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Kurukshetra News: संविधान सभा के सदस्य एवं पद्मश्री डॉ. रत्नप्पा कुम्भार की 116वीं जयंती पर दी गई श्रद्धांजलि
संवाद न्यूज एजेंसी, कुरुक्षेत्र
Updated Tue, 16 Sep 2025 01:55 AM IST
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कुरुक्षेत्र। पद्मश्री डॉ. रत्नप्पा कुम्भार को श्रद्वांजलि देते हुए समाज के लोग। विज्ञप्ति
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संवाद न्यूज एजेंसी
कुरुक्षेत्र। प्रजापति धर्मशाला कमेटी की ओर से भारतीय संविधान सभा के सदस्य एवं पद्मश्री से सम्मानित डॉ. रत्नप्पा भरमप्पा कुम्भार की 116वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी गईं। इस अवसर पर सभा ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके योगदान को याद किया। कार्यक्रम में प्रधान पवन कुमार कानूनगो ने कहा कि डॉ. रत्नप्पा स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। उनका जन्म एक मराठा कुम्हार परिवार में हुआ।
वे भारतीय संविधान सभा के सदस्य रहे और डॉ. भीमराव आंबेडकर के साथ संविधान निर्माण समिति में शामिल होकर देश के संविधान के फाइनल ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर किए। कहा जाता है कि संविधान में सामाजिक समरसता और भाईचारे की जो धारा प्रवाहित होती है, उसमें कुम्भार के अनुभवों और विचारों का गहरा योगदान है।
समाजसेवा और राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में उनकी अद्वितीय भूमिका को देखते हुए उन्हें 1985 में भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया। इसके अलावा वे सांसद, विधायक और मंत्री भी रहे और सक्रिय राजनीति के माध्यम से समाज और देश के लिए निरंतर कार्य करते रहे।
प्रधान पवन कुमार कानूनगो ने कहा कि डॉ. रत्नप्पा कुम्भार का जीवन हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा है और उनकी जयंती पर उन्हें शत-शत नमन करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी इस मौके पर प्रधान पवन कुमार कानूनगो, पूर्व उप प्रधान मोहन सिंह मिर्जापुर, उप-प्रधान शिव लाल सरवारा, कोषाध्यक्ष मास्टर हरिओम शोकल, मक्खन सिंह बारना, राजेश प्रजापति व समस्त कमेटी सदस्य व अन्य सामाजिक व्यक्ति उपस्थित रहे।

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कुरुक्षेत्र। प्रजापति धर्मशाला कमेटी की ओर से भारतीय संविधान सभा के सदस्य एवं पद्मश्री से सम्मानित डॉ. रत्नप्पा भरमप्पा कुम्भार की 116वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी गईं। इस अवसर पर सभा ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके योगदान को याद किया। कार्यक्रम में प्रधान पवन कुमार कानूनगो ने कहा कि डॉ. रत्नप्पा स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। उनका जन्म एक मराठा कुम्हार परिवार में हुआ।
वे भारतीय संविधान सभा के सदस्य रहे और डॉ. भीमराव आंबेडकर के साथ संविधान निर्माण समिति में शामिल होकर देश के संविधान के फाइनल ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर किए। कहा जाता है कि संविधान में सामाजिक समरसता और भाईचारे की जो धारा प्रवाहित होती है, उसमें कुम्भार के अनुभवों और विचारों का गहरा योगदान है।
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समाजसेवा और राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में उनकी अद्वितीय भूमिका को देखते हुए उन्हें 1985 में भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया। इसके अलावा वे सांसद, विधायक और मंत्री भी रहे और सक्रिय राजनीति के माध्यम से समाज और देश के लिए निरंतर कार्य करते रहे।
प्रधान पवन कुमार कानूनगो ने कहा कि डॉ. रत्नप्पा कुम्भार का जीवन हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा है और उनकी जयंती पर उन्हें शत-शत नमन करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी इस मौके पर प्रधान पवन कुमार कानूनगो, पूर्व उप प्रधान मोहन सिंह मिर्जापुर, उप-प्रधान शिव लाल सरवारा, कोषाध्यक्ष मास्टर हरिओम शोकल, मक्खन सिंह बारना, राजेश प्रजापति व समस्त कमेटी सदस्य व अन्य सामाजिक व्यक्ति उपस्थित रहे।