा महीने धरती पर ही सोते हैं, अन्न ग्रहण नहीं करते और गृहस्थ जीवन से दूर रहते हैं। मूलचंद शर्मा को उन्होंने अपना गुरु बनाया है। संवाद