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Panipat News: बीमा कंपनी को 6% ब्याज के साथ देना होगा इलाज का खर्च
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पानीपत। इलाज के बाद क्लेम का दावा खारिज करने पर आयोग ने बीमा कंपनी पर सख्त नाराजगी जाहिर की है। आयोग ने बीमा कंपनी को छह प्रतिशत ब्याज के साथ इलाज में खर्च हुए 32 हजार रुपये का भुगतान करने के आदेश दिए हैं।
45 दिन में भुगतान न करने पर ब्याज की दर बढ़ाकर नौ प्रतिशत कर दी जाएगी। पानीपत के नरेंद्र कुमार ने जिला उपभोक्ता आयोग में याचिका दाखिल की थी। उनका कहना था कि उन्होंने अपने परिवार के लिए निवा बूपा की री-अश्योर 2.0 फैमिली फ्लोटर पॉलिसी ली थी, जो छह फरवरी 2024 से पांच फरवरी 2027 तक वैध थी।
इस पॉलिसी में उनके बेटे समेत सभी सदस्य कवर थे। 30 सितंबर 2024 को बेटे की तबीयत खराब होने पर उसे पानीपत के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। स्वास्थ्य में सुधार न होने पर 5 अक्तूबर से 7 अक्तूबर 2024 तक उसे अस्पताल में भर्ती रखा गया। जिसके इलाज पर कुल 32,130 रुपये खर्च हुए। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद उन्होंने बीमा कंपनी से क्लेम लेने के लिए दावा किया लेकिन बीमा कंपनी ने बिना किसी ठोस कारण के दावा खारिज कर दिया। 17 जनवरी 2025 को कानूनी नोटिस भी भेजा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई।
मामले की सुनवाई के दौरान भी कंपनी का कोई प्रतिनिधि आयोग के सामने पेश नहीं हुआ। जिस पर आयोग के चेयरमैन डॉ. आर के डोगरा ने कंपनी को ब्याज सहित क्लेम देने के आदेश दिए, इसके अलावा 5,000 रुपये मुआवजा और 5,500 रुपये मुकदमेबाजी खर्च भी देने को कहा गया है। आदेश का पालन 45 दिनों के भीतर न होने पर ब्याज दर बढ़कर 9 प्रतिशत हो जाएगी।
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45 दिन में भुगतान न करने पर ब्याज की दर बढ़ाकर नौ प्रतिशत कर दी जाएगी। पानीपत के नरेंद्र कुमार ने जिला उपभोक्ता आयोग में याचिका दाखिल की थी। उनका कहना था कि उन्होंने अपने परिवार के लिए निवा बूपा की री-अश्योर 2.0 फैमिली फ्लोटर पॉलिसी ली थी, जो छह फरवरी 2024 से पांच फरवरी 2027 तक वैध थी।
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इस पॉलिसी में उनके बेटे समेत सभी सदस्य कवर थे। 30 सितंबर 2024 को बेटे की तबीयत खराब होने पर उसे पानीपत के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। स्वास्थ्य में सुधार न होने पर 5 अक्तूबर से 7 अक्तूबर 2024 तक उसे अस्पताल में भर्ती रखा गया। जिसके इलाज पर कुल 32,130 रुपये खर्च हुए। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद उन्होंने बीमा कंपनी से क्लेम लेने के लिए दावा किया लेकिन बीमा कंपनी ने बिना किसी ठोस कारण के दावा खारिज कर दिया। 17 जनवरी 2025 को कानूनी नोटिस भी भेजा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई।
मामले की सुनवाई के दौरान भी कंपनी का कोई प्रतिनिधि आयोग के सामने पेश नहीं हुआ। जिस पर आयोग के चेयरमैन डॉ. आर के डोगरा ने कंपनी को ब्याज सहित क्लेम देने के आदेश दिए, इसके अलावा 5,000 रुपये मुआवजा और 5,500 रुपये मुकदमेबाजी खर्च भी देने को कहा गया है। आदेश का पालन 45 दिनों के भीतर न होने पर ब्याज दर बढ़कर 9 प्रतिशत हो जाएगी।