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चरखी दादरी विमान दुर्घटना: 1996 के बाद बदल गए थे उड़ान के तौर-तरीके, आमने-सामने हुई थी सबसे भीषण मिड एयर टक्कर
ज्ञानेन्द्र कुमार, रोहतक (हरियाणा)
Published by: नवीन दलाल
Updated Fri, 13 Jun 2025 11:30 AM IST
सार
हरियाणा समेत दिल्ली के आसपास के एयरस्पेस को मजबूत करने के लिए उन्नत रडार तकनीक सेकेंडरी सर्विलांस रडार (एसएसआर) की स्थापना की गई, जिससे एटीसी को पायलट की ऊंचाई और पहचान एकदम स्पष्ट दिख सके।
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13 और 14 नवंबर 1996 के समाचार। स्रोत : अमर उजाला आर्काइव
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
12 नवंबर 1996 को हरियाणा के चरखी दादरी में हुए विमान हादसे के बाद अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात नियंत्रण के ताैर-तरीके और सुरक्षा तंत्र हमेशा के लिए बदल गए थे। दुनिया की अब तक की यह सबसे भीषण मिड एयर टक्कर मानी गई।
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12 नवंबर 1996 को सऊदी अरब एयरलाइंस का बोइंग 747 विमान दिल्ली से उड़ान भर चुका था। उसी समय कजाकिस्तान एयरलाइंस का तुपोलेव-154 विमान दिल्ली में उतरने की तैयारी कर रहा था। दिल्ली एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) ने जांच के बाद कई गंभीर खामियों को उजागर किया। पायलट और एटीसी के बीच संचार की भाषा बाधा बनी। (कजाख पायलट को अंग्रेजी स्पष्ट नहीं थी)।
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क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट (सीआरएम) की कमी, रडार प्रणाली की सीमित क्षमता और पायलटों की ओर से एटीसी के निर्देशों की ठीक तरह से पालन न करना सामने आया था। इसके बाद भारत ने कई महत्वपूर्ण सुधारात्मक कदम उठाए थे। इसमें हर वाणिज्यिक विमान में यातायात टकराव बचाव प्रणाली (टीसीएएस) की अनिवार्यता लाई गई, जो दो विमानों के बीच स्वतः दूरी बनाए रखने की प्रणाली है।
एटीसी के प्रशिक्षण और संचार में सुधार किया गया। एयर ट्रैफिक कंट्रोल स्टाफ को उच्चस्तरीय प्रशिक्षण जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अंग्रेजी में संचार और निर्णय क्षमता पर जोर दिया गया। दिल्ली के आसमान को इनबाउंड और आउटबाउंड मार्गों में स्पष्ट रूप से विभाजित किया गया ताकि विमान एक-दूसरे के क्रॉस-पथ पर न आएं। हरियाणा समेत दिल्ली के आसपास के एयरस्पेस को मजबूत करने के लिए उन्नत रडार तकनीक सेकेंडरी सर्विलांस रडार (एसएसआर) की स्थापना की गई, जिससे एटीसी को पायलट की ऊंचाई और पहचान एकदम स्पष्ट दिख सके।
हादसे के तुरंत बाद हरियाणा प्रशासन, स्थानीय पुलिस और ग्रामीणों ने बचाव और राहत कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। दादरी और आसपास के गांवों के लोगों ने शवों और विमान के टुकड़ों को ढूंढने में मदद की। राज्य सरकार ने केंद्र के साथ मिलकर स्थायी जांच टीम को सुविधा और स्थान प्रदान किया।
हादसे में बाल-बाल बचे थे एयर वाइस मार्शल
आगरा से अमर उजाला में 13 नवंबर 1996 के अंक में प्रकाशित खबर के अनुसार, उड़ान से ऐन वक्त पहले विमान में जाने का ख्याल छोड़ देने से तत्कालीन एयर वाइस मार्शल पीएस आनंद बच गए थे। हादसे के बाद तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री चांद महल इब्राहिम ने इस्तीफ की पेशकश की, लेकिन अगले ही दिन इन्कार कर दिया था और तत्कालीन न्यायाधीश आरसी लाहाैटी की अध्यक्षता में जांच समिति बना दी। तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगाैड़ा ने हरियाणा सरकार के अधिकारियों के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्यों पर निगरानी रखने का निर्देश दिया था। वहीं, विमान का मलबा कसराैली और और टिकम गांव के बीच अनेक गांवों में छह किमी के इलाके में फैला था। भिवानी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और हिसार से दमकल भेजी गई थीं।
उड़ान भरने के 7 मिनट बाद ही हो गई थी दुर्घटना
विमान के उड़ान भरने के 7 मिनट बाद ही दुर्घटना हुई थी। कजाख एयरबेस का विमान तुपोलेव-154 मध्यम श्रेणी का विमान था और तीन इंजन वाले इस विमान का उपयोग पूर्व सोवियत संघ में बहुतायत होता सऊदी एयरलाइंस के जंबो विमान में भारतीयों के अलावा 17 विदेशी नागरिकों में 9 नेपाली, 3 पाकिस्तानी, दो अमेरिकी सहित बांगलादेश, ब्रिटेन और सऊदी अरब का एक-एक नागरिक था। कजाख एयरबेस में कोई भी भारतीय नागरिक सवार नहीं था।
हरियाणा में अभी तक हुए हादसे
- 25 मई 1958 को डेन एयर का एवरो योर्क कार्गो विमान क्रैश लैंडिंग प्रयास के दौरान इंजन में आग लगने से गुड़गाँव के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ। इसमें चालक दल सहित पांच लोगों की माैत हुई थी।
- 25 मई 2011 को पिलातुस पीसी-12 जो एंबुलेंस सेवा के लिए उड़ान भर रहा था, फरीदाबाद में क्रैश हो गया। इसमें 10 लोगों की माैत हो गई थी।