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हिमाचल: एम्स में अब ज्यादा सटीक और सुरक्षित हो सकेगा कैंसर का इलाज, इस मशीन की खरीद के लिए टेंडर जारी

सरोज पाठक, बिलासपुर। Published by: अंकेश डोगरा Updated Sun, 21 Dec 2025 10:52 AM IST
सार

एम्स बिलासपुर में सरफेस गाइडेड रेडिएशन सिस्टम की खरीद के लिए टेंडर जारी कर दिया है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, एसजीआरटी सिस्टम की अनुमानित कीमत करीब ढाई से तीन करोड़ रुपये के बीच है। पढ़ें पूरी खबर...

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Himachal Pradesh Cancer treatment at AIIMS will now be more accurate and safer
एम्स बिलासपुर (फाइल फोटो)। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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एम्स बिलासपुर में कैंसर मरीजों के इलाज को और अधिक सटीक और सुरक्षित बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। संस्थान ने सरफेस गाइडेड रेडिएशन सिस्टम की खरीद के लिए टेंडर जारी कर दिया है। 

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यह अत्याधुनिक तकनीक रेडिएशन थेरेपी के दौरान मरीज की हर हलचल पर नजर रखती है और जरूरत पड़ने पर मशीन को अपने-आप रोक देती है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, एसजीआरटी सिस्टम की अनुमानित कीमत करीब ढाई से तीन करोड़ रुपये के बीच है। इस मशीन के आने से एम्स बिलासपुर उन चुनिंदा संस्थानों में शामिल हो जाएगा, जहां रेडिएशन थैरेपी की यह आधुनिक सुविधा उपलब्ध होगी। एम्स की ओर से जारी बिड के अनुसार इस उपकरण की एक यूनिट खरीदी जाएगी। बिड के तहत केवल मशीन की आपूर्ति ही नहीं, बल्कि उसकी स्थापना, परीक्षण, कमीशनिंग और रेडिएशन मशीन से इंटीग्रेशन भी शामिल है। 

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शरीर की बाहरी सतह को करती है स्कैन: सरफेस गाइडेड रेडिएशन सिस्टम से मरीज के शरीर की बाहरी सतह को स्कैन कर उसकी स्थिति को लगातार मॉनिटर करती है। यदि इलाज के दौरान मरीज सांस लेने, खांसने या हल्की-सी हरकत के कारण अपनी तय पोजीशन से हिलता है, तो यह सिस्टम तुरंत रेडिएशन मशीन को रोक देता है। सही स्थिति आने पर ही दोबारा रेडिएशन शुरू होता है। यह पूरी प्रक्रिया बिना अतिरिक्त एक्स-रे या रेडिएशन के होती है। इससे रेडिएशन सिर्फ ट्यूमर पर केंद्रित रहता है, जिससे दिल, फेफड़े और रीढ़ जैसे स्वस्थ अंग सुरक्षित रहते हैं। 
 

शरीर पर निशान लगाने की जरूरत नही: इलाज के दौरान शरीर पर टैटू या स्याही के निशान लगाने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे मरीज को मानसिक और शारीरिक राहत मिलती है। यह तकनीक खासतौर पर स्तन, फेफड़े, सिर-गर्दन और प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है। 

ट्यूमर पर ही होती है 
रेडिएशन : इस सिस्टम से रेडिएशन थेरेपी की सटीकता कई गुना बढ़ जाती है। गलत रेडिएशन की आशंका लगभग खत्म हो जाती है। इससे इलाज कम समय में होता है और मरीज को बार-बार पोजीशन ठीक कराने की परेशानी नहीं झेलनी पड़ती। 
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