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Himachal News: सांसद अनुराग ठाकुर बोले- पौंग विस्थापितों पुनर्वास के लिए किए जाएं साझा प्रयास

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Fri, 05 Dec 2025 05:50 PM IST
सार

सांसद अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांगड़ा के पौंग डैम विस्थापितों का विषय उठाया। 

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MP Anurag Thakur said Joint efforts should be made for the rehabilitation of Pong dam displaced persons
पूर्व केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग ठाकुर - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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पूर्व केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांगड़ा के पौंग डैम विस्थापितों का विषय उठाया। उन्होंने कहा कि पौंग डैम विस्थापितों के शीघ्र पुनर्वास के लिए जलशक्ति मंत्रालय, गृह मंत्रालय के नेतृत्व में एक इंटर-मिनिस्ट्रियल, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश सरकारों के बीच समिति का गठन होना चाहिए। ब्यास नदी पर पौंग डैम के बनने से विस्थापित हुए परिवारों की लंबे समय से चली आ रही शिकायत उठाई। यह बताते हुए कि विस्थापन पचास साल से भी अधिक पुराना है और पुनर्वास का असली वादा भी काफी हद तक पूरा नहीं हुआ है। अनुराग ने केंद्र सरकार से दखल देने और राहत और पुनर्वास के उपायों को तेजी से लागू करने की अपील की।

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संसद में पौंग डैम के विस्थापितों की पीड़ा उठाते हुए ठाकुर ने कहा कि मैं देवभूमि हिमाचल से आता हूं और पहाड़ के लोगों ने अपना पानी, जवानी और कुर्बानी देश के नाम करने में कभी कमी नहीं छोड़ी है। आज से 50 साल पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हिमाचल के कांगड़ा में पौंग डैम बनाने के लिए 339 गांवों के 20,772 परिवारों के विस्थापितों को राजस्थान में जमीन के आवंटन का वायदा अभी भी अधूरा है। परिवार पोंग डैम प्रोजेक्ट के बाद बेघर हो गए थे। उन्हें 1970 के मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग और राजस्थान कॉलोनाइजेशन रूल्स 1972 के तहत राजस्थान के इरिगेटेड कमांड एरिया में रिहैबिलिटेशन का वादा किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के कई दखल (1996 के फैसले सहित) और दिसंबर 2024 की इंस्पेक्शन रिपोर्ट के बावजूद पौंग डैम के विस्थापितों का पुनर्वास अधूरा है और 6,700 से अधिक परिवार अभी भी जमीन अलॉटमेंट का इंतजार कर रहे हैं, जबकि कई दूसरे लोग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, जमीन पर कब्जे और प्रोसेस से जुड़ी रुकावटों का सामना कर रहे हैं।

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