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हिमाचल विधानसभा : मुकेश अग्निहोत्री बोले- आठ वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले कर्मियों के लिए बनेगी स्थायी नीति
अमर उजाला ब्यूरो, तपोवन (धर्मशाला)।
Published by: अंकेश डोगरा
Updated Fri, 05 Dec 2025 07:16 PM IST
सार
शुक्रवार को सदन में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने जानकारी दी कि पैरा पॉलिसी और जल रक्षकों की लंबित मांगों का जल्द स्थायी समाधान होने जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर...
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तपोवन विधानसभा परिसर/उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
पैरा पॉलिसी और जल रक्षकों की लंबित मांगों का जल्द स्थायी समाधान होने जा रहा है। सरकार इन श्रेणियों में लगे कर्मचारियों को उचित वेतन और सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की दिशा में आगे बढ़ रही है। यह जानकारी उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने शुक्रवार को सदन में नियम-62 के तहत विधायक आरएस बाली के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर दी।
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उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार संवेदनशील है और चाहती है कि पैरा पॉलिसी कर्मियों तथा जल रक्षकों को स्थायी व्यवस्था के तहत मुख्यधारा में लाया जाए। उन्होंने कहा कि इन कर्मचारियों के लिए अलग से इंश्योरेंस लागू करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार का उद्देश्य इन्हें पॉलिसी के तहत नियमित ढांचे में सम्मिलित करना है। जल शक्ति विभाग में अब तक 6220 जल रक्षक भर्ती किए जा चुके हैं। इनमें से 3486 जल रक्षकों को, जिन्होंने 12 साल की सेवा पूरी कर ली थी, उन्हें पंप अटेंडेंट बना दिया गया है। हालांकि अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे जलरक्षक हैं, जिनकी 12 वर्ष सेवा पूरी नहीं हुई है और विभाग में पर्याप्त पद उपलब्ध नहीं हैं। पैरा पॉलिसी से जुड़े मुद्दों पर उन्होंने बताया कि पैरा पंप ऑपरेटर, पैरा फिटर और पैरा मल्टीपर्पज वर्कर का मानदेय कांग्रेस सरकार ने बढ़ाया है।
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पॉलिसी के अनुसार पैरा पंप ऑपरेटरों के लिए 15 फीसदी प्रमोशन कोटा और पैरा फिटर के लिए 10 फीसदी कोटा है। लेकिन पैरा मल्टीपर्पज वर्करों के लिए कोई स्पष्ट नीति मौजूद नहीं है। सरकार ने प्रस्ताव भेजा है कि इन्हें बेलदार वर्ग में 10 फीसदी कोटे के तहत समायोजित किया जाए। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाग की राय है कि पैरा पॉलिसी और जल रक्षकों को 8 साल से अधिक पैरा श्रेणी में न रखा जाए। 8 साल की सेवा पूरी होने पर इन्हें दैनिक वेतन भोगी (डेली वेजर) बनाया जाए। जल रक्षकों को भी इसी आधार पर पंप ऑपरेटर बनाने की दिशा में विचार चल रहा है। उन्होंने बताया कि वित्त विभाग चाहता है कि सभी विभागों में इस तरह के कर्मचारियों के लिए एक समान और व्यापक नीति बनाई जाए, ताकि लोक निर्माण, जल शक्ति और अन्य विभाग अलग-अलग न चलें। सरकार की मंशा है कि सभी अस्थायी श्रेणियों को एक ही पॉलिसी के तहत नियमितीकरण की दिशा में लाया जाए।