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Jairam Thakur: नेता प्रतिपक्ष बोले- मेडिकल कॉलेजों में नशे के खिलाफ पुनर्वास के लिए एक भी डेडीकेटेड वार्ड नहीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, शिमला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Mon, 24 Nov 2025 04:36 PM IST
सार

पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के किसी भी मेडिकल कॉलेज में अलग से नशे के लिए वार्ड साइकेट्री या मनोचिकित्सा विभाग होता है। यही विभाग डील करता है। किसी भी मनोचिकित्सा विभाग में बेड की स्ट्रैंथ नहीं बढ़ाई है। कोई डेडीकेटेड वार्ड नहीं है। 

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Jairam said there is not a single dedicated ward for rehabilitation against drug addiction in medical colleges
जयराम ठाकुर। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई में सरकार पूरी तरीके से गंभीर नहीं है। सिर्फ और सिर्फ हैडलाइन और इवेंट मैनेजमेंट के सहारे सुर्खियां बटोरी जा रही हैं। आज ही समाचार पत्रों में पढ़ा कि शिमला जिले की 412 में से 265 पंचायतों में नशे का जाल फैला हुआ है। इनमें से 145 पंचायत में ये अपने पांव पसार चुका है। प्रदेश की पुलिस ने ही इन पंचायतों का विभाजन तीन श्रेणियां में किया है। एक ऐसी घटना और भी आज सामने आई जिसमें चिट्टे की वजह से तीन पीढ़ियों के बर्बाद होने की बात सामने आई।

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इसी तरह की एक घटना कांगड़ा से सामने आई जब एक मां अपने बच्चे की हालत न देख पाने पर नशा खरीदने पर विवश हुई और वह जेल पहुंच गई। ऐसी घटनाएं बहुत पीड़ा दायक होती हैं। पिछले हफ्ते ही नशा निवारण केंद्र में एक व्यक्ति के साथ मारपीट के बाद उसकी मौत का मामला सामने आया जिसने सरकार की नशे के खिलाफ गंभीरता को लेकर प्रश्न खड़े किए हैं। प्रदेश में न जाने कितने युवाओं की इस नशे की वजह से असमय मौत हो चुकी है। 

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जयराम ठाकुर ने कहा कि पुनर्वास केंद्रों में नशे के उपचार के नाम पर हिंसा के अनगिनत मामले सामने आए हैं। जिसमें कई लोगों की मृत्यु होने की खबरें भी सामने आई हैं। पुनर्वास केंद्रों के नाम पर अराजकता का आलम अब तक चर्म पर है। कुछ रिहैबिलिटेशन सेंटर भी है जो मारपीट की वजह से बंद किए गए हैं। इन केंद्रों में नशा छुड़ाने के नाम पर युवाओं के साथ मारपीट होती है। यह केंद्र नशा छुड़ाने के लिए न ही दवाइयों का प्रयोग करते थे और न ही उन्हें डॉक्टर के पास ले जाते थे। प्राप्त आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश के 9 जिलों में करीब 102 पंजीकृत निजी मादक द्रव उपयोग विकार पुनर्वास केंद्र हैं जिसमें से 40 को बंद कर दिया गया है। 

निजी नशा निवारण केंद्रों की अराजकता की वजह सिर्फ यह है कि सरकारी क्षेत्र में ऐसी सुविधाएं प्रभावी रूप में उपलब्ध नहीं है। प्रदेश के किसी भी मेडिकल कॉलेज में अलग से नशे के लिए वार्ड साइकेट्री या मनोचिकित्सा विभाग होता है। यही विभाग डील करता है। किसी भी मनोचिकित्सा विभाग में बेड की स्ट्रैंथ नहीं बढ़ाई है। कोई डेडीकेटेड वार्ड नहीं है। इसलिए लोगों को निजी क्षेत्र में पैसे खर्च करना पड़ रहे हैं। प्रति माह निजी में 25 हजार रुपए तक का खर्च है। 

जयराम ठाकुर ने कहा कि बिना समाज और सरकार के सामूहिक प्रयास के यह लड़ाई जीतना आसान नहीं है। आज समाज इस लड़ाई में साथ है। माताओं  ने अपने बच्चों को पुलिस के सामने सरेंडर किया है लेकिन इतनी बड़ी लड़ाई में सरकार की भूमिका स्पष्ट नहीं है। सरकार सिर्फ हैडलाइन मैनेजमेंट में व्यस्त है जबकि नशा रक्तबीज की तरह प्रदेश के कोने कोने में बढ़ रहा है। आज स्थिति यह है कि प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज में से एक भी मेडिकल कॉलेज में नशे के खिलाफ पुनर्वासन के लिए एक भी डेडीकेटेड वार्ड नहीं है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि मनोचिकित्सा वार्ड में सरकार द्वारा एक बेड भी नहीं बढ़ाया गया है। इसकी वजह से नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले लोग भी बेबस हैं। जिनके पास इतने पैसे नहीं है कि वह निजी उपचार केंद्रों में इलाज करवा सके उनके लिए यह स्थिति और भी भयावह है। इस क्षेत्र के चिकित्सा विशेषज्ञ भी यही सलाह देते हैं कि ड्रग एडिक्ट्स को एक पेशेंट की तरह ट्रीट किया जाए क्रिमिनल की तरह नहीं। इसलिए मेरा मुख्यमंत्री से आग्रह है नशा निवारण के लिए सरकारी क्षेत्र में भी बेहतर सुविधा उपलब्ध करवाएं। जिससे इस लड़ाई से बाहर आने की चाह रखने वाले लोगों को मदद मिल सके।

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