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Panipat News: बेसहारा पशुओं से होने वाले सड़क हादसों पर लगेगी लगाम, जिला स्तर पर संयुक्त कार्य बल गठित
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पानीपत। जिले में बेसहारा पशुओं और कुत्तों के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। उपायुक्त डॉ. वीरेंद्र सिंह दहिया द्वारा जारी आदेश के अनुसार, हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव के निर्देशों के अनुपालन में जिला निगरानी समिति सह संयुक्त कार्य बल (जेटीएफ) का गठन किया गया है। इस जेटीएफ की अध्यक्षता अतिरिक्त उपायुक्त करेंगे जबकि पुलिस, नगर निगम, एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी, पशुपालन, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, रेलवे और खेल विभाग सहित कुल 13 विभागों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
शहर और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में 24x7 गश्त, हेल्पलाइन संचालन, आवारा पशुओं की धरपकड़, गोशालाओं में पुनर्वास, कुत्तों के लिए एबीसी कार्यक्रम, सीसीटीवी युक्त पाउंड और आश्रय स्थलों की व्यवस्था की जाएगी। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि स्कूल, अस्पताल, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और खेल परिसरों को आवारा कुत्तों से मुक्त (एसडीएफ) रखा जाएगा। किसी भी स्तर पर लापरवाही या देरी पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
विभाग और उन्हें दी जिम्मेदारियां
1. अतिरिक्त उपायुक्त- संयुक्त कार्य बल (जेटीएफ) के अध्यक्ष के रूप में समग्र समन्वय व निगरानी करेंगे। 24×7 गश्त, संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान और उच्च अधिकारियों को प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
2. पुलिस अधीक्षक- गश्त व पशु हटाने अभियानों में पुलिस सहायता उपलब्ध कराएंगे। यातायात, कानून व्यवस्था और जन सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
3. जिला निगरानी समिति (डीएमसी)- आदेश के क्रियान्वयन की निगरानी और मासिक निरीक्षण करेगी। एबीसी नियमों व एसडीएफ संस्थानों की समीक्षा कर रिपोर्ट देगी।
4. जिला नगर आयुक्त- शहरी क्षेत्रों में आवारा पशुओं की धरपकड़, पुनर्वास और कुत्तों के प्रबंधन की जिम्मेदारी होगी। 24×7 हेल्पलाइन, पाउंड, एबीसी कार्यक्रम और शिकायत निवारण सुनिश्चित करेंगे।
5. एनएचएआई परियोजना निदेशक (पीआईयू सोनीपत व रोहतक)- राष्ट्रीय राजमार्गों पर जेटीएफ को परिचालन व लॉजिस्टिक सहायता देंगे। हेल्पलाइन प्रदर्शन और पशु हटाने के लिए त्वरित समन्वय करेंगे।
6. कार्यकारी अभियंता, पीडब्ल्यूडी (बीएंडआर)- राज्य व जिला सड़कों पर हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित कराएंगे। दुर्घटना-प्रवण क्षेत्रों की पहचान में जेटीएफ को तकनीकी सहायता देंगे।
7. जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी- ग्रामीण क्षेत्रों में बेसहारा पशुओं व कुत्तों के प्रबंधन की जिम्मेदारी होगी। हेल्पलाइन, पाउंड संचालन और एबीसी नियमों का क्रियान्वयन करेंगे।
8. पशुपालन एवं दुग्ध विभाग के उप निदेशक- गोशालाओं, आश्रयों की पहचान कर पशु पुनर्वास सुनिश्चित करेंगे। 31 दिसंबर तक विशेष अभियान व पशु चिकित्सा सहायता देंगे।
9. मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ)- अस्पतालों में एंटी-रेबीज वैक्सीन व इम्युनोग्लोबुलिन की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे। कुत्ता काटने के मामलों के त्वरित इलाज व एसडीएफ अनुपालन की निगरानी करेंगे।
10. जिला शिक्षा अधिकारी- विद्यालयों में पशु सुरक्षा व काटने से बचाव पर जागरूकता कार्यक्रम चलाएंगे। सभी शैक्षणिक संस्थानों को एसडीएफ बनाए रखना सुनिश्चित करेंगे।
11. आरटीए एवं रोडवेज महाप्रबंधक- बस स्टैंड, डिपो व आईएसबीटी को बाड़ व सुरक्षा से सुरक्षित करेंगे। नोडल अधिकारी नियुक्त कर परिसरों को एसडीएफ बनाए रखेंगे।
12. रेलवे प्राधिकरण- रेलवे स्टेशनों पर बाड़बंदी व सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। आवारा पशुओं को हटाने हेतु जिला प्रशासन से समन्वय करेंगे।
13. जिला खेल अधिकारी- खेल परिसरों को बाड़ लगाकर सुरक्षित करेंगे। सभी खेल परिसरों को बेसहारा कुत्तों से मुक्त (एसडीएफ) रखने की जिम्मेदारी होगी।
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शहर और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में 24x7 गश्त, हेल्पलाइन संचालन, आवारा पशुओं की धरपकड़, गोशालाओं में पुनर्वास, कुत्तों के लिए एबीसी कार्यक्रम, सीसीटीवी युक्त पाउंड और आश्रय स्थलों की व्यवस्था की जाएगी। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि स्कूल, अस्पताल, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और खेल परिसरों को आवारा कुत्तों से मुक्त (एसडीएफ) रखा जाएगा। किसी भी स्तर पर लापरवाही या देरी पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
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विभाग और उन्हें दी जिम्मेदारियां
1. अतिरिक्त उपायुक्त- संयुक्त कार्य बल (जेटीएफ) के अध्यक्ष के रूप में समग्र समन्वय व निगरानी करेंगे। 24×7 गश्त, संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान और उच्च अधिकारियों को प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
2. पुलिस अधीक्षक- गश्त व पशु हटाने अभियानों में पुलिस सहायता उपलब्ध कराएंगे। यातायात, कानून व्यवस्था और जन सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
3. जिला निगरानी समिति (डीएमसी)- आदेश के क्रियान्वयन की निगरानी और मासिक निरीक्षण करेगी। एबीसी नियमों व एसडीएफ संस्थानों की समीक्षा कर रिपोर्ट देगी।
4. जिला नगर आयुक्त- शहरी क्षेत्रों में आवारा पशुओं की धरपकड़, पुनर्वास और कुत्तों के प्रबंधन की जिम्मेदारी होगी। 24×7 हेल्पलाइन, पाउंड, एबीसी कार्यक्रम और शिकायत निवारण सुनिश्चित करेंगे।
5. एनएचएआई परियोजना निदेशक (पीआईयू सोनीपत व रोहतक)- राष्ट्रीय राजमार्गों पर जेटीएफ को परिचालन व लॉजिस्टिक सहायता देंगे। हेल्पलाइन प्रदर्शन और पशु हटाने के लिए त्वरित समन्वय करेंगे।
6. कार्यकारी अभियंता, पीडब्ल्यूडी (बीएंडआर)- राज्य व जिला सड़कों पर हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित कराएंगे। दुर्घटना-प्रवण क्षेत्रों की पहचान में जेटीएफ को तकनीकी सहायता देंगे।
7. जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी- ग्रामीण क्षेत्रों में बेसहारा पशुओं व कुत्तों के प्रबंधन की जिम्मेदारी होगी। हेल्पलाइन, पाउंड संचालन और एबीसी नियमों का क्रियान्वयन करेंगे।
8. पशुपालन एवं दुग्ध विभाग के उप निदेशक- गोशालाओं, आश्रयों की पहचान कर पशु पुनर्वास सुनिश्चित करेंगे। 31 दिसंबर तक विशेष अभियान व पशु चिकित्सा सहायता देंगे।
9. मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ)- अस्पतालों में एंटी-रेबीज वैक्सीन व इम्युनोग्लोबुलिन की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे। कुत्ता काटने के मामलों के त्वरित इलाज व एसडीएफ अनुपालन की निगरानी करेंगे।
10. जिला शिक्षा अधिकारी- विद्यालयों में पशु सुरक्षा व काटने से बचाव पर जागरूकता कार्यक्रम चलाएंगे। सभी शैक्षणिक संस्थानों को एसडीएफ बनाए रखना सुनिश्चित करेंगे।
11. आरटीए एवं रोडवेज महाप्रबंधक- बस स्टैंड, डिपो व आईएसबीटी को बाड़ व सुरक्षा से सुरक्षित करेंगे। नोडल अधिकारी नियुक्त कर परिसरों को एसडीएफ बनाए रखेंगे।
12. रेलवे प्राधिकरण- रेलवे स्टेशनों पर बाड़बंदी व सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। आवारा पशुओं को हटाने हेतु जिला प्रशासन से समन्वय करेंगे।
13. जिला खेल अधिकारी- खेल परिसरों को बाड़ लगाकर सुरक्षित करेंगे। सभी खेल परिसरों को बेसहारा कुत्तों से मुक्त (एसडीएफ) रखने की जिम्मेदारी होगी।