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Rohtak News: काम की अधिकता, पारिवारिक दबाव बढ़ा रहा तनाव और अनिद्रा
संवाद न्यूज एजेंसी, रोहतक
Updated Mon, 01 Dec 2025 02:06 AM IST
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डॉ. जयसिंह, आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर।
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रोहतक। आधुनिक जीवन शैली, कार्यभार की अधिकता और पारिवारिक दबाव के बीच तनाव और अनिद्रा की समस्या तेजी से बढ़ रही है। नागरिक अस्पताल की आयुर्वेद ओपीडी में रोजाना 15 से 20 मरीज तनाव से जुड़ी शिकायत लेकर पहुंंच रहे हैं। इनमें अधिकतर 25 से 35 वर्ष आयु वर्ग के युवा शामिल हैं जबकि करीब दस महिलाएं प्रतिदिन समस्या को लेकर सलाह लेने आती हैं।
आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर डॉ. जय सिंह का कहना है कि युवाओं में भविष्य की चिंता, काम का दबाव और असंतुलित दिनचर्या तनाव बढ़ने के प्रमुख कारण हैं। वहीं, महिला घर और बाहर दोनों जगह पर जिम्मेदारी निभाने के चलते अत्यधिक मानसिक दबाव में रहती हैं।
पारिवारिक टकराव और व्यक्तिगत समस्याएं भी अनिद्रा तथा चिंता को जन्म दे रही हैं। महिलाओं में तनाव के कारण मासिक धर्म का समय बिगड़ जाता है। ऐसी समस्या लेकर भी महिलाएं आ रही हैं। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद ओपीडी में दवाइयों, काउंसिलिंग, योग और पंचकर्म के जरिए मरीजों का उपचार किया जाता है।
विशेष रूप से शिरोधारा विधि तनाव कम करने में काफी प्रभावी है। उन्होंने कहा कि मरीज घर पर नारियल या बादाम के तेल से सिर की मालिश कर भी राहत पा सकते हैं। उन्होंने बताया कि फास्ट फूड अधिक खाने से तनाव बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।
इसमें नमक की मात्रा अधिक होने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है जो शरीर पर मानसिक प्रभाव डालकर तनाव की स्थिति उत्पन्न करता है।
रोना या आंसू बहाने से भी तनाव कम करने का एक प्राकृतिक तरीका है। आंखों से आंसू बहाने से 90 प्रतिशत तनाव दूर हो जाता है। यह आंखों के लिए भी फायदेमंद है। अपनी समस्याएं किसी के साथ साझा करने और जीवनशैली में छोटे बदलाव जैसे सुबह-शाम टहलना, संतुलित आहार और नियमित नींद से भी तनाव कम किया जा सकता है। - डॉ. जयसिंह, आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर
प्रतिदिन लगभग 25 लोग योग संबंधी सलाह लेने के लिए अस्पताल पहुंचते हैं। इनमें से लगभग 15 मरीज तनाव और चिंता से जूझ रहे होते हैं। ऐसे मामलों में अनुलोम–विलोम, शवासन, भ्रामरी प्राणायाम और ध्यान करने की सलाह दी जाती है। नियमित योगाभ्यास मानसिक शांति प्रदान करता है और नींद की गुणवत्ता में सुधारता है। -डॉ. पूजा, योग विशेषज्ञ।
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आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर डॉ. जय सिंह का कहना है कि युवाओं में भविष्य की चिंता, काम का दबाव और असंतुलित दिनचर्या तनाव बढ़ने के प्रमुख कारण हैं। वहीं, महिला घर और बाहर दोनों जगह पर जिम्मेदारी निभाने के चलते अत्यधिक मानसिक दबाव में रहती हैं।
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पारिवारिक टकराव और व्यक्तिगत समस्याएं भी अनिद्रा तथा चिंता को जन्म दे रही हैं। महिलाओं में तनाव के कारण मासिक धर्म का समय बिगड़ जाता है। ऐसी समस्या लेकर भी महिलाएं आ रही हैं। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद ओपीडी में दवाइयों, काउंसिलिंग, योग और पंचकर्म के जरिए मरीजों का उपचार किया जाता है।
विशेष रूप से शिरोधारा विधि तनाव कम करने में काफी प्रभावी है। उन्होंने कहा कि मरीज घर पर नारियल या बादाम के तेल से सिर की मालिश कर भी राहत पा सकते हैं। उन्होंने बताया कि फास्ट फूड अधिक खाने से तनाव बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।
इसमें नमक की मात्रा अधिक होने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है जो शरीर पर मानसिक प्रभाव डालकर तनाव की स्थिति उत्पन्न करता है।
रोना या आंसू बहाने से भी तनाव कम करने का एक प्राकृतिक तरीका है। आंखों से आंसू बहाने से 90 प्रतिशत तनाव दूर हो जाता है। यह आंखों के लिए भी फायदेमंद है। अपनी समस्याएं किसी के साथ साझा करने और जीवनशैली में छोटे बदलाव जैसे सुबह-शाम टहलना, संतुलित आहार और नियमित नींद से भी तनाव कम किया जा सकता है। - डॉ. जयसिंह, आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर
प्रतिदिन लगभग 25 लोग योग संबंधी सलाह लेने के लिए अस्पताल पहुंचते हैं। इनमें से लगभग 15 मरीज तनाव और चिंता से जूझ रहे होते हैं। ऐसे मामलों में अनुलोम–विलोम, शवासन, भ्रामरी प्राणायाम और ध्यान करने की सलाह दी जाती है। नियमित योगाभ्यास मानसिक शांति प्रदान करता है और नींद की गुणवत्ता में सुधारता है। -डॉ. पूजा, योग विशेषज्ञ।