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तकनीकी कॉलेज अपने राजस्व का पांच फीसदी अनुसंधान व विकास पर निवेश करें : एआईसीटीई अध्यक्ष
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अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई)के अध्यक्ष प्रोफेसर टीजी सीताराम ने मंगलवार को कहा, इंजीनियरिंग कॉलेज अपने कुल राजस्व का पांच फीसदी अनुसंधान और विकास पर निवेश पर खर्च करें।
विकसित भारत 2047 के सपने को पूरा करने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वदेशी, वोकल फॉर लोकल, सतत विकास, आत्मनिर्भर भारत पर आधारित नवाचार पर फोकस करना होगा।
दिल्ली स्थित एआईसीटीई मुख्यालय में प्रोफेसर टीजी सीताराम इंस्टीट्यूशंस इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) रीजनल मीट 2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और शिक्षा मंत्रालय के नवाचार प्रकोष्ठ (एमआईसी) मिलकर तीन चरणों मे कुल 26 शहरों में आईआईसी रीजनल मीट 2025 का आयोजन करेगा।
फिलहाल, आठ शहरों कोयंबटूर, हुबली, जयपुर, नोएडा, कोलकाता, हैदराबाद, अहमदाबाद और भुवनेश्वर में एक साथ आईआईसी की शुरुआत हो रही है।
प्रत्येक क्षेत्रीय मीट में ओपन हाउस प्रदर्शनी, उत्पाद-केंद्रित पोस्टर प्रदर्शन, स्वदेशी उद्यमी बाजार, उत्कृष्ट प्रथाओं पर समानांतर सत्र, नवाचार दूत प्रशिक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र सहयोगियों द्वारा मास्टरक्लास, वन टू वन मेंटरिंग, नवाचार प्रतियोगिताएं तथा उत्कृष्ट नवाचारकर्ताओं का सम्मान करना भी शामिल है।
प्रोफेसर सीताराम ने कहा, तकनीकी कॉलेजों को अपने राजस्व का पांच फीसदी अनुसंधान व विकास में निवेश करना चाहिए। इसमें उन्हें राष्ट्रीय प्राथमिकता वाली प्रौद्योगिकियों के अनुरूप गुणवत्तायुक्त व सहयोगात्मक प्रस्ताव तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आईआईसी नेटवर्क आज विश्व के सबसे बड़े उच्च शिक्षा नवाचार तंत्रों में से एक है।
इसमें देश भर में 16,400 से अधिक सक्रिय परिषदें कार्यरत हैं। एआईसीटीई की अनुमोदन प्रक्रिया में आईआईसी को अनिवार्य रूप से शामिल किए जाने से हर राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश के संस्थानों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित हुई है।
इस पहल का मकसद, तकनीकी संस्थानों से आगे बढ़कर सभी प्रकार के उच्च शिक्षण संस्थानों को नवाचार, समस्या-समाधान और आलोचनात्मक चिंतन की राष्ट्रीय मानसिकता विकसित करना है। इसी पहल के कारण वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की रैंकिंग को दस वर्षों में 86वें नंबर से 38वें स्थान तक पहुंची है। हमें आने वाले वर्षों में शीर्ष 20 में जगह बनाने पर काम करना होगा।
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सिटी इनोवेशन मॉडल का 250 शहरों में विस्तार
प्रोफेसर सीताराम ने बताया,नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ), एआईसीटीई, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और बाईरैक जैसी संस्थाओं द्वारा उपलब्ध वित्तीय सहयोग इन प्रयासों को और सुदृढ़ करता है। विशाखापत्तनम में प्रारंभ किए गए सफल ‘सिटी इनोवेशन क्लस्टर’ मॉडल ने यह दिखाया है कि संस्थान, उद्योग और निवेशक मिलकर किस प्रकार उत्पाद विकास को आगे बढ़ा सकते हैं। इस मॉडल को 250 शहरों में विस्तारित करने का लक्ष्य है ताकि प्रत्येक शहर अपनी विशिष्ट क्षमताओं के आधार पर नवाचार को बढ़ावा दे सके और देश के उभरते प्रौद्योगिकी तंत्र में योगदान दे सके।
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विकसित भारत 2047 के सपने को पूरा करने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वदेशी, वोकल फॉर लोकल, सतत विकास, आत्मनिर्भर भारत पर आधारित नवाचार पर फोकस करना होगा।
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दिल्ली स्थित एआईसीटीई मुख्यालय में प्रोफेसर टीजी सीताराम इंस्टीट्यूशंस इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) रीजनल मीट 2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और शिक्षा मंत्रालय के नवाचार प्रकोष्ठ (एमआईसी) मिलकर तीन चरणों मे कुल 26 शहरों में आईआईसी रीजनल मीट 2025 का आयोजन करेगा।
फिलहाल, आठ शहरों कोयंबटूर, हुबली, जयपुर, नोएडा, कोलकाता, हैदराबाद, अहमदाबाद और भुवनेश्वर में एक साथ आईआईसी की शुरुआत हो रही है।
प्रत्येक क्षेत्रीय मीट में ओपन हाउस प्रदर्शनी, उत्पाद-केंद्रित पोस्टर प्रदर्शन, स्वदेशी उद्यमी बाजार, उत्कृष्ट प्रथाओं पर समानांतर सत्र, नवाचार दूत प्रशिक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र सहयोगियों द्वारा मास्टरक्लास, वन टू वन मेंटरिंग, नवाचार प्रतियोगिताएं तथा उत्कृष्ट नवाचारकर्ताओं का सम्मान करना भी शामिल है।
प्रोफेसर सीताराम ने कहा, तकनीकी कॉलेजों को अपने राजस्व का पांच फीसदी अनुसंधान व विकास में निवेश करना चाहिए। इसमें उन्हें राष्ट्रीय प्राथमिकता वाली प्रौद्योगिकियों के अनुरूप गुणवत्तायुक्त व सहयोगात्मक प्रस्ताव तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आईआईसी नेटवर्क आज विश्व के सबसे बड़े उच्च शिक्षा नवाचार तंत्रों में से एक है।
इसमें देश भर में 16,400 से अधिक सक्रिय परिषदें कार्यरत हैं। एआईसीटीई की अनुमोदन प्रक्रिया में आईआईसी को अनिवार्य रूप से शामिल किए जाने से हर राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश के संस्थानों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित हुई है।
इस पहल का मकसद, तकनीकी संस्थानों से आगे बढ़कर सभी प्रकार के उच्च शिक्षण संस्थानों को नवाचार, समस्या-समाधान और आलोचनात्मक चिंतन की राष्ट्रीय मानसिकता विकसित करना है। इसी पहल के कारण वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की रैंकिंग को दस वर्षों में 86वें नंबर से 38वें स्थान तक पहुंची है। हमें आने वाले वर्षों में शीर्ष 20 में जगह बनाने पर काम करना होगा।
सिटी इनोवेशन मॉडल का 250 शहरों में विस्तार
प्रोफेसर सीताराम ने बताया,नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ), एआईसीटीई, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और बाईरैक जैसी संस्थाओं द्वारा उपलब्ध वित्तीय सहयोग इन प्रयासों को और सुदृढ़ करता है। विशाखापत्तनम में प्रारंभ किए गए सफल ‘सिटी इनोवेशन क्लस्टर’ मॉडल ने यह दिखाया है कि संस्थान, उद्योग और निवेशक मिलकर किस प्रकार उत्पाद विकास को आगे बढ़ा सकते हैं। इस मॉडल को 250 शहरों में विस्तारित करने का लक्ष्य है ताकि प्रत्येक शहर अपनी विशिष्ट क्षमताओं के आधार पर नवाचार को बढ़ावा दे सके और देश के उभरते प्रौद्योगिकी तंत्र में योगदान दे सके।