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Mandi News: मोबाइल से दर्ज होगी मंडी कॉलेज की जैव-विविधता
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वल्लभ कॉलेज मंडी में एप से पौधों और जीव-जंतुओं की जानकारी जुटाते विद्यार्थी। स्त्रोत्- संस्थान
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मंडी। वल्लभ कॉलेज मंडी के पर्यावरण विज्ञान विभाग ने कॉलेज परिसर में पाए जाने वाले पौधों और जीव-जंतुओं की जानकारी जुटाने के लिए एक खास पहल शुरू की है। अब जैव-विविधता का रिकॉर्ड मोबाइल फोन की मदद से किया जा रहा है।
कार्य के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मोबाइल एप आई-नेचुरलिस्ट का उपयोग किया जा रहा है। कॉलेज के छात्र परिसर में मिलने वाले पौधों, पक्षियों, जानवरों, कीटों की तस्वीरें खींचकर एप पर अपलोड कर रहे हैं। इन तस्वीरों के साथ जगह की जानकारी भी जुड़ी होती है, जिससे यह पता चलता है कि कौन-सी प्रजाति कहां पाई गई।
अब तक छात्र 547 से ज्यादा अवलोकन दर्ज कर चुके हैं, जिनमें करीब 250 अलग-अलग प्रजातियां शामिल हैं। इस परियोजना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है। छात्रों के काम को आई-नेचुरलिस्ट के वैश्विक समुदाय की ओर से जारी एक वीडियो में दिखाया गया है। उधर, परियोजना समन्वयक डॉ. मनोज ठाकुर के अनुसार इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को नागरिक विज्ञान और आधुनिक तकनीक के जरिए प्रकृति को समझने से जोड़ना है। छात्रों को यह भी सिखाया गया है कि जानकारी को सही और जिम्मेदारी से कैसे दर्ज किया जाए।
वहीं, कॉलेज प्राचार्य डॉ. संजीव कुमार ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे छात्रों को किताबों के ज्ञान के साथ-साथ वास्तविक अनुभव भी मिल रहा है। उनमें पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित हो रही है।
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कार्य के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मोबाइल एप आई-नेचुरलिस्ट का उपयोग किया जा रहा है। कॉलेज के छात्र परिसर में मिलने वाले पौधों, पक्षियों, जानवरों, कीटों की तस्वीरें खींचकर एप पर अपलोड कर रहे हैं। इन तस्वीरों के साथ जगह की जानकारी भी जुड़ी होती है, जिससे यह पता चलता है कि कौन-सी प्रजाति कहां पाई गई।
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अब तक छात्र 547 से ज्यादा अवलोकन दर्ज कर चुके हैं, जिनमें करीब 250 अलग-अलग प्रजातियां शामिल हैं। इस परियोजना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है। छात्रों के काम को आई-नेचुरलिस्ट के वैश्विक समुदाय की ओर से जारी एक वीडियो में दिखाया गया है। उधर, परियोजना समन्वयक डॉ. मनोज ठाकुर के अनुसार इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को नागरिक विज्ञान और आधुनिक तकनीक के जरिए प्रकृति को समझने से जोड़ना है। छात्रों को यह भी सिखाया गया है कि जानकारी को सही और जिम्मेदारी से कैसे दर्ज किया जाए।
वहीं, कॉलेज प्राचार्य डॉ. संजीव कुमार ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे छात्रों को किताबों के ज्ञान के साथ-साथ वास्तविक अनुभव भी मिल रहा है। उनमें पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित हो रही है।
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